अहमदिया होने पर पाकिस्तान में एक डॉक्टर की हत्या, पाकिस्तानी इन्हें नहीं मानते मुसलमान
पाकिस्तान में एक डॉक्टर की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि वह अहमदिया समुदाय थे। पाकिस्तान में एक साल से भी कम समय में यह ऐसी पांचवी हत्या है। अहमदिया खुद को इस्लाम के अनुयायी मानते हैं लेकिन पाकिस्तानी उन्हें मुसलमान नहीं मानते।

पेशावर, एएनआइ। एक तरफ जहां भारत में कोरोना महामारी से जूझते डॉक्टरों को कोरोना वॉरियर्स जैसे सम्मान से नवाजा जाता है तो उसके ठीक उलट पाकिस्तान में सरेआम उनकी हत्या की जा रही है। पाकिस्तान में एक बार फिर से एक अहमदिया मुसलमान की हत्या की गई है। भारत को अल्पसंख्यकों पर बड़ी-बड़ी बातें कहने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के खुद के देश में मुसलमानों की स्थिति बताने के लिए ये काफी है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने पुलिस के हवाले से बताया है कि पेशावर के बाजिदखेल इलाके में अहमदिया समुदाय के एक होम्योपैथिक डॉक्टर की गोली मारकर हत्या कर दी गई। एक पुलिस प्रवक्ता ने मारे गए व्यक्ति की पहचान अब्दुल कादिर के रूप में की है। जिसे एक 18 साल के आरोपी इहसनुल्लाह ने गोली मारी है। पाकिस्तान में इस डॉक्टर की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि वह अहमदिया थे। पाकिस्तान में एक साल के अंदर यह ऐसी पांचवी हत्या है। अहमदिया लोग खुद को इस्लाम के अनुयायी कहते हैं, लेकिन पाकिस्तान में उन्हें मुसलमान नहीं माना जाता है। इस कारण वह अक्सर पाकिस्तानी लोगों के निशाने पर रहते हैं।
पाकिस्तान में दशकों से अहमदिया मुसलमानों पर हमले हो रहे हैं। पाकिस्तान में 40 लाख अल्पसंख्यक अहमदी, दशकों से मौत की धमकी, धमकी और निरंतर घृणा अभियान का सामना कर रहे हैं।
पिछले साल, अहमदी मुस्लिम समुदाय के लिए यूके स्थित ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप (APPG) की 168 पन्नों की रिपोर्ट में पाकिस्तान में अहमदी समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में विवरण सामने आया था। ''द फेथफुल ऑफ द फेथफुल - पाकिस्तान में अहमदी मुसलमानों के उत्पीड़न और अंतर्राष्ट्रीय चरमपंथ के उदय '' शीर्षक वाली रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन और पाकिस्तान के गठन के बाद शांतिप्रिय समुदाय के खिलाफ उत्पीड़न तेज हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पाकिस्तान का इतिहास है। यह 1974 की घटनाओं में समाप्त हुआ जब प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अहिमदी आंदोलन को पूरी तरह से राज्य-प्रायोजित उत्पीड़न में बदल दिया। उन्होंने 1974 के संवैधानिक संशोधन को विशेष रूप से मुस्लिमों को लक्षित करते हुए कानून के उद्देश्यों के लिए मुसलमानों की घोषणा करते हुए अधिनियमित किया।
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