Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दक्षिण अफ्रीका में IVF तकनीक से पैदा हुए दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब शावक

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 05 Sep 2018 12:03 PM (IST)

    वैज्ञानिकों ने यहां के उकुटुला संरक्षण केंद्र में शेरनी पर आइवीएफ तकनीक का प्रयोग किया, जिसके बाद यहां दो टेस्ट ट्यूब शावक पैदा हुए। ...और पढ़ें

    Hero Image
    दक्षिण अफ्रीका में IVF तकनीक से पैदा हुए दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब शावक

    नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अपनी दहाड़ से जंगल गुंजा देने वाले पैंथेरा प्रजाति के जीवों पर लंबे समय से विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। इसमें बाघ, शेर, तेंदुआ जैसे शिकारी जीव शामिल हैं। इनके संरक्षण को लेकर दुनियाभर के पर्यावरणविद और वैज्ञानिक प्रयासरत हैं। इसी क्रम में दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ प्रिटोरिया के वैज्ञानिकों ने एक अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की है। उन्होंने यहां के उकुटुला संरक्षण केंद्र में शेरनी पर आइवीएफ तकनीक का प्रयोग किया, जिसके बाद यहां दो टेस्ट ट्यूब शावक पैदा हुए। वैज्ञानिकों का मानना है विलुप्त होती इन प्रजातियों को बचाने में यह तकनीक मील का पत्थर साबित होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन जानवरों से पैदा हुए टेस्ट ट्यूब बेबी
    1980 में अमेरिका स्थित पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सकों ने दुनिया का पहला गाय का टेस्ट ट्यूब बच्चा पैदा कराने में सफलता हासिल की।


    2015 अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस तकनीक का इस्तेमाल मादा श्वान पर किया, जिसने सात पिल्लों को जन्म दिया।
    2016 में दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीकी भैंस ने इस तकनीक की मदद से टेस्ट ट्यूब बच्चे को जन्म दिया।

    ऐसे जन्मे शावक
    वैज्ञानिकों ने इन-विट्रो फर्टीलाइजेशन (आइवीएफ) तकनीक की मदद से एक शेर के स्पर्म को शेरनी के गर्भाशय में डाला। इसके साढ़े तीन महीने बाद उसने एक शेरनी और एक शेर को जन्म दिया। दोनों शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं।

    कारगर है तकनीक
    हालांकि इस तकनीक का प्रयोग अफ्रीकी शेरनी पर किया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक बाघ, स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुआ) और कई विलुप्त होती बड़ी बिल्लियों को बचाने में कारगर साबित हो सकती है।

    बढ़ता खतरा
    जंगलों की कटाई कर वहां इंसान द्वारा बनाए जा रहे आवास और अन्य दबावों के नुकसान के कारण वन्यजीवन के लिए जबरदस्त खतरा पैदा हो गया है। यही कारण है कि बड़ी बिल्लियों के साथ ही कई प्रजातियां लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध हैं।

    भारत में शेरों की स्थिति
    गुजरात के गिर के जंगलों में एशियाई शेर पाए जाते हैं। 2015 में 22 हजार वर्ग किलोमीटर में हुई गिनती के आधार पर शेरों की संख्या 523 दर्ज की गई। इसमें 109 शेर, 201 शेरनी और 213 शावक थे। अगस्त 2017 में हुई एशियाई शेरों की गणना के मुताबिक अब यह आंकड़ा 650 हो गया है।