India Afghanistan Relation: आखिर भारत के साथ क्यों प्रगाढ़ संबंध चाहता है तालिबान? भारतीय अधिकारियों की काबुल यात्रा के क्या है मायने? एक्सपर्ट व्यू
India Afghanistan Relation भारतीय अधिकारियों का एक दल अफगानिस्तान की राजधानी काबूल में है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत तालिबान वार्ता का मकसद अपनी बंद पड़ी योजनाओं को पुन प्रारंभ करना है। आइए जानते हैं कि इन सब मसलों पर विशेषज्ञों की क्या राय है।

नई दिल्ली, जेएनएन। Why Does Taliban Want Rtrong Relations from India: भारतीय अधिकारियों का एक दल अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में है। इसलिए यह चर्चा जोरों पर है कि क्या भारत अपने दूतावास को खोलने की तैयारी में है। आखिर भारतीय अधिकारियों की इस यात्रा का मकसद क्या है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी और काबुल में तालिबान हुकूमत के बाद अपने दूतावास से सभी कर्मियों को वापस बुला लिया था। हालांकि, भारत को यह चिंता सता रही थी कि अफगानिस्तान में उसके व्यापक निवेश का क्या होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत तालिबान वार्ता का मकसद अपनी बंद पड़ी योजनाओं को पुन: प्रारंभ करना है। आइए जानते हैं कि इन सब मसलों पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद से ही वह अपनी सरकार की मान्यता को लेकर बेचैन रहा है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत को मान्यता देने के लिए खूब जोर भी लगाया, हालांकि उसे कामयाबाी हासिल नहीं हो सकी। अब तालिबान सरकार इस फिराक में है कि उसके पड़ोसी देश अफगानिस्तान में अपना दूतावास खोले। यह पहल इस कड़ी के रूप में जोड़कर देखा जाना चाहिए।
2- प्रो पंत ने कहा कि तालिबान सरकार के पूर्व भारत ने अफगानिस्तान में बड़ा निवेश कर रखा है। तालिबान हुकूमत के बाद अफगानिस्तान में विकास की योजनाएं अधर में लटक गईं हैं। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के लौटने और तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने अपने दूतावास में तैनात सभी कर्मचारियों को वापस बुला लिया था। इस बीच कई बार ऐसी चर्चा चली की भारतीय प्रतिनिधि तालिबान की हुकूमत के संपर्क में है। हालांकि, उस वक्त भारत सरकार ने इसका खंडन किया था।
3- उन्होंने कहा कि अब यह चर्चा एक बार और जोर पकड़ रही है। भारतीय प्रतिनिधियों की पहले कतर और अब रूस में तालिबान प्रतिनिधियों से मुलाकतें हो चुकी है। पर्दे के पीछे संवाद की कुछ खिड़कियां भी खुली रखी गईं हैं । बताया जाता है कि सरकार अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास के कामकाज न्यूनतम स्टाफ के साथ शुरू करने पर भी विचार कर रही है। इसके लिए एक सिक्योरिटी आडिट भी गत दिनों करवाया गया था। भारतीय राजनयिक टीम का अफगानिस्तान दौरा हाल ही में 27 मई को तजाकिस्तान में हुई शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के बाद सामने आया है।
4- उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद से वह भारत से बेहतर संबंध चाहता है। अब अफगानिस्तान तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा है कि तालिबान अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देगा। इतना ही नहीं तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने फिर कहा है कि तालिबान अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने को तैयार है।
5- प्रो पंत का मानना है कि भारत को तालिबान से वार्ता शुरू करने की कोशिश करनी चाहिए और हाल के दिनों में तालिबान और भारत के बीच पर्दे के पीछे कई स्तर पर बातचीत हुई है। तालिबान भारत जैसे देश को अफगानिस्तान से बाहर नहीं रखना चाहता है और यही कारण है कि तालिबान ने लगातार ऐसे संकेत दिए हैं कि वह भारत से बेहतर संबंध चाहता है।
तालिबान राज में भारत की पहल
भारतीय राजनयिक टीम का अफगानिस्तान दौरा अगस्त 2021 में तालिबान राज आने के बाद काबुल में पहली उच्च स्तरीय मौजूदगी है। भारत ने 15 अगस्त को अफगनिस्तान में मची सियासी अफरा-तफरी के बाद दूतावास सेवाएं 17 अगस्त 2021 से अस्थाई तौर पर बंद कर दी थीं। सभी भारतीय राजनयिकों और नागरिकों को भी निकासी मिशन के जरिए निकाल लिया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को बताया था कि टीम तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात करेगी। उन्होंने कहा था कि वे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मिलेंगे जो मानवीय सहायता प्रदान करने में शामिल हैं। साथ ही टीम उन साइट्स का भी दौरा करेगी जहां भारत की सहायता परियोजनाएं चल रही हैं। बता दें कि भारतीय अधिकारियों ने तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से काबुल में मुलाकात की है। भारत की एक वरिष्ठ राजनयिक टीम काबुल में है। इस दौरान कई मसलों पर बातचीत की गई।
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