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    Paetongtarn Shinawatra: बेटी के हाथों में सत्ता, पिता और बुआ भी रह चुकी PM; कहानी थाईलैंड की सबसे ताकतवर फैमिली की

    Updated: Thu, 03 Apr 2025 06:23 PM (IST)

    Paetongtarn Shinawatra प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। उन्होंने आज थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद शिनवात्रा फैमिली की भी काफी चर्चा हो रही है। थाईलैंड की सबसे ताकतवर फैमिली कहे जाने वाली शिनवात्रा फैमिली के तीन सदस्य प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वहीं उनके पिता का लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है।

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    Paetongtarn Shinawatra: थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा की फैमिली से जुड़ी दिलचस्प कहानी।(फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए थाईलैंड की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा (Paetongtarn Shinawatra) के आमंत्रण पर वो थाईलैंड पहुंचे हैं। उन्होंने आज पैतोंगतार्न शिनावात्रा से मुलाकात भी की। वहीं, पैतोंगतार्न शिनावात्रा और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हुई।

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    4 अप्रैल को प्रधानमंत्री 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। इस यात्रा के बीच शिनवात्रा फैमिली की भी काफी चर्चा हो रही है। इस फैमिली का राजनीति और थाईलैंड की सत्ता से पुराना नाता रहा है।

    पैतोंगतार्न शिनावात्रा से पहले उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा (Thaksin Shinawatra) और उनकी बुआ यिंगलक शिनावात्रा प्रधानमंत्री का पद संभाल चुकी हैं। उनकी बुआ थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। उनके परिवार को सेना से भी चुनौती मिल चुकी है।

    दरअसल,  पैतोंगतार्न के पिता की सरकार को 2006 में एक सैन्य तख्तापलट के बाद पद से हटा दिया गया था। पैतोंगटार्न की बुआ यिंगलक शिनावात्रा को 2014 में एक अदालती फैसले के बाद पद से हटा दिया गया था। थाकसिन शिनवात्रा की फैमिल थाईलैंड की सबसे ताकतवर परिवार कहा जाता है।

    आइए पढ़ते हैं कि पुलिस की नौकरी करने वाले थाकसिन शिनावात्रा कैसे देश के सबसे ताकतवर इंसान बन गए।

    थाकसिन का जन्म 1949 में हुआ। थाकसिन के दादा चियांग साएखु ने रेशम बिजनेस को स्थापित करते हुए 'शिनवात्रा सिल्क्स' की स्थापना की। थाकसिन के पिता लोएट शिनावात्रा ने भी अपनी फैमिली बिजनेस को आगे बढ़ाया। वही, उनके पिता की राजनीति में भी दिलचस्पी थी।

    उन्होंने बिजनेस संभालते हुए राजनीति में प्रवेश करने की इच्छा जाहिर की। लोएट 1968 से लेकर 1976  तक सांसद भी रहे। लोएट में राजनीति की एंट्री से उनके बेटे को भी फायदा मिला। थाकसिन को कम उम्र में ही राजनीतिक पहचान मिल गई।

    पुलिस की नौकरी छोड़ थाकसिन ने राजनीति में की एंट्री

    हालांकि, थाकसिन ने रॉयल थाई पुलिस में 1973 से लेकर 1987 तक काम किया। इसके बाद वो क्रिमिनल जस्टिस में मास्टर्स और डॉक्टरेट डिग्री हासिल करने के लिए अमेरिका चले गए। इसके बाद वो थाईलैंड आए और पुलिस विभाग में लेफ्टिनेंट कर्नल बन गए।

    इसी दौरान उन्होंने पोटजमान नावादमरोंग से शादी रचाई। हालांकि, 1987 में पुलिस की नौकरी से उनका मोहभंग हो गया और उन्होंने पुलिस सर्विस को अलविदा कह दिया। वहीं, वो टेलीकम्युनिकेशन बिजनेस से भी जुड़ गए। उनकी कंपनी शिन कॉर्पोरेशन देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम ऑपरेटर कंपनी बन गई।

    थाई राक थाई पार्टी की स्थापना की

    आगे चलकर, उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी बढ़ती गई। साल 1994 में वो पलंग धम्मा पार्टी (PDP) से जुड़ गए। इसी साल उन्हें थाईलैंड का विदेश मंत्री बनाया गया। हालांकि, गठबंधन सरकार गिरने की वजह से वो महज 3 महीने तक ही विदेश मंत्री के पद पर रह सके।

    इसके बाद उन्होंने साल 1998 में थाई राक  थाई (TRT) पार्टी की स्थापना की। साल 2001 के चुनावों में उनकी पार्टी को बहुमत मिला और वो थाईलैंड के 23वें प्रधानमंत्री बन गए।

    थाकसिन सरकार ने देश के गरीबों और ग्रामीण लोगों के लिए कई विकास की योजना चलाई, जिसकी वजह से देश में गरीबों और आम लोगों के बीच उनकी पॉपुलैरिटी काफी बढ़ गई। देश की गरीब जनता उन्हें 'मसीहा' मानने लगी।

    ड्रग्स कारोबारियों के खिलाफ खोला था मोर्चा 

    थाईलैंड में ड्रग्स के खिलाफ थाकसिन सरकार ने मुहिम चलाई। सरकार ने ड्रग्स माफिया के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महज 3 महीने में 2,500 से ज्यादा ड्रग्स कारोबार से जुड़े लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।

    इसी बीच थाईलैंड में मुस्लिम अलगाववादी विद्रोह भी सिर उठाने लगा। वहां कई दशकों से एक मुसलमानों का एक गुट 'पट्टानी देश' बनाने की मांग कर रहा था। थाईलैंड के पड़ोसी देश मलेशिया का मुस्लिम विद्रोहियों को समर्थन प्राप्त था। 

    जब एक दिन में हुई थी 85 मुसलमानों की हत्या

    थाकसिन सरकार ने अलग देश की मांग करने वाले मुस्लिम विद्रोहियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया। सरकार ने एक ही दिन में 85 मुस्लिम अलगाववादियों को मौत के घाट उतार दिया। इस घटना से दुनियाभर में  थाकसिन सरकार सरकार की  आलोचना हुई।

    मलेशिया ने इस घटना पर चिंता जाहिर की। हालांकि, देश की बौद्ध बहुल जनता का समर्थन थाकसिन सरकार को प्राप्त था। बौद्ध बहुल जनता का मानना था कि थाकसिन सरकार ही देश को एकजुट रख सकती है।

    वहीं, साल 2005 में थाईलैंड में हुए आम चुनाव में  शिनावात्रा को आसानी से जीत मिल गई। शिनवात्रा की पार्टी ने 500 में से 377 सीटें जीतीं। वो दोबारा पीएम बन गए।

    भ्रष्टाचार का लगा आरोप और देश में उठने लगी विरोध की आवाज...

    हालांकि, थाकसिन ने शिन कॉर्पोरेशन में 49 फीसदी हिस्सेदारी सिंगापुर की एक कंपनी को बेच दी। इस डील में उन्होंने कोई प्रॉफिट टैक्स नहीं दिया, जिसकी वजह से उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा।

    इसी बीच वहां पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी नाम के संगठन की स्थापना हुई। इस संगठन ने  शिनवात्रा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और देशभर में रैलियां निकाली। गौरतलब है कि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग यलो शर्ट्स पहनते थे। इसलिए, इस आंदोलन को यलो शर्ट्स आंदोलन कहा गया। देश में राजनीतिक अशांति फैल गई। नतीजा ये हुआ कि थाकसिन शिनवात्रा को संसद भंग करना पड़ा।

    फिर देश में चुनाव कराया गया, लेकिन विपक्ष ने चुनाव का विरोध किया। इस चुनाव में भले हीथाकसिन शिनवात्रा की जीत हुई लेकिन, वहां के तत्कालीन राजा भूमिबोल अदुल्यदेज ने इसे अलोकतांत्रिक बताया।

    सेना ने किया तख्तापलट और गिर गई सरकार

    देश में चल रही विरोध के बीच  ही थाकसिन शिनावात्रा  अपनी सरकार जैसे-तैसे चलाते रहे। इसी बीच वो संयुक्त राष्ट्र की बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिका चले गए। सेना ने उनके गैरमौजूदगी में 19 सितंबर 2006 को देश में तख्तापलट कर उनकी सरकार गिरा दी।

    उनकी पार्टी TRT को भंग कर दिया गया। थाकसिन के तख्तापलट के बाद उनके समर्थकों ने यूनाइटेड फ्रंट फॉर डेमोक्रेसी अगेंस्ट डिक्टेटरशिप (UDD) संगठन की स्थापना की। इसे रेड शर्ट आंदोलन कहा गया।

    छोटी बहन को बनाया प्रधानमंंत्री

    देश में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच थाकसिन 15 साल तक विदेश में रहे। उन्हें डर था कि अगर वो थाईलैंड आते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उनकी गैरमौजूदगी में थाकसिन की छोटी बहन यिंगलक शिवानात्रा ने राजनीति में एंट्री की। उन्होंने फ्यू थाई पार्टी का बोगडोर संभाला।

    चुनाव में भारी बहुमत से  यिंगलक विजयी हुईं और वो देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बन गईं। हालांकि, 2014 में यिंगलक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगे और सेना ने मौका का फायदा उठाते हुए तख्तापलट कर दिया। इसके बाद उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्होंने भी थाईलैंड छोड़ दिया। हालांकि, यिंगलक और उनके भाई पर जनता का भरोसा कायम था।

    15 साल के  निर्वासन के बाद थाकसिन 2023 में वापस थाईलैंड पहुंचे। उन्हें शाही माफी मिल गई। इसके बाद 2023 में उनकी फ्यू थाई पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई, लेकिन प्रधानमंत्री थाकसिन के करीबी माने जाने वाले स्रेथा थाविसिन को बनाया गया।

    थाईलैंड लौटकर बेटी को सौंपी देश की सत्ता 

    फिर 1 साल बाद कैबिनेट में एक क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले वकील को शामिल करने के आरोप में स्रेथा थाविसिन को पीएम पद से हटा दिया गया। इस घटना के दो दिन बाद थाकसिन की बेटी पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा को देश का नया PM बनाया गया।

    38 वर्षीय पैंटोगटार्न थाईलैंड के इतिहास की सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं। जब उन्होंने पीएम पद की कुर्सी संभाली थी तब वह 37 साल की थीं। 

    पैंटोगटार्न शिनावात्रा ने हाल ही में अपनी संपत्ति के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि उनके पास 400 मिलियन डॉलर्स (3.4 हजार करोड़) से अधिक की संपत्ति है। थाईलैंड की पीएम की संपत्ति में 217 डिजाइनर हैंडबैग शामिल हैं, जिनकी कीमत 2 मिलियन डॉलर्स (करीब 17 करोड़ रुपये) से ज्यादा है। उनके पास करीब 75 लग्जरी घड़ियां हैं, जिनकी कीमत करीब 5 मिलियन डॉलर्स (करीब 42 करोड़ रुपये) है।

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