Who is Aung San Suu Kyi: आखिर कौन हैं नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सू की, क्या है उनका भारत से लिंक
Aung San Suu Kyi सू की को भ्रष्टचार के दो मामलों में सजा सुनाई है। ऐसा नहीं कि आग सानू सू की केवल इसकी वजह से सुर्खियों में हैं। आखिर कौन है आंग सू की। दुनिया में किस रूप में उनकी पहचान है। उनका भारत से क्या लिंक है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Who is Aung San Suu Kyi: सैन्य शासित म्यांमार की अदालत ने अपदस्थ नेता आंग सान सू की को भ्रष्टचार के दो मामलों में बुधवार को तीन वर्ष की और सजा सुनाई है। म्यांमार की निर्वाचित नेता आंग सान सू की को 1 फरवरी, 2021 को हिरासत में लिया गया था और उनकी शक्तियां समाप्त कर म्यांमार की सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था। ऐसा नहीं कि आंग सान सू की Aung San Suu Kyi केवल इसकी वजह से सुर्खियों में हैं। उनका चर्चित होना उनके इतिहास से संबंधित है। आखिर कौन है आंग सू। दुनिया में किस रूप में उनकी पहचान है। उनका भारत से क्या लिंक है। म्यामांर में लोकतंत्र के लिए उनका क्या संघर्ष है।
कौन हैं आंग सू की
1- उन्होंने म्यांमार में दशकों तक सैन्य शासन के खिलाफ लोकतंत्र के लिए लंबा सघर्ष किया है। उनकी एक वैश्विक छवि है। आंग सान सू म्यांमार की बेहद लोकप्रिय नेता हैं। वह दशकों से वहां लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष कर रही है। उन्हें 15 सालों से भी ज्यादा समय तक नजरबंद या जेल में रहना पड़ा। इस सैन्य तख्तापलट के बाद हाल ही में एक बार फिर सैन्य शासन ने उन्हें गिरफ्तार किया है। इसके चलते वह एक बार फिर पूरी दुनिया में सुर्खियों में आ गई हैं।
2- 76 वर्षीय सू म्यांमार में लोकतंत्र एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की लड़ाई लड़ने वाली नेता हैं। उन्होंने दशकों तक वहां के सैन्य शासन के खिलाफ संघर्ष किया। सु के पिता आंग सान ने बर्मा की आजादी के लिए संघर्ष किया था। आंग सान ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापानियों से हाथ मिलाया था। 1947 में ब्रिटेन से बर्मा की आजादी की मांग की थी। उसी साल उनकी हत्या कर दी गई थी। सू की को उनकी मां ने पाला था।
3- वर्ष 1991 में सू को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। खास बात यह है कि उस समय वह नजरबंद थीं। वर्ष 2015 में उन्हंने म्यांमार में 25 साल में पहली बार हुए राष्ट्रीय चुनाव में नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी का नेतृत्व कर जीत हासिल की। वर्ष 2021 में म्यांमार में सेना ने तख्तापलट कर उन्हें सत्ता से हटा दिया। सू को देशद्रोह और कोरोना के नियमों को तोड़ने का दोषी करार देते हुए चार साल कैद की सजा सुनाई गई है।
4- म्यांमार की बौध बहुसंख्यक समुदाय में वह बहुत ही लोकप्रिय हैं। सू ने 1989 से 2010 के बीच 15 साल सैन्य कैद में बिताए और उनका लोकतंत्र के लिए अत्याचारों के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल बन गया था। वर्ष 2015 में जीत के बाद भी म्यांमार संविधान के कारण वे देश की राष्ट्रपति नहीं बन सकीं। वर्ष 2020 में उनकी पार्टी ने एक बार फिर भारी अंतर से बहुमत हासिल किया जो वर्ष 2015 के मतों से भी ज्यादा था, लेकिन ताकतवर सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया और संसद के पहले दिन ही सेना ने सू की को दूसरे राजनेताओं के साथ कैद कर लिया।
क्या है उनका भारत से लिंक
1960 में सू अपने मां डा खिन की के साथ भारत आ गईं, जिन्हें दिल्ली में म्यांमार का राजदूत नियुक्त किया गया था। इसके चार साल बाद वह आक्सफोर्ड में पढ़ीं, जहां उनकी मुलाकात माइकल एरिस से हुई। बाद में सू ने उनसे शादी की। इसके बाद वह जापान, भूटान में कुछ समय रहकर अपने परिवार के साथ ब्रिटेन में रहने लगीं। 1988 में वे अपनी बीमार मां की देखरेख के लिए यंगून वापस आईं, तब म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता का दौर चल रहा था। उस वर्ष हजारों लोगों ने लोकतंत्र में सुधार की मांग के साथ जनरल नी विन के खिलाफ आंदोलन किया। इसका नेतृत्व सू ने किया। उनका शांतिपूर्ण आंदोलन दबा दिया गया और उन्हें घर पर ही नजरबंद कर दिया गया।
सैन्य सरकार ने 1990 में चुनाव कराए, जिसमें उनकी पार्टी को जीत मिली, लेकिन जुंटा सैन्य शासन ने उन्हें सत्ता नहीं सौंपी। इसके बाद उन्हें कई बार छोड़ा और गिरफ्तार किया गया। रोहिंग्याओं की समस्या से निपटने के मामले में आंग सान सू की दुनिया में बहुत निंदा होती रही है।
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