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    Istanbul Explosion: कौन है PKK जिसने तुर्की के इस्‍तांबुल शहर को दहलाया, क्‍या है इनकी मांग

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Mon, 14 Nov 2022 09:06 PM (IST)

    Istanbul explosion तुर्की के इस्‍तांबुल शहर में हुए भीषण विस्‍फोट में अब तक छह लोग मारे गए हैं। तुर्की का आरोप है कि इस विस्‍फोट के लिए आतंकवादी संगठन पीकेके जिम्‍मेदार है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पीकेके क्‍या है। इनकी क्‍या है बड़ी मांग।

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    Istanbul Explosion: तुर्की के इस्‍तांबुल शहर को दहलाने वाले आखिर कौन हैं PKK। एजेंसी।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। तुर्की के इस्‍तांबुल शहर में हुए भीषण विस्‍फोट में अब तक छह लोग मारे गए हैं। तुर्की का आरोप है कि इस विस्‍फोट के लिए आतंकवादी संगठन पीकेके जिम्‍मेदार है। इस विस्‍फोट में तुर्की की पुलिस ने 20 से ज्‍यादा लोगों को हिरासत में लिया है। इस मामले में एक महिला को भी गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पीकेके क्‍या है। इनकी क्‍या है बड़ी मांग। कितने देशों में है इनका नेटवर्क।

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    कुर्दिश वर्कर्स पार्टी एक आतंकवादी संगठन

    1- तुर्की में सक्रिय कुर्दिश वर्कर्स पार्टी एक आतंकवादी संगठन है। तुर्की, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने कुर्दिश वर्कर्स पार्टी को आंतकवादी संगठन करार दिया है। सात वर्ष पूर्व तुर्की की सेना ने प्रतिबंधित कुर्दिश वर्कर्स पार्टी के 24 ठिकानों को तबाह किया था। तुर्की की सेना और पीकेके के बीच लुकाछिपी का खेल जारी है। पीकेके के आंतकवादियों ने कई तुर्की सैनिकों को मौत के घाट उतारा है। पीकेके के आतंकवादियों ने कई बार तुर्की के सैन्‍य काफ‍िले पर हमला किया है।

    2- तुर्की ने पीकेके के नेताओं के साथ शांति के लिए वर्ष 2013 व वर्ष 2015 में कई दौर की वार्ता की थी। हालांकि, यह वार्ता किसी अंजाम तक नहीं पहुंच सकी। कुर्द अधिकतर सुन्‍नी मुस्लिम है। इराक और सीरिया में कुर्द शिया मुस्लिम भी है। कुर्द काफी जुझारू कौम है। इराक को छोड़कर इनके ज्‍यादातर समूह धर्मनिरपेक्ष हैं। ईरान में कुर्दो की आबादी सात से दस फीसद है। ईरान में भी कुर्दो के बीच राजनीतिक मतभेद रहते हैं, लेकिन तुर्की और सीरिया जैसे हालात नहीं हैं। ईरान में कुर्द काफी शिक्षित हैं।

    3- पीकेके एक स्‍वतंत्र कुर्दिस्‍तान की मांग कर रहे हैं। एक स्‍वतंत्र कुर्दिस्‍तान ईरान, इराक, तुर्की और सीरिया जैसे चार देशों से जुड़ा मामला है। इन देशों में कुर्दो की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति अलग-अलग है। इराक में कुर्दो की स्थिति में सुधार आया है। सद्दाम के शासन के बाद नई सरकार में इराक में कुर्दो की स्थिति बेहतर हुई है। मौजूदा समय में इराक में कुर्द सबसे तातकवर हैं। उनके पास एक स्‍वायत्‍त राज्‍य है। इराक, एक अलग कुर्द राज्‍य के लिए उनकी मदद नहीं कर सकता, क्‍यों कि बगदाद और तुर्की के बीच अच्‍छे रिश्‍ते हैं।

    4- सीरिया के वाईपीजी और पीकेके से अच्‍छे संबंध नहीं है। इन लोगों में राजनीतिक मतभेद भी है। सीरिया और तुर्की के कुर्द मार्क्‍सवादी विचारधारा के हैं, जबकि इराक के कुर्द ऐसे नहीं हैं। वर्ष 2017 में इराकी कुर्दिस्‍तान में स्‍वतंत्रता के लिए जनमत संग्रह हुआ था। इस जनमत संग्रह में 92 फीसद लोगों ने एक अलग देश की मांग की थी। इस जनमत संग्रह को इराक की मौजूदा सरकार ने असंवैधानिक करार दिया था।

    5- इस समय सीरिया से भागकर तुर्की में आने वाले शरणार्थियों की संख्‍या दस लाख से अधिक है। तुर्की इन शरणार्थियों को अपनी सीमा पर बसाना चाहता है। इसको लेकर उसका अमेरिका के साथ करार हुआ है। इस करार के तहत 30 किलोमीटर दूर तक एक सेफ जोन का निर्माण करना था। इसके निर्माण के लिए तुर्की वीईपीजी जैसे संगठनों से भी टकराएगा।

    6- कुर्दिस्‍तान को लेकर आज सबसे बड़ी जंग सीरिया-तुर्की सीमा पर मौजूद पीवाईडी और वाईपीजी संगठनों ने छेड़ी हुई है। तुर्की में इस समय दो करोड़ कुर्द लोग रहते हैं। तुर्की पीकेके की तरह पीवाईडी वाईपीजी को अपना दुश्‍मन मानता है। तुर्की ने वर्ष 2018 में पश्चिमी सीर‍िया में कुर्दो के नियंत्रण वाले आफरिन प्रांत में हमला किया था। इस हमले कई लोग मारे गए थे। तुर्की के दक्षिण पूर्व में कुर्द स्‍वायत्‍ता की मांग करते रहे है। वहीं सीरिया के उत्‍तर पूर्व में वह अपना शासन चला रहे हैं। ईरान के उत्‍तर पश्चिम में भी कूर्द हैं, लेकिन वहां कुर्दिस्‍तान के लिए बड़ा आंदोलन नहीं चल रहा है।

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