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    अरब क्रांति के दौरान जिन तानाशाहों को सत्ता से बेदखल किया गया, वे अब कहां हैं?

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 04:07 PM (IST)

    ट्यूनीशिया में मोहम्मद बुआजीजी की आत्मदाह ने अरब जगत में क्रांति की चिंगारी भड़काई, जिससे कई तानाशाह सत्ता से बेदखल हुए। आज मोहम्मद बुआजीजी के आत्महत्य ...और पढ़ें

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    अरब क्रांति के बाद कई तानाशाह हुए सत्ता से बाहर

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 17 दिसंबर 2010 को ट्यूनीशिया के एक युवा स्ट्रीट वेंडर मोहम्मद बुआजीजी की ठेली पुलिस ने जब्त कर ली थी। पुलिस उत्पीड़न और सरकारी उपेक्षा के खिलाफ मोहम्द ने खुद को आग लगा ली थी। मोहम्द का यह हताशा भरा कदम महज एक व्यक्तिगत विरोध नहीं था, बल्कि यह पूरे अरब जगत में दबी हुई आकांक्षाओं की चिंगारी बन गया।

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    कुछ ही दिनों बाद ट्यूनीशिया की सड़कें लाखों प्रदर्शनकारियों से भर गईं। सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और दशकों पुरानी तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाई। अरब में हुए इस विद्रोह ने जीन एल-आबिदीन बेन अली जैसे 23 साल से सत्ता पर काबिज नेता को मात्र 28 दिनों में सत्ता छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

    अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, ट्यूनीशिया की यह सफलता संक्रामक साबित हुई और देखते-ही-देखते मिस्र, लीबिया, यमन और सीरिया तक फैल गई। 'अरब स्प्रिंग' के नाम से मशहूर इस जन-आंदोलन ने पांच लंबे समय से शासन पर कब्जा किए तानाशाहों को सत्ता से बेदखल कर दिया। आज मोहम्मद बुआजीजी के आत्महत्या के 15 साल बीत चुके हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर अब वो नेता कहां हैं, जिसे अरब क्रांति के दौरान सत्ता से हटाया गया।

    ज़ीन एल-आबिदीन बेन अली

    अरब क्रांति के दौरान पांच नेता सत्ता से बेदखल हुए, जिनकी स्थिति आज अलग-अलग है। ट्यूनीशिया के ज़ीन एल-आबिदीन बेन अली (1987-2011) विरोध के मात्र 28 दिनों में सत्ता छोड़कर सऊदी अरब भाग गए। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन उन्होंने सजा नहीं काटी। 2019 में जेद्दा में उनका निधन हो गया।

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    होस्नी मुबारक

    मिस्र के होस्नी मुबारक (1981-2011) को 18 दिनों के प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा देना पड़ा। होस्नी मुबारक को प्रदर्शनकारियों की हत्या के आरोप में पहले आजीवन कारावास, फिर भ्रष्टाचार के मामले में जेल हुई। हालांकि, 2017 मेंरिहा हो गए और साल 2020 में उनका काहिरा में निधन हो गया।

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    अली अब्दुल्ला सालेह

    यमन के अली अब्दुल्ला सालेह (1978-2012) को 2012 में सत्ता हस्तांतरण समझौते के तहत हटाया गया। इसके बाद उन्होंने हौथियों से गठबंधन किया, लेकिन 2017 में समझौता टूटने पर हौथियों ने उनकी हत्या कर दी।

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    मुअम्मर गद्दाफी

    लीबिया के मुअम्मर गद्दाफी (1969-2011) के खिलाफ प्रदर्शन गृहयुद्ध में बदल गए। नाटो समर्थित विद्रोहियों ने उन्हें पकड़ा और 2011 में हत्या कर दी, इनकी हत्या के बाद लीबिया में 42 साल का शासन समाप्त हुआ।

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    बशर अल-असद

    सीरिया के बशर अल-असद 2000 में 34 वर्ष की आयु में सत्ता में आए। उनका 2000-2024 तक का शासन 14 साल के गृहयुद्ध के बाद 2024 में समाप्त हुआ।

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    दिसंबर 2024 में वे विद्रोहियों के हमले से दमिश्क गिरने पर वे परिवार सहित रूस भाग गए। उनके पिता, हाफ़िज़ अल-असद, एक सैन्य अधिकारी थे जिन्होंने 1970 के तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा कर लिया और 29 वर्षों तक सीरिया पर शासन किया। वर्तमान में बशर अल-असद मॉस्को में निर्वासन में हैं, जहां रूसी निगरानी में अलग-थलग लेकिन विलासितापूर्ण जीवन जी रहे हैं।