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US China Tension: पहली बार ताइवान पर बाइडन प्रशासन हुआ आक्रामक, अगर चीनी सेना ने ताइपे पर हमला किया तो क्‍या करेगी अमेरिकी सेना- एक्‍सपर्ट व्‍यू

US China tension ताइवान पर हक जताने वाला चीन क्‍या अमेरिका के साथ युद्ध के लिए तैयार होगा। ताइवान मामले में अमेरिका को ललकारने वाले चीन के पास क्‍या विकल्‍प है। क्‍या ताइवान स्‍ट्रीट पर चीनी सैन्‍यअभ्‍यास जारी रहेगा। बाइडन के इस फैसले का क्‍या संदेश गया है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 20 Sep 2022 11:09 AM (IST)Updated: Tue, 20 Sep 2022 02:01 PM (IST)
US China Tension: पहली बार ताइवान पर बाइडन प्रशासन हुआ आक्रामक, अगर चीनी सेना ने ताइपे पर हमला किया तो क्‍या करेगी अमेरिकी सेना- एक्‍सपर्ट व्‍यू
China vs America: पहली बार ताइवान पर बाइडन प्रशासन हुआ आक्रामक। एजेंसी।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। China vs America: अमेरिकी कांग्रेस की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद अमेरिका अब आक्रामक मूड में दिख रहा है। अमेरिका ने ताइवान के मामले में अपनी नीति साफ कर द‍िया है। बाइडन प्रशासन ने कहा कि अगर चीन, ताइवान पर हमला करता है तो उसकी सेना मदद में उतरेंगी। बाइडन प्रशासन ने इस बार संकेत में ही अपनी नीति को साफ किया है। अब गेंद पूरी तरह से चीन के पाले में है। ऐसे में सवाल उठता है ताइवान पर हक जताने वाला चीन क्‍या अमेरिका के साथ युद्ध के लिए तैयार होगा। ताइवान मामले में अमेरिका को ललकारने वाले चीन के पास क्‍या विकल्‍प है। क्‍या अब भी वह पश्चिमी देशों के प्रतिनिधिमंडल के आने पर रोक लगाएगा। क्‍या ताइवान स्‍ट्रीट पर चीन का सैन्‍य अभ्‍यास जारी रहेगा। बाइडन प्रशासन के इस फैसले का दुनिया में क्‍या संदेश गया है। इस पर क्‍या है व‍िशेषज्ञों की राय।

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1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि यह पहला मौका होगा जब बाइडन प्रशासन ने ताइवान की सैन्‍य मदद के लिए खुलकर हामी भरी है। इतना ही नहीं, ताइवान को सैन्‍य मदद के लिए व्‍हाइट हाउस ने भी बयान जारी किया है। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान के बाद जो लोग अमेरिकी राष्‍ट्रपति को एक कमजोर राष्‍ट्रपति के रूप में ले रहे थे। उनके लिए यह करारा जवाब है। अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सैन्‍य वापसी के बाद यह कहा जा रहा था कि बाइडन प्रशासन के इस फैसले से अमेरिका की बहुत किरकिरी हुई है। बाइडन के इस फैसले से अमेरिका की महाशक्ति को धक्‍का लगा था।

2- प्रो पंत ने कहा कि मई में भी अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने ताइवान में अमेरिकी सैन्‍य हस्‍तक्षेप की बात स्‍वीकार की थी, लेकिन इस बार उन्‍होंने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि जंग के दौरान अमेरिकी सेना स्‍वशासित द्विपीय देश की रक्षा करेगी। इतना ही नहीं व्‍हाइट हाउस ने इसकी पुष्टि भी की है। उन्‍होंने कहा कि यह चीन के लिए सख्‍त संदेश है। ऐसा करके अमेरिका ने ताइवान पर अपनी नीति को स्‍पष्‍ट कर दिया है। अब गेंद चीन के पाले में है। हालांकि, व्‍हाइट हाउस के इस बयान से चीन को मिर्ची लगी है।

3- उन्‍होंने कहा कि चीन लगातार बाइडन प्रशासन की ताइवान नीति के बारे में जानने की कोशिश में जुटा था। उधर, बाइडन प्रशासन ने ताइवान पर अपने पत्‍ते नहीं खोले थे। अमेरिकी कांग्रेस अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद जिस तरह से चीन ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी, उससे अमरिका को धक्‍का लगा था। चीन ने खुलेआम अमेरिकी सेना को चुनौती दी थी। ऐसे में बाइडन प्रशासन के पास दो ही विकल्‍प थे। प्रो पंत ने कहा अमेरिका या तो चीन की धमकी का जवाब दे और नैंसी को सुरक्षित ताइवान की यात्रा कराए। दूसरे, बाइडन प्रशासन बैकफुट पर आकर नैंसी की यात्रा को स्‍थगित करता। दूसरे, विकल्‍प का मतलब था, अमेरिका बिना लड़े ही चीन के आगे हथ‍ियार डाल देता।

4- प्रो पंत ने कहा कि अब यह देखना दिलचस्‍प होगा कि बाइडन प्रशासन का ताइवान पर ताजा रुख के बाद चीन का क्‍या स्‍टैंड होता है। उन्‍होंने कहा कि चीनी राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग अपने तीसरे कार्यकाल के लिए घरेलू मोर्चे पर कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। ऐसे में चिनफ‍िंग अभी अमेरिका के साथ किसी भी तरह के जंग की स्थिति में नहीं हैं। दूसरे, रूस यूक्रेन जंग के परिणाम भी चीन देख रहा है। ऐसे में चिनफ‍िंग शायद ताइवान को लेकर युद्ध नहीं चाहेंगे। यही कारण है क‍ि चीन कभी अमेरिका को ललकारता है तो कभी कहता है कि वह शांतिपूर्वक ताइवान को हासिल करेगा।

कूटन‍ीतिक समाधान की विफलता के बाद जंग जैसे हालात

नैंसी की ताइवान यात्रा के मामले में कूटनीतिक समाधान फेल हो जाने के बाद इस स्थिति को अमेरिकी सेना पर छोड़ दिया गया था। अमेरिकी सेना के पास नैंसी को ताइवान तक की सुरक्षित यात्रा कराने का जिम्‍मा था। इसके लिए अमेरिकी सेना ने हर तरह की परिस्‍थति से निपटने के लिए रणनीति तैयार की थी। अगर इस यात्रा में चीन कोई अवरोध उत्‍पन्‍न करता है तो उसके लिए अमेरिकी सेना पूरी तरह से तैयार थी। हालांकि, नैंसी की ताइवान यात्रा को अमेरिका में बहुत हाइलाइट नहीं किया गया और अंत में मालूम चला कि नैंसी ताइवान पहुंच गई हैं। अमेरिकी सेना का लक्ष्‍य नैंसी को सुरक्षित ताइवान की यात्रा कराना था। प्रो पंत ने कहा कि ऐसी स्थिति में चीन के पास कोई विकल्‍प नहीं बचता। अगर चीनी सेना नैंसी की सुरक्षा पर किसी प्रकार का प्रहार करती है तो इसका अंजाम अच्‍छा नहीं होता। अगर चीन, ताइवान के मामले में आक्रामक मूड अपनाता है तो दोनों सेनाओं के बीच जंग तय थी। अमेरिकी सेना इसके लिए पूरी तरह से तैयार बैठी थी। ऐसे में चीन को पीछे हटना पड़ा।


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