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    Ukraine War में रूस और ईरान की जुगलबंदी के क्‍या मायने हैं? पुतिन ईरानी हथ‍ियारो का क्‍यों कर रहे इस्‍तेमाल

    why Iran support Russian यूक्रेन जंग में पूरी दुनिया से अलग-थलग पड़ चुके रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन एक गठबंधन की कोशिश में जुटे हैं। उन्‍होंने कहा कि इस कड़ी में पुतिन उन मुल्‍कों को तरजीह दे रहे हैं जो पश्चिमी देशों या अमेरिका के खिलाफ हैं।

    By Ramesh MishraEdited By: Updated: Fri, 21 Oct 2022 07:39 PM (IST)
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    Ukraine War में रूस और ईरान की जुगलबंदी के क्‍या मायने हैं। एजेंसी।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। Iran Support Russian Army: यूक्रेन जंग में ईरान और रूस की निकटता सुर्खियों में हैं। रूस और ईरान की जुगलबंदी अमेरिका और पश्चिमी देशों को अखर रही होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या रूस यूक्रेन संघर्ष में तेहरान को खींचना चाहता है। इसके पीछे रूस की कूटनीतिक चाल क्‍या है। आखिर रूस इस जंग में ईरान को क्‍यों शामिल करना चाहता है। ईरान और रूस के संबंध कैसे रहे हैं। ईरान को रूस की जरूरत क्‍यों है। इन तमाम सवालों पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है।

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    1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि रूस और ईरान के बीच रिश्‍ते काफी जटिल रहे हैं। रूस और ईरान के बीच कई मामलों में ऐतिहासिक रूप से मतभेद रहा है। हालांकि, यूक्रेन जंग के बाद रूस और ईरान एक दूसरे के निकट आए हैं। इतना ही नहीं ईरानी ड्रोनों ने यूक्रेन के शहरों में भारी तबाही मचाई है। प्रो पंत ने कहा कि यूक्रेन जंग के बाद दुनिया के सामरिक रिश्‍तों में बहुत तेजी से बदलाव आया है। युद्ध के बाद रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन दुनिया के कई हिस्‍सों में खारिज किए जा रहे, ऐसे में उन्‍होंने रूस के नए गठबंधन पर ध्‍यान देना शुरू कर दिया है।

    2- प्रो पंत ने कहा कि खास बात यह है कि यूक्रेन पर हमले के बाद रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन पांच दफे व‍िदेश यात्राओं पर जा चुके हैं। राष्‍ट्रपति पुतिन की सभी यात्रा रूस के पड़ोसी और पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए मुल्‍कों में हुई, लेकिन ईरान एक अपवाद देश है। पुतिन ने विरोधी देश ईरान की भी यात्रा की। इस यात्रा के दौरान पुतिन यह दिखाने की कोशिश करते रहे कि पश्चिमी देशों और अमेरिका ने रूस को दुनिया से अलग-थलग करने की कोशिश की है। इतना ही नहीं ईरानी दौरे पर गए पुतिन ने सीरिया का भी जिक्र किया। उन्‍होंने सीरिया के संघर्ष के कूटनीतिक समाधान की अपील की।

    3- प्रो पंत का कहना है कि यूक्रेन जंग में पूरी दुनिया से अलग-थलग पड़ चुके रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन एक गठबंधन की कोशिश में जुटे हैं। उन्‍होंने कहा कि इस कड़ी में पुतिन उन मुल्‍कों को तरजीह दे रहे हैं, जो पश्चिमी देशों या अमेरिका के खिलाफ हैं। उन्‍होंने कहा कि पुतिन की तेहरान यात्रा से अमेरिका को जरूर मिर्ची लगी होगी, क्‍यों क‍ि अमेरिका और ईरान के संबंध काफी तल्‍ख हैं। ऐसे में पुतिन ने ईरान की यात्रा करके अमरिका को संदेश दिया है। 

    4- प्रो पंत ने कहा कि यूक्रेन की राजधानी कीव में ईरान में बने शहीद-136 ड्रोन का इस्‍तेमाल किया गया था। हालांकि, ईरान ने इस ड्रोन को रूस में सप्‍लाई करने से मना क‍िया है। अमेरिका थिंक टैंक की एक र‍िपोर्ट का कहना है कि ईरानियों का एक समूह रूसी सैनिकों को शहीद-136 के इस्‍तेमाल के लिए प्रशिक्षण देने रूस के कब्‍जे वाले यूक्रेनी इलाकों में गया था। इन ड्रोन से यूक्रेनी शहर में जमकर कहर बरपाया गया। यूक्रेन की राजधानी कीव पर भी इस ड्रोन से निशाना बनाया गया।

    5- प्रो पंत ने कहा कि इस समय रूस और ईरान दुनिया के दो सबसे अधिक प्रतिबंध‍ित देशों की अगुवाई कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि सीरिया, बेलारूस और वेनेजुएला पर भी अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं, लेकिन रूस और ईरान पर काफी कठोर प्रतिबंध है। प्रो पंत ने कहा कि 19वीं सदी और 20वीं सदी के प्रारंभ में ईरान को कई बार रूसी हमलों का सामना करना पड़ा था। हालांकि, वर्ष 2007 में पुतिन की ईरान यात्रा के बाद दोनों देशों के रिश्‍तों में नरमी आई। पुतिन की ईरान की यह यात्रा अहम थी क्‍योंकि 1943 में स्‍तालिन की तेहरान यात्रा के बाद किसी रूसी नेता की यह पहली ईरान यात्रा थी।

    6- वर्ष 2014 में क्रीमिया पर रूस के आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने अमेरिका की अगुवाई में मास्‍को पर प्रतिबंध लगाए थे। इसके बाद से रूस, अमेरिका के प्रभाव को कम करने के लिए दुनिया भर में सहयोगी तलाश रहा है। वर्ष 2018 में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोलाल्‍ड ट्रंप ने ईरान परमाणु समझौते से समर्थन वापस लेने के बाद तेहरान को रूस के सहयोग की जरूरत महसूस हुई। ऐसे हालात में ईरान से रूस की नजदीकी के लिए माहौल बन गया। दोनों देशों के हित एक दूसरे से जुड़ गए।

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