क्या है 'घोस्ट शिप' जिसे लेकर वेनेजुएला पर अमेरिका लगा रहा आरोप?
वेनेजुएला पर अमेरिका 'घोस्ट शिप' को लेकर आरोप लगा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। अमेरिका का दावा है कि वेनेजुएला की नौसेना अंतरराष् ...और पढ़ें

समुद्र में 'गायब' होने वाले ये तेल टैंकर कौन हैं? जानें, प्रतिबंधों से बचने के लिए कैसे छिपाते हैं अपनी पहचान!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार पर लगातार दबाव बनाने की कोशिश में लगे हैं। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी सेना ने हाल ही मे वेनेजुएला के तट के पास एक तेल टैंकर को जब्त किया है। यह टैंकर अब तक के जब्त टैंकरों में सबसे बड़ा है। मादुरो की सरकार ने इसकी आलोचना करते हुए इसे खुले तौर पर चोरी करना और डकैती करार दिया है।
माना जा रहा है कि जब्त किया गया टैंकर घोस्ट फ्लीट का हिस्सा है। वेनेजुएला अमेरिकी तेल पाबंदियों से बचने के लिए ऐसा करता है। खैर यह तो थी कि घोस्ट शिप चर्चा में क्यों है, इसकी जानकारी। अब सवाल यह है कि इन जहाजों के बारे में हम क्या जानते हैं और ये कैसे काम करते है?
अमेरिकी ऊर्जा विभाग के मुताबिक, डोनल्ड ट्रंप ने 2019, अपने पहले कार्यकाल के समय वेनेजुएला के तेल उद्योग पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे। इसका सीधा असर यह हुआ कि वेनेजुएला का तेल निर्यात रोजाना लगभग 11 लाख बैरल था वो साल के अंत तक 4.95 लाख बैरल रह गया।
छह साल बीत गए ट्रंप की ओर से लगाई गईपाबंदियांलागूहैं, लेकिन नवंबर 2025 तक वेनेजुएला का तेल निर्यात फिर बढ़कर लगभग 9.2 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है। यह आंकड़ा भले ही 1998 के शिखर- प्रतिदिन 30 लाख बैरलसे काफी कम हो, लेकिन यह साफ है कि पाबंदियां उम्मीद के मुताबिक असरदार नहीं हैं।
अब सवाल यह है कि प्रतिबंध के बावजूद वेनेजुएला का तेल निर्यात रोजाना 9.2 लाख बैरल कैसे हो रहा है?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार ने पाबंदियों को दरकिनार कर तेल बेचने के लिए नए रास्ते खोज लिए हैं। इसमें अहम रोल घोस्ट फ्लीट ने निभाया।
घोस्ट फ्लीट क्या है?
घोस्ट फ्लीट ऐसे तेल टैंकरों का नेटवर्क है, जो अपनी पहचान और गतिविधियों को छिपाकर प्रतिबंधित देशों से तेल की ढुलाई करता है। यह तरीका अब केवल वेनेजुएला तक सीमित नहीं रहा, पश्चिमी देशों के प्रतिबंध का सामना कर रहे रूस और ईरान जैसे देश भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
फाइनेंस इंटेलिजेंस कंपनी एसएंडपी ग्लोबल के अनुमान के मुताबिक, दुनिया में चल रहे हर पांच में से एक तेल टैंकर का इस्तेमाल प्रतिबंधित देशों से तेल की तस्करी में हो रहा है। इनमें से करीब 10 प्रतिशत टैंकर वेनेजुएला, 20 प्रतिशत ईरान और लगभग 50 प्रतिशत रूस के तेल की ढुलाई में लगे हैं।
घोस्ट फ्लीट कैसे काम करता है?
घोस्ट फ्लीट निम्न तरीके से स्ट्रेटजी बनाते हैं..
- वह जहाजों का नाम और झंडा बार-बार बदलता है।
- अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में जहाज-से-जहाज तेल ट्रांसफर करता है।
- ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) को बंद कर लिया जाता है।
- AIS बंद होने से जहाज अपनी लोकेशन, रूट और पहचान छिपा लेते हैं।
- कबाड़ हो चुके टैंकरों की पहचान चुराकर जहाज चलाना, जिन्हें जॉम्बी शिप्स कहा जाता है।
बता दें कि बीते बुधवार को ‘द स्किपर’ नामक एक 20 साल पुराने टैंकर को जब्त किया गया है, जिसे अमेरिकी ट्रेजरी ने 2022 में ही प्रतिबंधित कर दिया था। यह जहाज कथित तौर पर ईरान और लेबनान के सशस्त्र गुटों से जुड़े तेल तस्करी नेटवर्क का हिस्सा रहा है। बड़ी शिपिंग कंपनियां आमतौर पर 15 साल बाद जहाजों को बेच देती हैं और 25 साल बाद उन्हें कबाड़ कर दिया जाता है।एंटी-करप्शन एनजीओ ट्रांसपेरेंसिया वेनेजुएला (Transparencia Venezuela) की अक्टूबर की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के महीनों में वेनेजुएला के बंदरगाहों पर 71 से ज्यादा विदेशी टैंकर संदिग्ध गतिविधियों में शामिल पाए गए। इनमें से 15 पर प्रतिबंध हैं और नौ घोस्ट फ्लीट से जुड़े हैं। 24 टैंकर अपनी लोकेशन सिग्नल बंद करके गुप्त रूप से काम कर रहे थे। कुछ ने अंतरराष्ट्रीय नियमों को ताक पर रखकर जहाज-से-जहाज ट्रांसफर किए।

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