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    Vishwa Hindi Sammelan: वैश्विक मंच पर आवाज उठा रहीं औपनिवेशिक युग के दौरान दबाई गई भाषाएं- एस जयशंकर

    By AgencyEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Wed, 15 Feb 2023 05:54 AM (IST)

    Vishwa Hindi Sammelan फिजी के नादी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कई ऐसी भाषाएं और परंपराएं जो औपनिवेशिक युग के दौरान दबाई गई थीं फिर से वैश्विक मंच पर अपनी आवाज उठा रही हैं।

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    फिजी में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विश्व हिंदी सम्मेलन को किया संबोधित

    नादी, एएनआई। फिजी के राष्ट्रपति विलियम काटोनिवेरे और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नांदी में 12वे विश्व हिंदी सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान जयशंकर ने कहा कि विश्व हिन्दी सम्मेलन जैसे आयोजनों में हमारा ध्यान हिन्दी भाषा के विभिन्न पहलुओं, उसके वैश्विक प्रयोग और उसके प्रचार-प्रसार पर है। हम फिजी, प्रशांत क्षेत्र और अनुबंधित देशों में हिंदी की स्थिति जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

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    जयशंकर ने कहा, ''यह हर्ष की बात है कि हम 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन नांदी में कर रहे हैं। इसके लिए मैं फ़िजी की सरकार का धन्यवाद करता हूं। यह हमारे दीर्घकालिक संबंधों को आगे बढ़ाने का भी अवसर है।

    यह भी पढ़ें: Vishwa Hindi Sammelan: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिजी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का किया उद्घाटन

    विदेश मंत्री ने कहा, ''विश्व हिंदी सम्मेलन जैसे आयोजनों में स्वाभाविक है कि हमारा ध्यान हिंदी भाषा के विभिन्न पहलुओं, उसके वैश्विक उपयोग और प्रचार प्रसार पर रहे। हम फ़िजी, प्रशांत क्षेत्र तथा गिरमिटियों देशों में हिंदी की स्थिति, IT, सिनेमा और साहित्य के हिंदी पर प्रभाव जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे।''

    जयशंकर ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ''हम में से कई लोग विदेशी परिवेश से जुड़े हुए हैं और आगे भी रहेंगे और हो सकता है, वहां घर भी बसाएं। ऐसे में यह जरूरी है कि उन लोगों की पहचान और विरासत पर ध्यान दें, जो अपनी मूल संस्कृति से दूर हैं और इन मुद्दों को बल देने के लिए भाषा को केंद्रित करना एक प्रभावी तरीका है।

    उन्होंने कहा कि वह युग पीछे छूट गया है, जब प्रगति को पश्चिमीकरण के समान माना जाता था। ऐसी कई भाषाएं, परंपराएं, जो औपनिवेशिक युग के दौरान दबा दी गई थीं, वह फिर से वैश्विक मंच पर आवाज उठा रही हैं। ऐसे में आवश्यक है कि विश्व को सभी संस्कृतियों और समाजों के बारे में जानकारी हो।

    इस दौरान केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा, ''मैं फिजी की नई चुनी सरकार को बधाई देता हूं और इस सम्मेलन का फिजी में मनाए जाने के लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं। मुझे आशा है कि यह भारत और फिजी के बीच दीर्घकालीन, ऐतिहासिक और गहरे संबंध को और मजबूत करने में मदद करेगा।

    मुरलीधरन  ने कहा कि विश्व हिंदी सम्मेलन फ़िजी में पहले बार आयोजित हो रहा है। मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद जहां फ़िजी की तरह भारतीय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में है, वहां यह आयोजित हो चुका है। 1975 से नागपुर में शुरू हुए इस सम्मेलन ने 11 पड़ाव पार किए हैं।

    केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि इस 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन की थीम 'हिंदी पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक' है। भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी में समृद्ध विरासत रखता है। खगोल विज्ञान से लेकर इंजीनियरिंग तक और चिकित्सा से लेकर गणित तक पूरी दुनिया हमारे पूर्वजों के योगदान का सम्मान करती है।

    फिजी के राष्ट्रपति विलियम काटोनिवेरे ने कहा कि यह मंच भारत के साथ फ़िजी के ऐतिहासिक और विशेष संबंधों की स्थायी ताकत का जश्न मनाने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है... जब मनोरंजन की बात आती है, तो फ़िजी के लोग बॉलीवुड फिल्में देखना पसंद करते हैं।

    बता दें, विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन फिजी के नादी में 15 से 17 फरवरी तक भारत और फिजी की सरकारों द्वारा सह मेजबानी में किया जा रहा है। पहले विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन 1975 में नागपुर में किया गया था।इस बार के सम्मेलन का मुख्य विषय 'हिंदी-पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' है। 

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