महामारी के कारण संकट में वेनेजुएला समेत अन्य देशों के शरणार्थी: UN
महामारी का प्रकोप तो सब पर है लेकिन शरणार्थियों के लिए यह संकट काफी पीड़ादायक साबित हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी ने इसपर चिंता जताई है।
जेनेवा, एपी। संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी एजेंसी ने गुरुवार को कोरोना वायरस महामारी पर चिंता जताई। एजेंसी के प्रमुख ने अफ्रीका के साहेल ( Sahel) से लैटिन अमेरिका व अन्य क्षेत्रों में इस महामारी के प्रकोप के कारण हो रहे उथल-पुथल पर चिंता जाहिर की साथ ही यह भी कहा कि इस घातक वायरस के कारण लाखों लोग परेशान हैं वहीं इसके कारण लागू प्रतिबंधों ने विदेशों में फंसे रहने पर भी लोगों को मजबूर कर दिया है जहां वे कठिनाई का सामना कर रहे हैं। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के हाई कमिश्नर (U.N. High Commissioner for Refugees) फिलिप्पो ग्रांडी (Filippo Grandi) ने बताया कि 164 देशों ने कोविड-19 (COVID-19) से जंग में अपनी सीमाओं को बंद कर रखा है।
ग्रांडी ने यह भी बताया कि दुनिया का करीब 30-40 फीसद शरणार्थी जनसंख्या शिविरों में रहते हैं। उन्होंने बताया कि COVID-19 के कारण अधिक शिविर प्रभावित नहीं हुए हैं। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार (Cox's Bazar) में रहने वाले लाखों रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय में संक्रमण का मामला सामने आया था। इस महामारी के फैलने के बाद UNHCR ने अपना कैश ट्रांसफर प्रोग्राम बढ़ा दिया है जो सीधे तौर पर विस्थापितों के हाथ में जाता है। ग्रांडी ने कहा 65 देशों को इस तरह के प्रोग्राम से लाभ मिलता है और हमने पिछले कुछ ही महीनों में 40 देशों को जोड़ लिया है।
UNHCR ने बताया कि विस्थापन का आंकड़ा 2010 में 41 मिलियन था जो अब करीब दोगुना हो गया है। दुनिया के विस्थापितों में दो तिहाई हिस्सेदारी पांच देशों- सीरिया, वेनेजुएला, अफगानिस्तान, दक्षिणी सूडान और म्यांमार की है। उन्होंने कहा, 'कोविड-19 के कारण दुनिया रुक गई लेकिन संघर्ष, हिंसा,भेदभाव, जंग आदि को रोकने में सफल नहीं रहा।' लोग अभी भी अपने देशों से निकल कर दूसरे देशों में शरण की मांग कर रहे हैं। इसपर विचार करने की जरूरत है।' उन्होंने परिषद से कहा, 'उदाहरण के लिए मौजूदा समय में दक्षिण अफ्रीका का साहेल इलाका मुझे सबसे अधिक चिंतित करता है।'
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