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    सुरक्षा परिषद ने काबुल एजुकेशन सेंटर में हुए आतंकवादी हमले की निंदी की, 24 लोगों की गई जी जान

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Wed, 28 Oct 2020 11:03 AM (IST)

    24 अक्‍टूबर को काबूल एजुकेशन सेंट पर आतंकी हमले की संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद ने निंदा की है। सुरक्षा परिषद ने कहा कि यह एक कायरतापूर्ण कार्य है। इस हमले में 24 लोगों की मौत हुई थी। इसकी जिम्‍मेदारी आइएसआइएल ने लिया है।

    अफगानिस्‍तान की राजधानी काबूल में आतंकवादी हमले की फाइल फोटो।

    संयुक्‍त राष्‍ट्र, एजेंसी। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्‍तान में एक शिक्षा केंद्र में हुए आतंकवादी हमलों पर इसकी कड़ी निंदा की है। परिषद ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह एक कायरतापूर्ण कार्य है। बता दें कि 24 अक्‍टूबर को काबूल एजुकेशन सेंटर पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में 24 छात्रों की मौत हुई थी। इस हमले की जिम्‍मेदारी आइएसआइएल ने लिया है।

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    हिंसा को कम करने के लिए निरंतर प्रयास पर जोर दिया

    सुरक्षा परिषद ने अपने बयान में अफगानिस्‍तान में जारी हिंसा और सुरक्षा पर गहरी चिंता व्‍यक्‍त की है। परिषद ने अफगानिस्‍तान में हिंसा को कम करने के लिए निरंतर प्रयास पर जोर दिया है। सुरक्षा परिषद ने कहा है कि इसके लिए अधिक प्रयास करने की जरूरत है। सुरक्षा परिषद का यह बयान ऐसे समय आया है, जब संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर वैश्विक संघर्ष विराम का आह्वान किया है।

    शिया बहुल इलाके में एक शिक्षण केंद्र के बाहर हुआ हमला

    बता दें कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार को हुए आत्मघाती हमले में स्कूली बच्चों सहित 24 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 57 अन्य घायल हुए थे। गृह मंत्रालय ने बताया कि धमाका पश्चिमी काबुल के दश्त-ए-बारची स्थित शिया बहुल इलाके में एक शिक्षण केंद्र के बाहर हुआ था। तालिबान ने इस धमाके में हाथ होने से इन्‍कार किया है। बता दें कि इस्लामिक स्टेट से जुड़े संगठन ने अगस्त 2018 में इसी तरह शिक्षण केंद्र पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 34 छात्रों की मौत हुई थी।

    शांति समझौते से आइएस के खिलाफ लड़ाई पर ध्यान होगा केंद्रित

    अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि तालिबान के साथ शांति समझौते से इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। इस्लामिक स्टेट, तालिबान का प्रतिद्वंद्वी है। देश में तालिबान और अफगान बलों के बीच हिंसा में वृद्धि देखी गई है। वहीं तालिबान और सरकार के प्रतिनिधि कतर की राजधानी दोहा में अफगानिस्तान में दशकों लंबे युद्ध को खत्म करने के लिए शांति वार्ता कर रहे हैं। बता दें कि अफगानिस्तान के अंदर इस्लामिक स्टेट ने बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक शियाओं, सिखों और हिंदुओं को निशाना बनाया है। इन समुदायों को वह गैर मजहबी मानते हैं।