'संयुक्त राष्ट्र अपरिहार्य है, इसे अधिक उत्तरदायी बनने की जरूरत', दक्षिण अफ्रीका में बोले शशि थरूर
शशि थरूर ने दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में 15वें डेसमंड टूटू अंतरराष्ट्रीय शांति व्याख्यान में कहा, 'हमें संयुक्त राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से स्थापित करने की जरूरत है। मैंने 1978 से 2007 तक तीन दशकों तक संयुक्त राष्ट्र में काम किया और प्रत्यक्ष रूप से देखा कि कैसे यह शीत युद्ध के बाद रणक्षेत्र से बदलकर वैश्विक सहयोग की प्रयोगशाला बन गया।

'संयुक्त राष्ट्र अपरिहार्य है, इसे अधिक उत्तरदायी बनने की जरूरत'- शशि थरूर (फाइल फोटो)
पीटीआई, केप टाउन। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने गुरुवार को कहा कि गाजा और यूक्रेन को लेकर भले ही संयुक्त राष्ट्र विफल रहा हो, लेकिन यह वैश्विक निकाय अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में जब सैद्धांतिक रूप से वैश्विक सहयोग की पहले से अधिक आवश्यकता है, तो संयुक्त राष्ट्र के लिए यह चुनौती है कि वह अधिक उत्तरदायी और प्रतिनिधिक बने।
संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव रह चुके थरूर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अलग-अलग छोड़ने का मतलब मानवता की साझा भावना को ही छोड़ देना है।
तिरुअनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर ने दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में 15वें डेसमंड टूटू अंतरराष्ट्रीय शांति व्याख्यान में कहा, 'हमें संयुक्त राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से स्थापित करने की जरूरत है। मैंने 1978 से 2007 तक तीन दशकों तक संयुक्त राष्ट्र में काम किया और प्रत्यक्ष रूप से देखा कि कैसे यह शीत युद्ध के बाद रणक्षेत्र से बदलकर वैश्विक सहयोग की प्रयोगशाला बन गया।
डेसमंड टूटू ने रंगभेद को खत्म करने में मदद करने से कहीं अधिक किया
इस दौरान शशि थरूर ने कहा कि दिवंगत आर्कबिशप डेसमंड टूटू ने साउथ अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में सिर्फ मदद ही नहीं की, बल्कि इससे भी अधिक प्रयास किए थे।
थरूर ने कहा कि टूटू की विरासत को अक्सर रंगभेद को खत्म करने में उनकी भूमिका से जोड़ा जाता है, एक ऐसा संघर्ष जिसके लिए उन्हें 1984 में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था।
लेकिन उन्हें सिर्फ उस अध्याय तक सीमित करना उनकी नैतिकता की पूरी गहराई को नजरअंदाज करना होगा। उनकी लड़ाई सिर्फ दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय अन्याय के खिलाफ नहीं थी, बल्कि यह हर उस प्रणाली के खिलाफ थी जिसने इंसान की गरिमा को नकारा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।