कीव, रायटर। संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में रूस, यूक्रेन और तुर्किये के बीच हुए समझौते के तहत अभी तक 37 लाख टन खाद्यान्न यूक्रेन से विभिन्न देशों में पहुंच चुका है। यह खाद्यान्न 165 मालवाहक जहाजों के जरिये काला सागर के रास्ते भेजा गया है।

युद्ध के चलते रुक गया था यूक्रेन से खाद्यान्न का निर्यात

रविवार को यूक्रेन के बंदरगाहों से दस जहाजों में कुल 1,69,300 टन अनाज रवाना किया गया। इनमें से आठ जहाज ओडेसा के बंदरगाह से रवाना हुए। 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूक्रेन से खाद्यान्न का निर्यात रुक गया था। जबकि अमेरिका और यूरोप के प्रतिबंधों के चलते रूस से खाद्यान्न निर्यात रुका हुआ था। इसके चलते विश्व में खाद्यान्न संकट का खतरा पैदा हो गया था।

समझौते के बाद काला सागर के बंदरगाहों को फिर से खोला गया

उल्लेखनीय है कि रूस और यूक्रेन दुनिया का 35 प्रतिशत खाद्यान्न निर्यात करते हैं। युद्ध से पहले यूक्रेन को दुनिया की रोटी की टोकरी के रूप में देखा जाता था। यूक्रेन अपने बंदरगाहों के जरिए प्रति माह 45 लाख टन कृषि उत्पाद निर्यात करता था, लेकिन जब से रूस ने युक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू किया है, तब से उसका निर्यात गिर गया है और दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छू गई थीं।

इसे भी पढ़ें: Pakistan Flour Crisis: पाकिस्तान में अब 'रोटी' खाना भी हुआ मुश्किल, 125 रुपये में बिक रहा एक किलो आटा

संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में हुए समझौते के बाद यूक्रेन ही नहीं रूस से भी खाद्यान्न निर्यात का रास्ता साफ हुआ। 22 जुलाई को समझौते पर हस्ताक्षर के तहत तीन काला सागर बंदरगाहों को फिर से खोल दिया गया। मास्को और कीव के मंत्रालय ने इन बंदरगाहों को कहा है कि वे प्रति माह 100-150 मालवाहक जहाजों को लोड करने और विदेश भेजने में सक्षम हैं। इसके बाद दुनिया को राहत मिली और खाद्यान्न की बढ़ती कीमतें नियंत्रित हुईं।

कई देशों में बढ़ा खाद्यान्न संकट

निर्यात रुकने से पूरे विश्व बाजार में गेहूं और मक्का की कीमतें बढ़ रही थीं। गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक रूस पर प्रतिबंध की वजह से वहां का खाद्यान्न भी विश्व बाजार में नहीं पहुंच रहा, इसलिए कई देशों के समक्ष दाने-दाने के लिए मोहताज होने का खतरा पैदा हो गया है।

इसे भी पढ़ें: गैर बासमती चावल विदेश भेजना होगा महंगा, सरकार ने लगाया 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी

Edited By: Arun Kumar Singh