गैर बासमती चावल विदेश भेजना होगा महंगा, सरकार ने लगाया 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी
कुछ राज्यों में खराब बारिश के कारण चालू खरीफ सीजन में धान की फसल का रकबा 5.62 प्रतिशत घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है। चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक भारत है। वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है।
नई दिल्ली, एजेंसी। देश में चावल की बढ़ती कीमतों और धान की बोआई का रकबा घटने के बाद पैदावार में कमी की आशंका के चलते सरकार ने उसना चावल को छोड़कर गैर बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का एलान किया है। इससे विदेश में चावल भेजना महंगा हो जाएगा। नौ सितंबर से यह फैसला लागू होगा।
कुछ राज्यों में खराब बारिश के कारण धान की फसल का रकबा घटा
दरअसल, खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के सिफारिशों के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। मंत्रालय ने पीडीएस और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए पर्याप्त स्टाक रखने के लिए चावल के निर्यात पर कर लगाने की सलाह दी थी। कुछ राज्यों में खराब बारिश के कारण चालू खरीफ सीजन में धान की फसल का रकबा 5.62 प्रतिशत घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है। चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक भारत है। वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है।
कर लगाने से निर्यात में आएगी 20 से 30 लाख टन की कमी
वित्त वर्ष 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया गया है। इसमें लगभग 31 लाख टन बासमती चावल था। देश ने 2021-22 में 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया। आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने निर्यात शुल्क का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय चावल को बहुत कम कीमत पर निर्यात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कर लगाने से गैर बासमती चावल के निर्यात में 20 से 30 लाख टन की कमी आएगी।