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    Turkiye Earthquake: भूकंप के बाद 'हिल रही राष्ट्रपति एर्दोगेन की कुर्सी', सरकार को लेकर लोगों में बढ़ा आक्रोश

    By AgencyEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Mon, 13 Feb 2023 06:37 PM (IST)

    तुर्किये में आए भूकंपों ने तुर्केय के राष्ट्रपति रिसेप तैयप एर्दोगेन की चुनावी योजनाओं पर भी पानी फेर दिया है। पिछले 20 सालों में पहली बार एर्दोगेन का राजनैतिक भविष्य दाव पर लगा है। अब उन्हें साबित करना होगा वे ऐसे नेता है जो काम कर सकते हैं।

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    तुर्किये के राष्ट्रपति रिसेप तैयप एर्दोगेन की फाइल फोटो।

    निकोसिया, एजेंसी। दक्षिण-पूर्वी तुर्केय और सीरिया में पिछले सोमवार को आए दो बड़े भूकंपों ने तबाही मचा दी। इसके कारण अबतक तुर्केय में 31 हजार से अधिक लोगों और सीरिया में 3500 ये अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों लोग घायल हुए हैं और अनगितन लोग लापता हैं। लेकिन इन भूकंपों ने तुर्केय के राष्ट्रपति रिसेप तैयप एर्दोगेन की चुनावी योजनाओं पर भी पानी फेर दिया है।

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    खुद को बेहतर नेता साबित करना होगा

    पिछले 20 सालों में पहली बार एर्दोगेन का राजनैतिक भविष्य दाव पर लगा है। अब उन्हें साबित करना होगा वे ऐसे नेता है जो काम कर सकते हैं। इसके साथ ही राष्ट्र के संसाधनों का उपयोग प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कर सकते हैं। साथ ही उन्हें अपने घर व जीवन दोबारा खड़े करने में मदद कर सकते हैं।

    रिक्टर स्केल पर 7.7 और 7.9 वाले दो भीषण भूकंपों के कारण दस प्रांतों में इमारतें ताश की तरह बिखर गईं। इनमें हजारों रहवासी और सार्वजनिक इमारतों के अतिरिक्त होटल और अस्पताल भी शामिल हैं। भूकंप के कारण 7.6 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। यूएन इमरजेंसी रिलीफ कॉर्डिनेटर मार्टीन ग्रीफिथ्स कहते हैं कि मौतों का आंकड़ा दोगुना होने की आशंका है।

    नियमों का रखा गया ताक पर

    तुर्केय के बहुत से लोग सरकार पर गुस्सा हैं। क्योंकि 1999 में आए विनाशकारी भूकंप (जिसमें 17 हजार से अधिक लोग मारे गए थे।) के बाद नियम कड़े किए गए थे। इनके तहत नई इमारतों को भूकंप रोधी प्रावधानों के साथ बनाना अनिवार्य था। हालांकि स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा इसे शिथिलता के साथ लागू करवाया गया और बहुत सी इमारतों का निर्माण अमानक आधारों पर किया गया। इससे इमारतें असुरक्षित हो गईं।

    इतना ही नहीं सरकार ने तात्कालीन इमारतों को भूकंपरोधी बनाने के लिए विशेष कर भी लगाया। इसके माध्यम से 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर एकत्र किए गए। लेकिन ऐसा दावा किया जाता है कि इसमें से थोड़ी सी राशि ही भूकंप से रक्षा के उपाय करन के लिए इस्तेमाल की गई। बाकी राशि अन्य कामों में लगा दी गई।

    एक साल में सबको घर देने का वादा

    राष्ट्रपति एर्दोगेन ने भूकंप पीड़ितों के गुस्से को कम करने की कोशिश करते हुए कहा कि ऐसी चीजें हमेशा होती रहती हैं। यह भाग्य की योजनाओं का हिस्सा है। उन्होंने हर बेघर परिवार को 530 अमेरिकी डॉलर की तत्काल मदद का वादा किया। इसके साथ ही उन्होंने अयथार्थपूर्ण तरीके से यह वादा भी किया कि हाउसिंग मंत्रालय एक साल में भूकंप में बेघर हुए प्रत्येक परिवार के लिए नए घर बनाकर देगा।

    एर्दोगेन ने यह स्वीकारा की भूकंप पीड़ितों के लिए बचाव सेवाए एकदम सटीक नहीं थीं। उन्होंने वादा किया कि इसके लिए जिम्मेदारों पर कार्यवाही की जाएगी। कई दिनों से खाने और आश्रय के बैगर गुजारा कर रहे भूकंप पीड़ितों ने 10 फरवरी को न्याय मंत्री बेकिर बोजदेग को दियारबकिर प्रांत के येनीशायर जिले में घेर लिया था।

    विपक्ष ने साधा निशाना

    विपक्षी रिपब्लिकन पिपुल्स पार्टी के नेता केमाल किलिचदारोगुल ने एर्दोगेन सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले हफ्ते भूकंप के कारण हुई भीषण तबाही का कारण निर्माण क्षेत्र में सरकार द्वारा किया गया भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा की एर्दोगेन सरकार ने 20 सलों से अधिक की सत्ता के बावजूद देश को भूकंप के लिए तैयार नहीं किया। इसलिए मैं कभी एर्दोगेन से मिनले की नहीं सोच रहा हूं। मैं इस पूरे मामले को राजनीति से अलग करके नहीं देख सकता। उनकी राजनीति ने ही हमें यहां ला खड़ा किया है।

    जिम्मेदारों पर होगी कार्यवाही

    प्राप्त जानकारी के अनुसार धराशाही हुई इमारतों के निर्माण में शामिल 113 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट किया गया है। इनमें ठेकेदार और आर्किटेक्ट शामिल हैं। 12 लोग पहले ही हिरासत में लिए जा चुके हैं। तुर्केय के बहुत से लोग इस तरह की कार्यवाही से निराश हैं। उनका मानना है कि भूकंप संभावित क्षेत्रों में बड़े स्तर पर निर्माण ही अनुमति सरकार द्वारा दी गई। अब आरोपों की दिशा मोड़ते हुए ठेकेदारों और आर्किटेक्ट्स पर ठीकरा फोड़ा जा रहा है।

    भूकंप ने राष्टपति एर्दोगेन को एक कठिन मोड़ पर ला खड़ा किया है। कुछ दिन पहले उन्होंने चुनावों को जून की जगह मई में करवाने की योजना बनाई थी। लेकिन हालिया स्थितियों में चुनावों को कुछ और महीनों के लिए आगे बढ़ना पड़ सकता है। ताकि लोगों के गुस्से को कम किया जा सके और खुद को एक ऐसे सक्षम नेता के तौर पर प्रस्तुत किया जा सके जो कठिन स्थितियों से सफलता से निपट सकता है। लेकिन इसके लिए उन्हें सिर्फ बातों की बजाए वास्तविक परिणाम प्रदर्शित करने होंगे।

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