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    Afganistan Refugees: तुर्की और ईरानी अधिकारियों ने मारे 14 अफगान शरणार्थी, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने किया दावा

    By Mohd FaisalEdited By:
    Updated: Wed, 31 Aug 2022 03:17 PM (IST)

    अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद से ही अफगान नागरिकों ने दूसरे देशों में शरण ली है। इस बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अफगान नागरिकों को लेकर बड़ा दावा किया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार तुर्की और ईरानी अधिकारियों ने 14 अफगान शरणार्थियों को मार दिया है।

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    तुर्की और ईरानी अधिकारियों ने मारे 14 अफगान शरणार्थी (फाइल फोटो)

    काबुल, एजेंसी। Afganistan Refugees- एमनेस्टी इंटरनेशनल ने तुर्की और ईरानी सीमा अधिकारियों पर पिछले साल कम से कम 14 अफगान शरणार्थियों की हत्या करने का आरोप लगाया है। यूके स्थित एनजीओ ने कहा कि उसने बुधवार को जारी 'दे डोंट ट्रीट यू लाइक ह्यूमन' नामक एक रिपोर्ट में ईरानी सुरक्षा बलों द्वारा 11 अफगानों और तुर्की सुरक्षा बलों द्वारा 3 की 'गैरकानूनी हत्या' का दस्तावेजीकरण किया था।

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    सुरक्षा बलों ने अफगानों पर किया था हमला

    डीपीए समाचार एजेंसी के अनुसार, राइट्स ग्रुप ने कहा कि ईरानी और तुर्की सुरक्षा बलों ने देशों को पार कर रहे अफगानों पर हमला किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरानी सुरक्षा बलों ने भीड़-भाड़ वाली कारों पर बार-बार गोलियां चलाईं, जबकि तुर्की के सीमा प्रहरियों ने अवैध रूप से गोला-बारूद का इस्तेमाल किया। बता दें कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से ये आंकड़े उस अवधि से संबंधित हैं। तब से देश में मानवीय स्थिति काफी खराब हो गई है।

    43,000 नागरिकों को भेजा जा चुका है अफगानिस्तान

    तुर्की यूरोपीय देशों के नागरिकों को कन्वेंशन के तहत शरणार्थी का दर्जा देता है, जबकि सीरियाई शरणार्थियों को केवल एक अस्थायी सुरक्षा का दर्जा प्रदान करता है। अन्य गैर सरकारी संगठनों की कई रिपोर्टों से पता चलता है कि अधिकांश भाग के लिए तुर्की में अफगानों को शरणार्थी का दर्जा भी नहीं दिया जाता है। तुर्की के गृह मंत्रालय के अनुसार, इस साल अब तक लगभग 43,000 अफगानों को अफगानिस्तान भेजा जा चुका है।

    15 अगस्त को किया था तालिबान ने कब्जा

    बता दें कि 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था। इस घटना ने भारत समेत अंतरराष्ट्रीय जगत की चिंताएं बढ़ा दी थी। इस घटना को एक साल हो गया है। लेकिन आज भी अफगानी नागरिक दहशत में हैं। साथ ही तालिबान राज में हजारों नागरिक देश छोड़ चुके हैं।