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    तुर्की के राष्ट्रपति की स्वीडन और फिनलैंड को धमकी, वादे नहीं किए पूरे तो NATO में शामिल होने से रोक देगा

    By AgencyEdited By: Mohd Faisal
    Updated: Mon, 03 Oct 2022 09:52 AM (IST)

    तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने एक बार फिर स्वीडन और फिनलैंड के उत्तर अटलांटिक संघि संगठन (नाटो) में शामिल नहीं होने देने की धमकी दी है। उन्होंने ये चेतावनी ऐसे वक्त दी है जब ज्यादातर देशों से मंजूरी मिल गई है।

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    तुर्की के राष्ट्रपति की स्वीडन और फिनलैंड को धमकी (फाइल फोटो)

    निकोसिया, एजेंसी। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने एक बार फिर स्वीडन और फिनलैंड को धमकी दी है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने कहा कि अगर वे अंकारा से किए गए अपने वादे पूरे नहीं करते हैं तो वे नाटो गठबंधन में शामिल होने के उनके प्रयासों को रोक देंगे।

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    तुर्की की संसद में राष्ट्रपति एर्दोगन ने दिया था बयान

    पिछले शनिवार को तुर्की की संसद में बोलते हुए राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा है कि तुर्की ने बारीकी से निगरानी की है कि क्या स्वीडन और फिनलैंड द्वारा किए गए वादों को पूरा किया गया था। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे देश से किए गए वादे पूरे नहीं किए जाते, तब तक हम अपनी सैद्धांतिक स्थिति को बनाए रखेंगे। अंतिम निर्णय हमारी संसद द्वारा लिया जाएगा।

    ज्यादातर NATO देशों ने दी मंजूरी

    उन्होंने कहा कि सभी 30 सदस्य देशों द्वारा नाटो सदस्यता आवेदनों को मंजूरी दी जानी चाहिए। बता दें कि अब तक हंगरी और तुर्की को छोड़कर सभी नाटो सदस्य देशों ने स्वीडन और फिनलैंड की सदस्यता को मंजूरी दे दी है। इससे पहले मई माह में तुर्की ने घोषणा की थी कि वह नाटो में शामिल होने के लिए स्वीडन और फिनलैंड की मंजूरी को तब तक रोकेगा, जब तक कि ये दोनों देश अपने क्षेत्र में सक्रिय कुर्द आतंकवादी समूहों का समर्थन करना बंद नहीं कर देते।

    तुर्की और नॉर्डिक देशों के बीच हुआ समझौता

    बता दें कि 28 जून को मैड्रिड में नाटो शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले तुर्की और दो नॉर्डिक देशों के बीच एक समझौता हुआ था। जिसमें प्रत्यर्पण अनुरोधों पर काम तेज करने और उग्रवादियों से संबंधित अपने कानूनों को सख्त करने पर जोर दिया गया था। हालांकि, इस समझौते के बावजूद एर्दोगन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंकारा स्वीडन और फिनलैंड के समझौते को लागू करने के तरीके से संतुष्ट नहीं है। उल्लेखनीय है कि इस साल एर्दोगन ने सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और इजराइल जैसे कई देशों के साथ तुर्की के खराब संबंधों को सुधारने के लिए प्रयास किए है।

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