अमेरिकी प्रतिबंधों से खफा है उत्तर कोरिया, कहीं पहले की तरह हों न जाए संबंध
उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच सिंगापुर वार्ता के बाद जो संबंध सुधरने की कवायद दिखाई दी थी अब उस पर फिर संकट के बाद मंडरा रहे हैं।
नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच सिंगापुर वार्ता के बाद जो संबंध सुधरने की कवायद दिखाई दी थी अब उस पर फिर संकट के बाद मंडरा रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस वार्ता के बाद उत्तर कोरिया की तरफ से एक बार फिर न्यूक्लियर प्रोग्राम को आगे बढ़ाने की बात सामने आई थी। इसके बाद अमेरिका ने कड़ा रुख इख्तियार करते हुए उस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। अब इन्हीं प्रतिबंधों की वजह से उत्तर कोरिया सख्त नाराजगी जाहिर कर रहा है। कहा ये भी जा रहा है कि अमेरिका उत्तर कोरिया पर ट्रैवल बैन भी लगा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि इसी तरह की कवायद दोनों देशों की तरफ से आगे भी जारी रहेंगी तो मुमकिन है कि दोनों के संबंध पहले की ही तरह उलझ जाएं।
उत्तर कोरिया ने अमेरिका द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के प्रयासों पर सकारात्मक रुख अपनाने को कहा है। कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से कहा है कि उत्तर कोरिया सिंगापुर में अमेरिका और प्योंगयांग के शीर्ष नेताओं के बीच हुए समझौतों को लागू करने के अपने रुख पर कायम है।
सिन्हुआ के अनुसार, प्योंगयांग ने आशा व्यक्त की थी कि परमाणु परीक्षण और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) परीक्षण को रोकने व परमाणु परीक्षण स्थलों को नष्ट करने जैसे सद्भावना उपाय संबंधों में सुधार करने में योगदान करेंगे। बयान के अनुसार, अमेरिका ने हमारी उम्मीदों का जवाब उत्तरी कोरिया के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और दबाव को बढ़ाकर दिया है।
आपको यहां पर बता दें कि इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी वित्त विभाग ने रूस के एक व्यावसायिक बैंक सहित एक शख्स और तीन कंपनियों पर उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों के साथ कथित संबंध होने की वजह से प्रतिबंधों का ऐलान किया था। वहीं उत्तर कोरिया के प्रवक्ता का कहना है कि इस तरह के कदमों के साथ कोई भी उत्तरी कोरिया-अमेरिका के संयुक्त बयान के कार्यान्वयन में किसी भी प्रगति की उम्मीद नहीं कर सकता, जिसमें परमाणु निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया शामिल है। इसके अलावा इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कोरियाई प्रायद्वीप पर स्थिरता का माहौल बना रहेगा।
यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि सिंगापुर वार्ता से पहले और बाद में उत्तर कोरिया ने अपनी कुछ न्यूक्लियर परीक्षण साइट को नष्ट कर दिया था। इस बात की तस्दीक अमेरिकी सैटेलाइट्स ने भी की थी। लेकिन इसके बाद ही उत्तर कोरिया की तरफ से दोबारा न्यूक्लियर प्रोग्राम शुरू करने की बात सामने आई, जिसने माहौल बिगाड़ने का काम किया। यहां पर ये भी ध्यान में रखना जरूरी होगा कि पिछले माह जब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने प्योंगयोंग का दौरा किया था तब भी उत्तर कोरिया की तरफ से अमेरिकी रुख को लेकर निराशा व्यक्त की गई थी। इस दौरे के बाद उत्तर कोरियाई न्यूज़ एजेंसी ने कहा था कि अमेरिका का रवैया अफसोसजनक है।
सरकार के प्रवक्ता ने उस वक्त सीधे तौर पर कहा था कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए जो मांगें कर रहे हैं वो एकतरफा हैं। अमेरिकी मीडिया में इस तरह की खबरें भी सामने आई थीं कि उत्तर कोरिया परमाणु निरस्त्रीकरण के अपने वायदे से मुकर रहा है और अपने परमाणु कार्यक्रम को गोपनीय तरीके से आगे बढ़ा रहा है। इसको लेकर ही एक बार फिर से उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों का दौर शुरू हुआ। अब इसको लेकर ही बयानबाजी का भी दौर एक बार फिर से शुरू हो गया है।