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    तस्लीमा नसरीन ने शेयर किया दीपू चंद्र दास की हत्या से पहले का वीडियो, पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल

    Updated: Sat, 20 Dec 2025 09:30 PM (IST)

    तस्लीमा नसरीन ने दीपू चंद्र दास की हत्या से पहले का एक वीडियो साझा किया है, जिससे मामले की संवेदनशीलता बढ़ गई है। उन्होंने इस मामले में पुलिस की भूमिक ...और पढ़ें

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    तस्लीमा नसरीन ने शेयर किया दीपू चंद्र दास का वीडियो। (X- @taslimanasreen)

    स्मार्ट व्यू- पूरी खबर, कम शब्दों में

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में 25 साल के हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की कट्टरपंथियों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी और उसकी लाश को पेड़ से बांधकर आग लगा दी। दीपू चंद्र दास का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने शेयर किया है।

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    वायरल वीडियो में दीपू चंद्र दास नीली टीशर्ट और ट्राउजर पहने हुए एक बैंच पर बैठे हैं और पास खड़े कुछ लोगों को समझाने की कोशिश करते दिख रहे हैं, जिन्होंने पुलिस की वर्दी पहन रखी है। यह वीडियो बांग्लादेश के मैमनसिंह में एक कट्टरभीड़ द्वारा पीट-पीटकर उनकी हत्या किए जाने से पहले का है।

    तस्लीमा नसरीन उठाए पुलिस की भूमिका पर सवाल

    निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन, जो अपनी विवादित आत्मकथा 'अमर मेयेबेला' के लिए जानी जाती हैं, जिसनें उन्होंने अपने बचपन में यौन शोषण और धार्मिक उत्पीड़न के अनुभवों का विस्तार से वर्णन किया है। उन्होंने घटनाओं का एक सिलसिला शेयर किया है, जिसके बारे में उनका दावा है कि दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या में पुलिस की भी भूमिका हो सकती है।

    उन्मादी भीड़ दीपू पर टूट पड़ी- तस्लीमा नसरीन

    X पर अपनी पोस्ट में, तस्लीमा नसरीन ने कहा, "दीपू चंद्र दास मैमनसिंह के भालुका में एक फैक्ट्री में काम करते थे। वह एक गरीब मजदूर थे। एक दिन, एक मुस्लिम सहकर्मी उन्हें किसी मामूली बात पर सजा देना चाहता था, इसलिए भीड़ के बीच उसने घोषणा की कि दीपू ने पैगंबर के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है।"

    "बस इतना ही काफी था। पैगंबर के उन्मादी अनुयायी लकड़बग्घों की तरह दीपू पर टूट पड़े और उसे फाड़ना शुरू कर दिया। आखिरकार, पुलिस ने उसे बचाया और हिरासत में ले लिया, जिसका मतलब है कि दीपू पुलिस की सुरक्षा में था।"

    उन्होंने आगे लिखा, "दीपू ने पुलिस को बताया कि क्या हुआ था, उसने कहा कि वह निर्दोष है, उसने पैगंबर के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की थी और यह सब उस सहकर्मी की साजिश थी। पुलिस ने उस सहकर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की"। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस बल में कई लोगों को जिहाद से लगाव है।

    तस्लीमा नसरीन ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए पूछा, "क्या यह जिहादी जोश की अति थी कि उन्होंने दीपू को वापस उन कट्टरपंथियों के हवाले कर दिया? या जिहादी आतंकवादियों ने पुलिस को धक्का देकर दीपू को थाने से बाहर निकाल लिया? उन्होंने एक पूरा जश्न मनाया, दीपू को पीटा, उसे लटकाया, उसे जलाया।"

    तस्लीमा नसरीन ने कहा कि दीपू चंद्र दास अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। उनकी कमाई से उनके विकलांग पिता, मां, पत्नी और बच्चा गुजारा करते थे। अब उनका क्या होगा? रिश्तेदारों की मदद कौन करेगा? इन पागल हत्यारों को सजा कौन दिलाएगा? दीपू के परिवार के पास जिहादियों के हाथों से बचने के लिए भारत भागने के भी पैसे नहीं हैं। गरीबों का कोई नहीं है। उनके पास न कोई देश बचा है, न ही कोई धर्म बचा है।"

    कौन हैं तस्लीमा नसरीन?

    तसलीमा नसरीन कई सालों से भारत, पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में निर्वासन में रह रही हैं। उनकी लेखनी से कट्टरपंथियों को ठेस पहुंचने के बाद उनका बांग्लादेशी पासपोर्ट रद्द कर दिया गया था और उन्हें जान से मारने की धमकियां मिली थीं। बाद में उन्हें स्वीडिश सरकार ने नागरिकता दे दी थी।

    शशि थरूर ने बांग्लादेश सरकार पर उठाए सवाल

    उनके पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जानना चाहा कि दास की लिंचिंग करने वालों को सजा देने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

    थरूर ने पूछा, "बांग्लादेश में फैली भीड़तंत्र के बीच यह एक असहनीय दुखद घटना है। इन अमानवीय अपराधियों के हाथों इस गरीब हिंदू व्यक्ति की मौत पर दुख जताते हुए, मैं बांग्लादेश सरकार द्वारा जारी निंदा की सराहना करता हूं, लेकिन उनसे पूछना चाहता हूं कि वे हत्यारों को सजा देने के लिए क्या कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों?"