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    तालिबान सदस्य सुहैल शाहीन ने की फ्रांस के दूत से मुलाकात, अफीम की खेती रोकने पर हुई चर्चा

    By Ashisha RajputEdited By:
    Updated: Tue, 19 Apr 2022 07:17 AM (IST)

    रिपोर्टों के अनुसार अफीम की खेती और मादक पदार्थों की तस्करी तालिबान व अफगान के दक्षिणी और उत्तरी हिस्सों में आय का एक बड़ा स्रोत प्रदान करती है। वहीं इसके साथ ही नशीली दवाओं की तस्करी का अधिकांश हिस्सा ईरान से होकर जाता है।

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    3 अप्रैल को तालिबान ने अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी

    काबुल, एएनआइ। तालिबान सदस्य सुहैल शाहीन ने अफगानिस्तान में फ्रांसीसी दूत जीन मारिन शुह से मुलाकात की। दोनों देशों के बीच इस मुलाकात में कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई, जिसमें अफगानिस्तान में अफीम की खेती और इसके विकल्प की रोकथाम पर हालिया डिक्री सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बात की जानकारी तालिबान सदस्य सुहैल शाहीन ने ट्वीट कर दी।

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    ट्विटर पर कहा तालिबान सदस्य ने

    सुहैल शाहीन ने सोमवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट में कहा, 'आज, मैं वर्तमान में दोहा में स्थित अफगानिस्तान में फ्रांसीसी दूत श्री जीन मारिन शुह से मिला। हमने शिक्षा, हाल ही में अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात द्वारा अफीम की खेती और विकल्प की रोकथाम के बारे में डिक्री, किसानों और द्विपक्षीय संबंधों के लिए परियोजनाएं सहित कई विषयों पर बात की।' उन्होंने आगे कहा कि दोनों ने लंबे समय तक बातचीत को जारी रखा।

    आपको बता दें कि 3 अप्रैल को तालिबान ने अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। अफगानिस्तान में अफीम की खेती का चलन काफी लंबे वक्त से अपने चरम पर है, जिसके कारण भारत और आसपास के क्षेत्रों के सामने सुरक्षा को लेकर यह एक बड़ा खतरा हो गया है। टोलो न्यूज के अनुसार, तालिबान के सर्वोच्च नेता हेबतुल्ला अखुंदजादा ने एक फरमान में कहा कि देश में खसखस ​​की खेती के साथ-साथ मादक पदार्थों की तस्करी पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।

    तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा

    तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद द्वारा पढ़े गए डिक्री में कहा गया है कि मादक पेय, हेरोइन, टैबलेट के, हशीश और अन्य जैसे सभी प्रकार की अवैध दवाओं के उपयोग और तस्करी पर सख्त प्रतिबंध है। बता दें कि डिक्री अवैध दवाओं के उत्पादन पर भी प्रतिबंध लगाती है।

    डिक्री पढ़ा में पढ़ा गया, 'अगर कोई डिक्री का उल्लंघन करता है और अफीम की खेती करता है, तो उसकी फसल नष्ट हो जाएगी और उल्लंघन करने वाले को शरिया कानून के आधार पर दंडित किया जाएगा।' डिक्री में आगे कहा गया, 'इस डिक्री को लागू करना अनिवार्य है। उल्लंघन करने वालों पर मुकदमा चलाया जाएगा और न्यायपालिका द्वारा दंडित किया जाएगा।'

    अफगानिस्तान में अफीम की खेती आय का एक बड़ा स्रोत है, तालिबान की इससे मोटी कमाई होती है। अफगानिस्तान पर देश है जो दुनिया भर के तमाम देशों में शीर्ष अवैध दवा उत्पादक करता है।