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    अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद अब तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ेंगी नजदीकियां, जानें क्या है पूरा मामला

    By Shashank PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 08 Nov 2021 12:30 PM (IST)

    तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने हाल के महीनों में अफगानिस्तान को भोजन और दवाओं के रूप में आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान की है। इसके अलावा अन्य कार्यक्रमों में अफगानिस्तान के साथ उड़ानों को फिर से शुरू करना और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना शामिल है।

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    तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी और इमरान खान।(फोटो: फाइल)

    काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही तालिबान और पाकिस्तान के बीच संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बीच, दोनों देशों के बीच संबंधों को और सुधारने के लिए तालिबानी सरकार के कार्यकारी विदेश मंत्री पाकिस्तान का दौरा करेंगे। सूत्रों ने आगामी यात्रा के एजेंडे को निर्दिष्ट किए बिना बताया कि इसकी कोई तारीख अभी निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी को आमंत्रित किया गया है और उन्होंने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने बताया कि अक्टूबर के अंत में, तालिबान ने पाकिस्तान में अफगान दूतावास का एक नया अंतरिम प्रमुख नियुक्त किया है।

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    अगस्त के मध्य में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने हाल के महीनों में असुरक्षा की स्थिति में अफगानिस्तान को भोजन और दवाओं के रूप में आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान की है। इससे पहले अक्टूबर में, पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अफगानिस्तान को 280 मिलियन अमरीकी डालर की मानवीय सहायता प्रदान करने का वादा किया था, ताकि नई तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार को देश में एक गंभीर मानवीय संकट से उबरने में मदद मिल सके। स्पुतनिक के अनुसार, इस्लामाबाद की ओर से तालिबान सरकार का समर्थन करने के अन्य उपायों में अफगानिस्तान के साथ उड़ानों को फिर से शुरू करना और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना शामिल है।

    पाकिस्तान में इमरान ने टीएलपी से प्रतिबंध हटाया

    पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान ने कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। इस आशय के प्रस्ताव पर शनिवार को इमरान ने अंतिम स्वीकृति दे दी। टीएलपी से यह प्रतिबंध हाल ही में संगठन के साथ हुए गुप्त समझौते के तहत हटाया गया। संगठन के दो हजार कार्यकर्ता भी जेलों से रिहा कर दिए गए हैं। प्रतिबंध हटने के बाद टीएलपी के राजनीतिक दल के रूप में कार्य करने का रास्ता खुल गया है।