Sri Lanka Tamil Issue: तमिल अल्पसंख्यक मसले पर कब निकलेगा समाधान, राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे बुलाएंगे बैठक
Sri Lanka Tamil Issue श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने 16 नवंबर को तमिल जातीय मुद्दे को लेकर सभी राजनीतिक दलों के साथ अगले साल 4 फरवरी 2023 को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। विक्रमसिंघे ने 11 दिसंबर के बाद बैठक बुलाएंगे।
कोलंबो, एजेंसी। Sri Lanka Tamil Issue: तमिल नेशनल एलांयस (टीएनए) के सूत्र के मुताबिक, श्रीलंका की तमिल अल्पसंख्यक पार्टियां तीन सूत्री फॉर्मूले को आगे बढ़ाने पर सहमत हो गई हैं। बता दें कि देश में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए राजनीतिक स्वायत्तता की मांग को लेकर सभी तमिल राजनीतिक दलों ने 18 नवंबर को 89 वर्षीय टीएनए नेता राजवरोथियाम सम्पंथन के आवास पर मुलाकात की थी। टीएनए सूत्र के मुताबिक, सभी पार्टियां फिर से राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात करेगी।
तमिल जातीय मुद्दे पर बैठक
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने 16 नवंबर को तमिल जातीय मुद्दे को लेकर सभी राजनीतिक दलों के साथ अगले साल 4 फरवरी 2023 को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। विक्रमसिंघे ने संसद को बताया कि वह 11 दिसंबर के बाद बैठक करने के लिए इच्छुक हैं। उन्होंने ये भी कहा कि लंबे समय से चल रहे तमिल समुदाय के अधिकार विवाद को सुलझाने के लिए बहुसंख्यक सिंहली और तमिलों के बीच विश्वास कायम करना महत्वपूर्ण होगा। बता दें कि इस बैठक के लिए सभी ने सहमति जताई है वहीं एक सिंहली बहुसंख्यक कट्टरपंथी सांसद ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है।
अल्पसंख्यक समुदाय के लिए राजनीतिक स्वायत्तता की मांग
श्रीलंका के उत्तर-पूर्वी इलाके में रहने वाले तमिल अल्पसंख्यक अपने लिए स्वायत्त प्रांत बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रमुख राजनीतिक पार्टी श्रीलंका पोडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) संघीय समाधान के बिल्कुल खिलाफ है। बता दें कि विक्रमसिंघे ने 2015 में प्रधानमंत्री के रूप में अनुभवी टीएनए नेता सम्पंथन के साथ सुलह प्रक्रिया शुरू की थी। तमिल के अधिकारों के लिए कई प्रयास भी किए गए लेकिन कट्टर सिंहली बहुमत द्वारा इस मांग को विफल किया जाता रहा।
भारत भी तमिल समुदाय को लेकर दे रहा बयान
भारत भी लगातार श्रीलंका से तमिल समुदाय के हितों की रक्षा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का आह्वान करता रहा है। भारत ने इस बात पर चिंता जताई है कि श्रीलंका सरकार की तरफ से वहां के जातीय मुद्दे का हल निकालने केल लिए वादे किये गये थे उस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है। ये वादे वहां की सरकार ने तमिल आबादी को न्याय देने, वहां शांति व बराबरी स्थापित करने के लिए किये थे।
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