Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Sri Lanka: 'हम किसी से नहीं दबेंगे', चीन के करीबी बताए जा रहे श्रीलंकाई राष्ट्रपति दिसानायके का ड्रैगन को ही कड़ा संदेश

    Updated: Wed, 25 Sep 2024 11:36 AM (IST)

    Sri Lanka President to china श्रीलंका के नए राष्ट्रपति दिसानायके ने एक ऐसा बयान दिया जो चर्चा का विषय बन गया। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से भारत के पक्ष में नहीं रहेंगे और न ही वे चीन के पक्ष में झुकेंगे। उन्होंने कहा कि वे भारत और चीन के बीच सैंडविच नहीं बनना चाहते हैं। दिसानायके ने कहा कि वो दोनों देशों को दोस्त ही मानते हैं।

    Hero Image
    Sri Lanka President to china चीन और भारत पर बोले दिसानायके

    डिजिटल डेस्क, कोलंबो। अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बन गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कई बड़े निर्णय लिए। दिसानायके ने श्रीलंका की संसद भंग कर दी और 14 नवंबर को मध्यावधि चुनाव का ऐलान भी कर दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत-चीन में सैंडविच नहीं बनेंगे

    वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले दिसानायके के राष्ट्रपति बनने से के बाद से ही भारत गंभीर है। दिसानायके को चीन का करीबी माना जाता है। इसी बीच श्रीलंका के नए प्रेसिडेंट दिसानायके ने एक ऐसा बयान दिया जो चर्चा का विषय बन गया। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से भारत के पक्ष में नहीं रहेंगे और न ही वे चीन के पक्ष में झुकेंगे। उन्होंने कहा कि वे भारत और चीन के बीच सैंडविच नहीं बनना चाहते हैं।

    चीन को इशारों में संदेश

    एक स्थानीय समाचार मैगजीन को दिए इंटरव्यू में दिसानायके ने कहा कि श्रीलंका दुनिया में चल रही दबदबे की लड़ाई में फंसना नहीं चाहता है। उन्होंने कहा कि न तो हम इस होड़ में शामिल होंगे और न ही हम किसी देश का साथ देंगे। 

    भारत-चीन दोनों दोस्त

    कुमारा दिसानायके ने कहा कि भारत और चीन दोनों हमारे दोस्त हैं और हम किसी एक का साथ नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि दोनों देशों से भविष्य में हमारे अच्छे रिश्ते रहेंगे और हम एक दूसरे की मदद करते रहेंगे।

    EU और अफ्रीका से भी रखेंगे अच्छे रिश्ते

    दिसानायके ने आगे कहा कि वो यूरोपियन यूनियन और अफ्रीका के साथ भी अच्छे रिश्ते रखेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी विदेश नीति निष्पक्ष होगी। 

    बता दें कि दिसानायके वामपंथी विचारधारा के साथ भारत के आलोचक भी रहे हैं। माना जा रहा था कि वो राष्ट्रपति बनने के बाद वैश्विक मंचों पर भारत की जगह चीन का ही साथ देंगे। हालांकि, अब उन्होंने साफ कर दिया है कि वो दोनों देशों को एक साथ लेकर चलेंगे।