Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'डिफॉल्टर की स्थिति से बाहर निकला श्रीलंका', वित्त मंत्रालय का दावा; दो साल पहले बर्बादी की कगार पर पहुंच गया था देश

    By Agency Edited By: Sachin Pandey
    Updated: Sat, 21 Dec 2024 11:22 PM (IST)

    श्रीलंका ने देश के डिफॉल्टर की स्थिति से बाहर निकलने का एलान किया है। श्रीलंकाई वित्त मंत्रालय ने दावा किया है कि देश कर्ज न चुका पाने की स्थिति में अब नहीं रहा। मंत्रालय का एलान रेटिंग एजेंसी की ओर से श्रीलंका की रेटिंग में सुधार किए जाने के बाद आया है। गौरतलब है कि दो साल पहले श्रीलंका ने सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना किया था।

    Hero Image
    श्रीलंका ने आधिकारिक तौर पर अपना ऋण डिफॉल्ट समाप्त कर दिया है। (Photo- Internet Media)

    पीटीआई, कोलंबो। श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने शनिवार को एलान किया कि देश अब डिफॉल्ट यानी कर्ज न चुका पाने की स्थिति से बाहर निकल गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने देश के वित्त मंत्रालय के हवाले से बताया कि हांगकांग स्थित फिच रेटिंग्स द्वारा श्रीलंका की क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड करने के निर्णय के साथ ही श्रीलंका ने आधिकारिक तौर पर अपना ऋण डिफॉल्ट समाप्त कर दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इससे पहले फिच ने शुक्रवार को श्रीलंका की दीर्घकालिक ऋण डिफॉल्ट रेटिंग को CCC- से बढ़ाकर CCC+ कर दिया, क्योंकि उसने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बांड पुनर्गठन के पूरा होने और व्यापक आर्थिक संकेतकों के लिए बेहतर दृष्टिकोण से स्थानीय मुद्रा ऋण पर एक और डिफॉल्ट का जोखिम कम हो गया है।

    2022 में आया था आर्थिक संकट

    इसके बाद श्रीलंका के वित्त मंत्रालय में शीर्ष नौकरशाह महिंदा सिरीवर्धना ने एक बयान में कहा, '20 दिसंबर हमारी आर्थिक सुधार प्रक्रिया में एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हुआ, क्योंकि श्रीलंका आधिकारिक तौर पर डिफॉल्ट से बाहर आ गया।'

    गौरतलब है कि श्रीलंका उस समय आर्थिक संकट में फंस गया था, जब द्वीप राष्ट्र ने अप्रैल 2022 के मध्य में डिफॉल्ट की घोषणा की थी, जो 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से उसकी पहली घोषणा थी। लगभग गृहयुद्ध जैसी स्थिति और महीनों तक चले सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को भागना पड़ा था।

    'टाला जा सकता था संकट'

    इसके बाद राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ बातचीत शुरू की। इसके बाद उनकी सरकार ने एक साल बाद मार्च 2023 में बेलआउट हासिल किया। सिरीवर्धना ने कहा कि यह संकट मानव निर्मित था और अगर शुरुआती चेतावनियों पर ध्यान दिया जाता और IMF के साथ जल्दी बातचीत की जाती तो इसे टाला जा सकता था।

    उन्होंने कहा, 'हालांकि आर्थिक परिणाम वास्तव में संतोषजनक रहे हैं और ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया पूरी हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप रेटिंग में सुधार हुआ है, फिर भी लोग संकट और कठिन उपायों से होने वाली पीड़ा को महसूस कर रहे हैं।'

    आवश्यक वस्तुओं की हुई थी कमी

    वह संभवतः उस अभूतपूर्व विदेशी मुद्रा संकट के समय का उल्लेख कर रहे थे, जिसने आवश्यक वस्तुओं की कमी पैदा कर दी थी और ईंधन और खाना पकाने की गैस के लिए लंबी कतारें देखी गईं, जबकि श्रीलंका को 2022 में 10 घंटे से अधिक बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था।