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    Sri Lanka Crisis: श्रीलंकाई एयरलाइंस का उड़ान संचालन हुआ प्रभावित, सरकार उड़ानों को रद करने पर कर रही विचार, जानें क्या है पूरा मामला

    By Shashank Shekhar MishraEdited By:
    Updated: Mon, 04 Jul 2022 03:07 PM (IST)

    श्रीलंकाई एयरलाइंस का दैनिक ईधन उपयोग लगभग 700000 लीटर है। देश में जेट ईधन का भंडार समाप्त हो गया है। इस बढ़ते ईधन संकट के साथ श्रीलंकाई एयरलाइंस ने कर्मचारियों से कहा है कि इस महीने की 18 तारीख तक उड़ान संचालन प्रभावित होने की संभावना है।

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    श्रीलंकाई एयरलाइंस 18 जुलाई तक अपनी उड़ानों को संभावित रूप से रद करने के लिए तैयार है। (फोटो-एएनआइ)

    कोलंबो, एएनआइ। श्रीलंका में ईधन संकट के बीच, द्वीप राष्ट्र की राष्ट्रीय वाहक श्रीलंकाई एयरलाइंस अब 18 जुलाई तक अपनी उड़ानों को संभावित रूप से रद करने के लिए तैयार है। श्रीलंका के स्थानीय मीडिया आउटलेट डेली मिरर के अनुसार, देश में जेट ईधन का भंडार समाप्त हो गया है। इस बढ़ते ईधन संकट के साथ, श्रीलंकाई एयरलाइंस ने कर्मचारियों से कहा है कि इस महीने की 18 तारीख तक उड़ान संचालन प्रभावित होने की संभावना है। इससे पहले एक एडवाइजरी में, श्रीलंकाई नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएए) ने 28 जून को एयरलाइंस को उनकी वापसी यात्रा के लिए ईधन ले जाने के लिए एक नोटिस जारी किया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि श्रीलंका की तेल और गैस कंपनी सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (CPC)  विदेशी मुद्रा संकट के कारण देश में आवश्यक जेट ईधन का आयात करने में विफल रही है। बंदरानाइक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (बीआईए) के बाहर श्रीलंकाई एयरलाइंस का दैनिक ईधन उपयोग लगभग 700,000 लीटर है। हालांकि, हवाईअड्डा केवल औसतन प्रति दिन लगभग 250,000 लीटर सुरक्षित करने में सफल रहा।

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    सरकार ने सभी स्कूलों में किया अवकाश घोषित

    श्रीलंका के शिक्षा मंत्रालय ने 4 जुलाई से शुरू होने वाले सभी सरकारी और राज्य-अनुमोदित निजी स्कूलों के लिए अवकाश सप्ताह घोषित किया है। श्रीलंकाई मंत्री ने कहा कि अगले अवकाश अवधि में, स्कूल पाठ्यक्रम को कवर करेगा। इससे पहले भी 18 जून को श्रीलंका सरकार ने आने वाले सप्ताह के लिए सभी स्कूलों को बंद करने की घोषणा की थी। इस साल मार्च के बाद से, श्रीलंका, जो पहले एक उच्च-मध्यम आय वाला देश था, 1948 में देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद से अद्वितीय आर्थिक संकट की चपेट में है। गंभीर विरोधों ने राजनीतिक अशांति को जन्म दिया है जिसके कारण राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के भाई का इस्तीफा हो गया था। प्रधानमंत्री पद से महिंदा राजपक्षे और मई में देश के प्रधानमंत्री के रूप में रानिल विक्रमसिंघे की नियुक्ति हुई थी। तब से सरकार देश के आर्थिक संकट को दूर करने का प्रयास कर रही है।