दक्षिण कोरिया के इस शख्स की बदौलत किम के चंद कदम से मिटी 65 साल की दूरी
दक्षिण कोरिया के खुफिया अधिकारी सू हून की बदौलत खत्म हुई दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की 65 साल की दूरी।
सियोल (रॉयटर्स)। क्या आप उस शख्स के बारे में जानते हैं, जिसकी बदौलत करीब 6 दशक बाद किसी कोरियाई नेता ने बॉर्डर पार किया। अंतर कोरियाई ऐतिहासिक शिखर वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कोई और नहीं, बल्कि दक्षिण कोरिया के खुफिया अधिकारी सू हून है। सू हून के कारण दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच 65 साल की कड़वाहट को महज कुछ कदम की दूरी से खत्म किया जा सका है। हून वो शख्स हैं जो पुराने दुश्मनों के बीच असंभव वार्ता को स्थापित करने के लिए पिछले दो दशकों से प्रयास कर रहे थे।
करीब 18 साल पहले दक्षिण कोरियाई खुफिया अधिकारी सू हून ने उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-इल (किम जोंग उन के पिता) को शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए त्योंगयांग की यात्रा तय करने के लिए तैयार किया था। दोनों देशों के बीच पहली शिखर वार्ता साल 2000 में हुई थी, जिसके बाद हून के प्रयासों की बदौलत उनके बेटे किम जोंग उन करीब 6 दशक बाद सैन्य सीमा को लांघकर शुक्रवार को दक्षिण कोरिया गए। उन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप पर शांति बनाए रखने का वचन दिया।
बता दें कि शुक्रवार को दोनों कोरियाई देशों के बीच ऐतिहासिक शिखर वार्ता हुई। यह पहला मौका था, जब शिखर वार्ता का आयोजन दक्षिण कोरिया में हुआ। 27 अप्रैल 2018 को इतिहास बदल गया और करीब 65 साल बाद दोनों मुल्क के नेताओं ने पहली बार हाथ मिलाया। इतना ही नहीं, किम जोंग 1950-53 के कोरियाई युद्ध की समाप्ति के बाद दक्षिण कोरिया की धरती पर कदम रखने वाले पहले उत्तर कोरियाई शासक हैं। बता दें कि दक्षिण कोरिया के उदारवादी राष्ट्रपति मून के कार्यालय संभालने के एक साल बाद दोनों देशों के बीच मुठभेड़ के मामले सामने आए। जिसके चलते सू हून को राष्ट्रीय खुफिया सेवा की जिम्मेदारी सौंपी गई। ये कहते हुए कि वे कोरियाई प्रायद्वीप के संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए सही व्यक्ति हैं।
किम और मून के बीच यह शिखर बैठक शुक्रवार को पनमुनजोम गांव में हुई, जो उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की सीमा पर स्थित है। यहां 1953 के कोरियाइ युद्ध के बाद से ही युद्ध विराम लागू है। इसका एक हिस्सा उत्तर कोरिया में पड़ता है तो दूसरा दक्षिण कोरिया में। मून से शिखर वार्ता के लिए किम दक्षिण कोरियाई सीमा क्षेत्र वाले इलाके में पहुंचे। ऐतिहासिक बैठक में दोनों नेताओं ने कोरियाई प्रायद्वीप को पूरी तरह से परमाणु हथियारों से मुक्त करने की प्रतिबद्धता जताई। उत्तर कोरिया के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम और इस पर रोक लगाने की अंतरर्राष्ट्रीय मुहिम के बीच इस बैठक और घोषणा-पत्र को अहम माना जा रहा है।