'जानलेवा इरादा...', सजा-ए-मौत पर क्या बोलीं शेख हसीना? आया पहला रिएक्शन
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है, जिसे उन्होंने पक्षपातपूर्ण बताया है। उनकी पार्टी ने इसे अंतरिम सरकार के चरमपंथी इरादे करार दिया। ट्रिब्यूनल ने हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी पाया, जबकि आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को सरकारी गवाह बनने पर कम सजा दी गई।

सजा-ए-मौत पर क्या बोलीं शेख हसीना?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर आज कोर्ट का फैसला आया है। इस फैसले में पूर्व पीएम समेत तीन लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है।
इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल के फैसले पर अब हसीना की पार्टी का पहला बयान सामने आया है। हसीना ने कोर्ट के फैसले को "पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित" बताकर खारिज कर दिया गया है।
शेख हसीना को फांसी की सजा
सजा सुनाए जाने के कुछ ही मिनट बाद जारी एक बयान में, हसीना की अवामी लीग पार्टी ने कहा कि उन्हें मौत की सजा देने का आह्वान अंतरिम सरकार के भीतर चरमपंथी लोगों के निर्लज्ज और जानलेवा इरादे को उजागर करता है। इससे पहले उनके बेटे ने पहले ही मां को मौत की सजा सुनाए जाने का अंदेशा जताया था और वो सच साबित हो गया।
इस मामले में तीन सदस्यों वाली ICT-BD ने पूरे 28 दिनों तक मामले पर सुइंवाई की। 23 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हुई, जिसमें 54 गवाहों ने अदालत के सामने गवाही दी थी। आइये महत्वपूर्व बिंदुओं में समझते हैं कि ट्रिब्यूनल ने और क्या-क्या कहा?
Reaction of the Bangladesh Awami League to the mock trial and verdict of the illegal and undemocratic occupying fascist Yunus government’s subservient kangaroo court.
— Bangladesh Awami League (@albd1971) November 17, 2025
- Jahangir Kabir Nanak
Presidium Member
Bangladesh Awami Leaguehttps://t.co/r2rv0mcUoo#Bangladesh
ट्रिब्यूनल ने फैसले में क्या-क्या कहा?
- ट्रिब्यूनल ने कहा प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किया है। न्यायाधिकरण इस मामले में उन्हें दोषी मानता है।
- प्रदर्शन के दौरान उन्होंने घातक हथियारों, हेलीकाप्टरों के उपयोग करने के आदेश जारी किए थे जिसे मानवता के खिलाफ अपराध माना गया है।
- आरोपी प्रधानमंत्री घटना के समय वरिष्ठ कमांडिंग पद पर विराजमान थीं।
- इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IGP) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून (आरोपी) सरकारी गवाह बन गए थे, जिसके बाद उन्होंने मामले का पूरा खुलासा किया है। सबूत देने के लिए उन्हें माफ कर दिया गया है। उनसे एक गवाह के रूप में पूछताछ की गई थी।
- ट्रिब्यूनल ने कहा IGP के अपराधों के लिए वैसे तो मृत्युदंड का प्रावधान है, लेकिन उसके द्वारा किए गये खुलासे को ध्यान में रखते हुए हम उसे दोषी ठहराते हैं लेकिन कम सजा देते हैं।

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