Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तख्तापलट में हो गई थी पूरे परिवार की हत्या, फिर उसी देश की संभाली कमान; एक-दूसरे से कैसे जुड़े हैं बांग्लादेश और हसीना?

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। उनके पिता, शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद, उन्हें भी देश से निकाल दिया गया और सजा-ए-मौत सुनाई गई। सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं हसीना ने ढाका में सत्ता परिवर्तन के दौरान भारत में शरण ली। उन पर प्रदर्शनकारियों की हत्या का आरोप है। पारिवारिक नरसंहार और राजनीतिक उथल-पुथल से भरा रहा है हसीना का जीवन।

    Hero Image

    बांग्लादेश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक निर्वाचित प्रधानमंत्री रहीं हसीना

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री और अवामी लीग की नेता शेख हसीना पांच दशकों के अपने राजनीतिक सफर में अपने परिवार के नरसंहार से लेकर तख्तापलट तक सब देखा है। मध्यरात्रि के तख्तापलट में बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपति और हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की समूचे परिवार समेत हत्या के बाद अब खुद शेख हसीना भी अपने ही देश से खदेड़े जाने के बाद बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आइसीटी) ने 'मानवता के खिलाफ अपराध' के नाम पर उनके हिस्से में सजा-ए-मौत दर्ज कर दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बांग्लादेश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक निर्वाचित प्रधानमंत्री रहने वाली शेख हसीना को 78 वर्ष की आयु में पिछले साल ढाका में बर्बर सत्ता परिवर्तन के साथ अपनी जान बचाने के लिए भारत में शरण लेनी पड़ी। उन पर पिछले साल जुलाई के उग्र आंदोलन में प्रदर्शनकारियों की हत्या कराने का भी आरोप है।

    प्रारंभिक जीवन

    दुनिया में सबसे लंबे समय तक सेवारत महिला प्रधानमंत्री रही शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर, 1947 को पूर्व पाकिस्तान के तुंगिपारा के एक ऐसे परिवार में हुआ जो आनेवाले समय बांग्लादेश की पहचान परिभाषित करता। उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान ने 1971 में भारत की मदद से बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई और इसके संस्थापक राष्ट्रपति बने। हसीना ने ढाका विश्वविद्यालय में बंगाली साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की और छात्र राजनीति में शामिल हो गईं।

    1968 में हसीना ने परमाणु वैज्ञानिक एमए वाजेद मिया से विवाह किया, जिनका जीवन बांग्लादेशी राजनीति की उथल-पुथल के विपरीत था। हसीना के पति वाजेद का 2009 में 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका एक पुत्र सजीब वाजेद जॉय और एक पुत्री सैमा वाजेद पूतुल हैं। अगस्त, 1975 के सैन्य तख्तापलट के दौरान हसीना के पिता, माता, तीन भाई और कई अन्य स्वजनों की हत्या कर दी गई। वह और उनकी छोटी बहन रेहाना केवल इसलिए जीवित बच गईं क्योंकि वे विदेश में थीं। तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें भारत में शरण दी।

    राजनीतिक सफर

    छह वर्षों के बाद मई,1981 में शेख हसीना बांग्लादेश लौट आईं, जहां उन्हें अवामी लीग का महासचिव चुना गया। हसीना पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनीं, जब उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी बीएनपी सुप्रीमो खालिदा जिया (राष्ट्रपति जियाउर रहमान की विधवा) को चुनाव में हराया। उन्होंने 2001 में सत्ता गंवा दी लेकिन 2008 में एक बड़ी जीत के साथ लौट आईं। उनके नेतृत्व में अवामी लीग ने 2008 के आम चुनाव, 2014 का चुनाव (जिसमें जिया की बीएनपी ने बहिष्कार किया) और 2018 का चुनाव जीता, जिससे हसीना को एक महिला नेता के रूप में दुनिया का सबसे लंबा कार्यकाल मिला।

    उनके प्रधानमंत्री रहते बांग्लादेश ने तेज आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे की उपलब्धियों और गरीबी में कमी देखी। 2024 में स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व सैनिकों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरियों में कोटा के खिलाफ उठे छात्र आंदोलन ने बाद में हसीना के शासन के खिलाफ राष्ट्रीय विद्रोह का रूप ले लिया। हसीना को हिंसक तरीके से सत्ता से बाहर कर दिया गया और उन्होंने भारत में शरण ली।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)