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    'रूस-यूक्रेन को करनी होगी बातचीत', जयशंकर बोले- भारत सलाह देने को तैयार

    Updated: Tue, 10 Sep 2024 10:12 PM (IST)

    विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि रूस और यूक्रेन को बातचीत करनी ही होगी। अगर वे सलाह चाहते हैं तो भारत ऐसा करने का सदैव इच्छुक है। जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात के एक दिन बाद यह टिप्पणी की है। यह मुलाकात सोमवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में खाड़ी सहयोग परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर हुई थी।

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    भारत सलाह देने को तैयार जर्मनी में बोले जयशंकर

    पीटीआई, बर्लिन। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि रूस और यूक्रेन को बातचीत करनी ही होगी। अगर वे सलाह चाहते हैं तो भारत ऐसा करने का सदैव इच्छुक है। जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात के एक दिन बाद यह टिप्पणी की है। यह मुलाकात सोमवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में खाड़ी सहयोग परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर हुई थी।

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    जयशंकर ने यहां जर्मन विदेश मंत्रालय के वार्षिक राजदूत सम्मेलन में सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, 'हमें नहीं लगता है कि इस संघर्ष का युद्ध के मैदान में हल होने वाला है। कहीं न कहीं, कुछ बातचीत तो होगी ही।

    'यह युद्ध का युग नहीं है'

    जब कोई बातचीत होगी तो मुख्य पक्षों (रूस और यूक्रेन) को उस बातचीत में शामिल होना ही होगा।' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस और यूक्रेन यात्राओं का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय नेता ने मास्को और कीव में कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है।

    जयशंकर ने कहा कि विभिन्न देशों के बीच मतभेद होते ही हैं। पड़ोसी देशों के बीच भी मतभेद होते हैं, लेकिन संघर्ष मतभेदों के समाधान का तरीका नहीं है। बता दें कि हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत समेत तीन देशों का नाम लेते हुए कहा था कि वह यूक्रेन संघर्ष को लेकर इनके संपर्क में हैं और वे वाकई में इसका समाधान करने की ईमानदार कोशिश कर रहे हैं।

    पुतिन का यह बयान प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा के बाद आया था। मोदी ने 23 अगस्त को यूक्रेन की यात्रा की थी।

    'चीन के साथ व्यापार बंद नहीं'

    जयशंकर ने राजदूत सम्मेलन में चीन के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत ने चीन के साथ व्यापार के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं। लेकिन मुद्दा यह है कि वह किन क्षेत्रों में चीन के साथ व्यापार करता है और किन शर्तों पर। यह काफी जटिल मुद्दा है।