Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन में खत्म होगी जंग! राष्ट्रपति जेलेंस्की बना रहे युद्ध विराम का नया प्लान, बोले- पूरी दुनिया करेगी सपोर्ट
Ukraine-Russia War यूक्रेन-रूस के बीच पिछले 2 सालों से लगातार युद्ध जारी है। दोनों देशों से हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। इस युद्ध का असर दोनों देशों के आर्थिक व्यवस्था पर भी पड़ रही है। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति इस युद्ध को समाप्त करने के लिए व्यापक स्तर पर योजना बना रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पूरी दुनिया से समर्थन मांगा है।

एएनआई, कीव। रूस-यूक्रेन युद्ध दो साल से भी अधिक समय हो गया है। 24 फरवरी 2022 को शुरू हुई इस भीषण जंग ने दो खूबसूरत देश यूक्रेन और रूस को खंडहर में तब्दील कर दिया है। दोनों ही देश एकदूसरे पर पिछले दो सालों से अटैक कर रहे हैं। इस युद्ध की वजह से दोनों देशों के हजारों लोगों ने अपनी जान गवां दी। हजारों की संख्या में देश की महिलाओं और बच्चों ने इस जंग में अपनी आहुति दी।
वहीं दो साल में कई बार अन्य देशों द्वारा युद्ध समाप्त करने की पहल भी की गई लेकिन निराशा हाथ लगी। इस बीच अब यूक्रन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि वह रूस के साथ युद्ध समाप्त करने के लिए एक 'व्यापक योजना' तैयार कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने इस युद्ध समाप्ति योजना को लेकर भरोसा जताया कि इसका समर्थन दुनिया के अधिकांश देशों द्वारा किया जाएगा। न्यूज चैनल अल जजीरा ने इस खबर की पुष्टि की है।
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'हमारे लिए युद्ध समाप्त करने की योजना बहुत महत्वपूर्ण'
स्लोवेनियाई राष्ट्रपति नताशा पिरक मुसर के साथ यूक्रेनी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को कीव में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमारे लिए युद्ध समाप्त करने की एक योजना दिखाना बहुत महत्वपूर्ण है जिसका समर्थन दुनिया के अधिकांश देशों द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'यह वह कूटनीतिक रास्ता है जिस पर हम काम कर रहे हैं।'
'यूक्रेन और रूस के बीच फिलहाल कोई बातचीत नहीं'
जेलेंस्की ने आगे कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच फिलहाल कोई बातचीत नहीं चल रही है। अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन और रूस के बीच फिलहाल कोई बातचीत नहीं हो रही है और जेलेंस्की तथा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सार्वजनिक बयानों के आधार पर, संभावित शांति समझौते की शर्तों के संबंध में दोनों पक्ष पहले की तरह ही एक दूसरे से अलग नजर आते हैं। यूक्रेन ने अपने बयान में बार-बार कहा है कि शांति वार्ता शुरू होने से पहले रूस को अपने सैनिकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त क्षेत्र से बाहर निकालना होगा, जिसमें क्रीमिया प्रायद्वीप भी शामिल है, जिसे मास्को ने 2014 में अपने में मिला लिया था।

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