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    दुनिया भर के अमीर लोग ढूंढ रहे नया आशियाना, ब्रिटेन से सबसे ज्यादा रईस छोड़ रहे देश, ये Country बनी पहली पसंद

    Updated: Thu, 26 Jun 2025 03:45 PM (IST)

    हेनली एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में रिकॉर्ड 142,000 अमीर लोग दुनिया भर में एक देश से दूसरे देश में बसने की तैयारी में हैं। इस साल यूके से सबसे ज्यादा अमीर पलायन कर रहे हैं, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अमीरों की पहली पसंद बना हुआ है, जिसकी वजह उसकी निवेशक-अनुकूल नीतियां और आकर्षक जीवनशैली है।

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    इस साल ब्रिटेन (यूके) से सबसे ज्यादा अमीर लोग देश छोड़कर जा रहे हैं, जो पिछले दस सालों में किसी भी देश से सबसे बड़ा पलायन है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2025 में दुनिया भर में रिकॉर्ड तोड़ 142,000 अमीर लोग एक देश से दूसरे देश में बसने की तैयारी में हैं। यह आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय निवेश और पलायन सलाहकार फर्म हेनली एंड पार्टनर्स और वैश्विक धन खुफिया फर्म न्यू वर्ल्ड वेल्थ की ताजा रिपोर्ट, हेनली प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2025, में सामने आया है।

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    इस साल ब्रिटेन (यूके) से सबसे ज्यादा अमीर लोग देश छोड़कर जा रहे हैं, जो पिछले दस सालों में किसी भी देश से सबसे बड़ा पलायन है। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) लगातार दुनिया के अमीरों की पहली पसंद बना हुआ है। भारत से भी अमीरों का पलायन कम हुआ है, लेकिन कुछ देशों में यह सिलसिला तेजी से बढ़ रहा है।

    कितने अमीर बसेंगे अपने देश को करेंगे टाटा बाय-बाय?

    इस साल 142,000 हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNWIs), यानी अमीर लोग, दुनिया भर में एक देश से दूसरे देश में बसने वाले हैं। यह आंकड़ा अपने आप में रिकॉर्ड है।

    हेनली एंड पार्टनर्स के सीईओ डॉ. जर्ग स्टेफन कहते हैं, "2025 एक अहम मोड़ है। पहली बार यूरोप का कोई देश, यानी यूके, अमीरों के पलायन में सबसे आगे है। यह सिर्फ टैक्स नीतियों की वजह से नहीं, बल्कि अमीरों में यह धारणा बढ़ रही है कि कहीं और बेहतर मौके, आजादी और स्थिरता मिल सकती है। इसका यूरोप और यूके की आर्थिक प्रतिस्पर्धा और निवेश की साख पर गहरा असर होगा।"

    यूएई बना रईसों का सबसे पसंदीदा ठिकाना

    संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) इस साल भी दुनिया के अमीरों की पहली पसंद बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में यूएई में 9,800 नए अमीर बसने की उम्मीद है, जो अमेरिका से भी 2,000 ज्यादा है। यूएई जाने के पीछे की वजह है इसकी निवेशक-अनुकूल नीतियां, सुनहरे वीजा (गोल्डन वीजा) की सुविधा, और आकर्षक जीवनशैली।

    यूके, भारत, रूस, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका से अमीर लोग बड़ी संख्या में दुबई और अबू धाबी जैसे शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। सऊदी अरब भी इस दौड़ में तेजी से उभर रहा है, जहां 2,400 नए अमीर बसने की उम्मीद है।

    यूएई में क्यों बस रहे हैं लोग?

    यूएई की चमक का कारण इसकी टैक्स-मुक्त नीतियां, शानदार बुनियादी ढांचा, और सुरक्षित माहौल है। गोल्डन वीजा प्रोग्राम के तहत अमीर लोग आसानी से वहां निवेश कर सकते हैं और रहने की सुविधा पा सकते हैं। इसके अलावा, दुबई और रियाद जैसे शहरों में विश्वस्तरीय सुविधाएं, जैसे अंतरराष्ट्रीय स्कूल, लग्जरी रियल एस्टेट, और बढ़ता वित्तीय क्षेत्र, अमीरों को अपनी ओर खींच रहे हैं।

    न्यू वर्ल्ड वेल्थ के रिसर्च हेड एंड्रयू एमोइल्स कहते हैं, "पिछले दस सालों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले धन बाजारों में यूएई, माल्टा, और मॉन्टेनेग्रो जैसे देश शामिल हैं, जो अमीरों के लिए पलायन का केंद्र बन गए हैं। यह दिखाता है कि अमीरों का पलायन किसी देश में नई दौलत बनाने में कितना अहम है।"

    भारत से कम हुआ पलायन का आंकड़ा


    भारत से अमीरों के पलायन में इस साल उल्लेखनीय कमी आई है। 2025 में भारत से 3,500 अमीरों के देश छोड़ने की उम्मीद है, जो कोविड के बाद का सबसे कम आंकड़ा है। इसका एक कारण यूके से कुछ अमीर भारतीयों की वापसी है। साथ ही, शेनझेन और हांगझोउ जैसे तकनीकी केंद्रों और मनोरंजन व आतिथ्य क्षेत्रों की तेजी से बढ़ती मांग ने कई अमीर भारतीयों को देश में ही रहने के लिए प्रेरित किया है।

    मशहूर लेखक और अल्फाजियो के सीईओ डॉ. पराग खन्ना कहते हैं, "एशिया दुनिया का सबसे ताकतवर आर्थिक इंजन है और वैश्विक निजी धन में उसकी ताकत बढ़ रही है। भारत और चीन जैसे देश घरेलू मौकों और विविधता की तलाश में संतुलन बना रहे हैं।"

    सबसे ज्यादा पलायन किस देश से?

    यूके इस साल अमीरों के पलायन में सबसे आगे है, जहां से 16,500 अमीर लोग देश छोड़ने वाले हैं। यह संख्या चीन (-7,800) से दोगुनी से भी ज्यादा है, जो पिछले दस सालों तक इस सूची में पहले स्थान पर था। यूके में यह पलायन ब्रेक्सिट के बाद से बढ़ा है, और हालिया टैक्स सुधारों ने इसे और तेज कर दिया।

    अक्टूबर 2024 के बजट में कैपिटल गेन्स और इनहेरिटेंस टैक्स में भारी बढ़ोतरी, साथ ही गैर-निवासी और पारिवारिक धन संरचनाओं पर नए नियमों ने अमीरों को यूएई, मोनाको, माल्टा, इटली, ग्रीस, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड जैसे टैक्स-अनुकूल और आकर्षक जीवनशैली वाले देशों की ओर जाने के लिए मजबूर किया है। प्रोफेसर ट्रेवर विलियम्स, एफएक्सगार्ड के चेयरमैन और लॉयड्स बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री, कहते हैं, "पिछले दस सालों में यूके की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन खराब रहा है। यह दुनिया के दस सबसे अमीर देशों में इकलौता देश है, जहां अमीरों की संख्या में 9% की कमी आई, जबकि अमेरिका में 78% की बढ़ोतरी हुई।"