लीली सेठ और बर्था बेंज को कितना जानते हैं आप, नारी सशक्तिकरण के हैं उदाहरण
1888 में पहली बार किसी महिला ने अकेले कार चलाकर लंबी दूरी तय की, तो 1991 में देश में पहली बार किसी महिला ने किसी राज्य के हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस का पद संभाला।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 5 अगस्त के दिन दुनिया में नारी सशक्तीकरण की दिशा में दो अहम घटनाएं हुईं। एक अपने देश में तो दूसरी जर्मनी में। 1888 में पहली बार किसी महिला ने अकेले कार चलाकर लंबी दूरी तय की, तो 1991 में देश में पहली बार किसी महिला ने किसी राज्य के हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस का पद संभाला।
कानून के क्षेत्र में लीला सेठ ने बनाया कीर्तिमान
1991 में आज ही के दिन दिल्ली हाइकोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश लीला सेठ ने हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट के 8वें चीफ जस्टिस का पद संभाला। किसी भी राज्य के हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस पद पर बैठने वाली वह पहली महिला बनीं।
दूसरे मुल्क में किया नाम रोशन
24 वर्ष की उम्र में उनकी शादी प्रेम नाथ सेठ से हो गई। शादी के बाद दोनों लंदन जा बसे। वहां जाकर उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरू की। 1958 में 27 वर्ष की उम्र में उन्होंने 580 छात्रों के बीच लंदन बार परीक्षा में टॉप किया। वहां के स्थानीय अखबार ने उन्हें मदर-इन-लॉ नाम दिया क्योंकि उस समय वे एक बच्चे की मां बन चुकी थीं। 1959 में उन्होंने बार में प्रैक्टिस शुरू की। इसी वर्ष उन्होंने लोक सेवा आयोग की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। कुछ ही समय में वह पति समेत भारत लौट आईं और पटना में कानून की प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद पटना हाइकोर्ट, दिल्ली हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई वर्ष प्रैक्टिस की।
किया महादान
5 मई, 2017 को 86 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी इच्छा के अनुसार उनका दाह संस्कार नहीं हुआ बल्कि उनके शरीर को दिल्ली के आर्मी रिसर्च हॉस्पिटल में शोध के लिए दान कर दिया गया।
दमदार शख्सियत
बर्था बेंज अपने आप में नामी शख्सियत थीं। कार बनाने के प्रोजेक्ट में उन्होंने अपने दहेज के धन से फंडिंग की थी। वह अपने पति की बिजनेस पार्टनर भी थीं। लंबी दूरी तक कार चलाने का रिकॉर्ड बनाकर उन्होंने दुनियाभर में मोटरवैगन को प्रसिद्ध कर दिया। इसके बाद ही कार की बिक्री शुरू हुई।
बर्था बेंज ने लंबी दूरी तक चलाई कार
1888 में आज ही के दिन जर्मनी में मोटर कार का अविष्कार करने वाले कार्ल बेंज की पत्नी बर्था बेंज ने अपने पति की बनाई कार में लंबी दूरी की यात्रा की। वे मोटर कार में अपने दो बच्चों के साथ बैठीं और मेनहीम से 180 किमी दूर फोरज्हीम तक कार चलाई। उस समय वह 39 वर्ष की थीं। यह ऐतिहासिक उपलब्धि थी। ऐसा करने वाली न सिर्फ वह दुनिया की पहली महिला थीं, बल्कि पहली शख्स भी थीं। उनसे पहले किसी ने भी इतनी लंबी दूरी तक कार नहीं चलाई थी।
कई बाधाओं को किया पार
कार चलाकर जाने से पहले न तो उन्होंने अपने पति को बताया और न ही प्रशासन से अनुमति ली। यात्रा के दौरान उन्होंने अपने गजब के तकनीकी कौशल का भी परिचय दिया। गाड़ी में कोई फ्यूल टैंक नहीं था और कार्बरेटर में महज 4.5 लीटर पेट्रोल था। ऐसे में उन्होंने रास्ते में एक केमिस्ट की दुकान से पेट्रोलियम का सॉल्वेंट लिग्रोइन खरीदा और इसे ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया। जब ईंधन के पाइप में रुकावट हुई तो उन्होंने अपने हैट से पिन निकालकर पाइप का ब्लॉकेज हटाया। एक लुहार से कार की चेन ठीक कराई और जब लकड़ी के ब्रेक खराब होने लगे तो जूता गाढ़ने वाले के पास जाकर उनपर चमड़ा लगवाया। कार के दो गियर काम नहीं कर रहे थे, ऐसे में चढ़ाई के दौरान दोनों बच्चों ने कार को धक्का लगाया। सुबह से निकलकर वह शाम को अपनी मंजिल पर पहुंचीं। वहां पहुंचकर उन्होंने अपने पति को टेलीग्राम भेजकर अपनी सफल यात्रा की सूचना दी।