काबुल एयरपोर्ट को फिर से शुरू करने के लिए तुर्की के साथ काम कर रहा कतर, कहा- जारी हैं कोशिशें
अफगानिस्तान में जारी मानवीय संकट को कम करने में छोटा सा अरब मुल्क कतर अहम भूमिका निभा रहा है। वह काबुल हवाई अड्डे पर फिर से विमानों का परिचालन शुरू करने के लिए तुर्की के साथ काम कर रहा है।

दोहा, एजेंसियां। अफगानिस्तान में जारी मानवीय संकट को कम करने में छोटा सा अरब मुल्क कतर अहम भूमिका निभा रहा है। वह काबुल हवाई अड्डे पर फिर से विमानों का परिचालन शुरू करने के लिए तुर्की के साथ काम कर रहा है। कतर के विदेश मंत्री शेख मुहम्मद बिन अब्दुलर्रहमान अल थानी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। वह दोहा में ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे।
वहीं कतर के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा कि विशेषज्ञ काबुल हवाई अड्डे को खोलने के लिए कोशिशें कर रहे हैं लेकिन यह साफ नहीं है कि विमानों की आवाजाही यहां कब शुरू हो पाएगी। कतर का यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया है जब अफगानिस्तान में कई लोग अब भी देश छोड़ने के लिए मौके की तलाश में हैं।
दरअसल अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से यहां विमानों का परिचालन नहीं हो पा रहा है। तालिबान ने इसको लेकर तुर्की और कतर से तकनीकी मदद मांगी थी। तुर्की का कहना है कि काबुल एयरपोर्ट की मरम्मत की जरूरत है। इसकी हालत ऐसी नहीं है कि यहां से विमानों का परिचालन शुरू किया जा सके। यही कारण है कि वह तुर्की के साथ काम कर रहा है।
वहीं समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक कतर के विदेश मंत्री ने चेतावनी दी है कि दुनिया के देशों ने तालिबान को अलग-थलग किया तो इससे अस्थिरता पैदा होगी। शेख मुहम्मद बिन अब्दुलर्रहमान अल थानी ने सभी देशों से अपील की है कि वे अफगानिस्तान की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक चिंताओं को दूर करने में मदद करें। उनका कहना है कि तालिबान से हमने एक समावेशी सरकार बनाने के लिए कहा है जिसमें सबका प्रतिनिधित्व हो।
विदेश मंत्री शेख मुहम्मद बिन अब्दुलर्रहमान अल थानी ने यह भी कहा कि तालिबान ने इस मसले पर कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। हमने तालिबान से वार्ता में आतंकवाद के खतरे को लेकर भी आगाह किया है। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान से लोगों की निकासी में कतर ने बेहद अहम भूमिका निभाई है। हजारों लोगों को काबुल एयरपोर्ट से लाकर पहले कतर में ही रखा गया बाद में वहां से अन्यत्र भेजा गया था।
दरअसल कतर मध्य पूर्व का वह मुल्क है जिसके अमेरिका और तालिबान दोनों से अच्छे रिश्ते हैं। कतर की भूमिका इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डा है और अफगानिस्तान की सत्ता से बेदखल होने के बाद तालिबान ही कतर की राजधानी दोहा से ही अपना राजनीतिक कार्यालय चला रहा था। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने भी कतर से कहा है कि अफगानिस्तान को आर्थिक मदद मुहैया कराने में वह बिचौलिये की भूमिका निभाए।

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