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    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पार्टी का नाम परिवर्तन करने का फैसला, 'माओ' शब्द हटाएंगे प्रचंड

    By Monika MinalEdited By:
    Updated: Mon, 15 Mar 2021 04:16 PM (IST)

    नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने अपनी पार्टी के नाम के आगे से माओवादी सेंटर हटाने का प्रस्ताव किया है। इसको हटाने के पीछे उनका तर्क है कि कम्युनिस्ट विचारधारा वाले ऐसे लोग जो माओ को पसंद नहीं करते हैं उन सभी को साथ लाएंगे।

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    पार्टी का नाम परिवर्तन करने का फैसला

    काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने अपनी पार्टी के नाम के आगे से माओवादी सेंटर हटाने का प्रस्ताव किया है। इसको हटाने के पीछे उनका तर्क है कि कम्युनिस्ट विचारधारा वाले ऐसे लोग, जो माओ को पसंद नहीं करते हैं, उन सभी को साथ लाएंगे।

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    पार्टी के शिवकुमार मंडल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड हमेशा से कम्युनिस्टों की एकता के हामी रहे हैं। इसलिए उन्होंने अब पार्टी के नाम के आगे से 'माओ' शब्द हटाने का प्रस्ताव किया है। अब कम्युनिस्टों को एक करने में उनके प्रयासों को तेज किया जा सकेगा।

    पार्टी का नाम परिवर्तन करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है, जिसमें केपी शर्मा ओली और प्रचंड दोनों की पार्टी के विलय को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। मौजूदा नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का नाम भी इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद अब दोनों ही दलों को चुनाव आयोग में नए सिरे से पार्टी का पंजीकरण कराना है। 

     नाम बदलने को तैयार है पार्टी

    'हिमालयन टाईम्स’ की खबर के अनुसार NCP-माओवादी केंद्र के सदस्य शिव कुमार मंडल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड सदैव ही देश की सभी कम्युनिस्ट शक्तियों के बीच एकजुटता के पक्ष में रहे हैं और सुझाव दिया कि यदि पार्टी के नाम से ‘माओवादी केंद्र’ हटाने से इन शक्तियों को एकजुट होने में मदद मिल सकती है तो पार्टी उसके लिए तैयार है।

    नया नाम और नया चुनाव निशान

    पार्टी के नाम में बदलाव का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब पार्टी मुश्किलों में है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की अगुवाई वाली नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के विलय को खारिज कर दिया। हालांकि नेपाल के चुनाव आयोग ने नेकपा-एमाले और नेकपा-माओवादी केंद्र से कहा कि उनके विलय के निर्णय को कोर्ट के खारिज किए जाने के बाद यदि वे अब फिर से विलय करेंगे तो नए नाम और चुनाव निशान के साथ आना होगा।