Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नेपाल : संसद भंग करने के पीएम ओली के फैसले के खिलाफ प्रचंड ने भारत, चीन से मांगी मदद

    By Neel RajputEdited By:
    Updated: Tue, 09 Feb 2021 10:19 PM (IST)

    ओली के निचले सदन को भंग करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है जिस पर सुनवाई चल रही है। एक बार फैसला आने के बाद ही यह तय हो सकेगा कि चुनाव होंगे या भंग संसद ही एक बार फिर से बहाल होगी।

    Hero Image
    नेपाल में होने वाले संसदीय चुनाव का बहिष्कार कर सकता है प्रचंड गुट

    काठमांडू, एजेंसियां। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रचंड धड़े के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक ढंग से संसद भंग किए जाने के खिलाफ भारत और चीन समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी है। काठमांडू में अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रतिनिधियों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यदि हमें संघवाद और लोकतंत्र को मजबूत करना है तो संसद को जरूर बहाल किया जाना चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रचंड ने कहा कि उनका गुट अप्रैल और मई में होने वाले चुनावों का बहिष्कार कर सकता है। अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक चुनावों को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से नेपाल में लोकतंत्र और संविधान की स्थापना के पक्ष में खड़े होने का आह्वान किया।

    प्रचंड ने कहा कि चुनावों में भाग लेने के बारे में अभी फैसला होना बाकी है, लेकिन उनका गुट केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली अलोकतांत्रिक और नाजायज सरकार के तहत होने वाले चुनावों का बहिष्कार कर सकता है। ओली ने संसद के निचले सदन को पिछले वर्ष 20 दिसंबर को भंग करते हुए 30 अप्रैल और 10 मई को चुनाव कराने का एलान कर दिया था। ओली के निचले सदन को भंग करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर सुनवाई चल रही है। एक बार फैसला आने के बाद ही यह तय हो सकेगा कि चुनाव होंगे या भंग संसद ही एक बार फिर से बहाल होगी। प्रचंड ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट ओली के फैसले को मान्यता नहीं देगा। प्रचंड गुट ने ओली को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाते हुए उन्हें पार्टी की सदस्यता से भी निष्कासित कर दिया था। प्रचंड के नेतृत्व वाला गुट अब एक अलग पार्टी के तौर पर काम कर रहा है और उसने चुनाव आयोग में दावा किया है कि असली एनसीपी वही है। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक किसी भी गुट को मान्यता नहीं दी है।