Pope Francis: अब होगा नए पोप का चुनाव, 4 भारतीय चयन प्रक्रिया में लेंगे हिस्सा; जानिए क्या है इसका पूरा प्रोसेस
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद वेटिकन में नौ दिवसीय शोक मनाया जा रहा है। इसे नोवेन्डियाल के नाम से जाना जाता है जो एक प्राचीन रोमन परंपरा है जो आज भी जारी है। इस दौरान अगले पोप के चुनाव की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। वर्तमान में पापल सम्मेलन में मतदान करने के लिए पात्र 135 कार्डिनल्स में से चार भारत से हैं।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी पोप फ्रांसिस का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। पोप 88 वर्ष के थे और इस वर्ष डबल निमोनिया के चलते 38 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे।
पोप की मृत्यु के बाद, वेटिकन में नौ दिवसीय शोक मनाया जा रहा है, जिसे नोवेन्डियाल के नाम से जाना जाता है, जो एक प्राचीन रोमन परंपरा है जो आज भी जारी है। इस दौरान, अगले पोप के चुनाव की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।
अब होगा नए पोप का चयन
शोक अवधि के बाद, कार्डिनल्स को अगले पादरी का चुनाव करने के लिए सम्मेलन में बुलाया जाएगा। वर्तमान में पापल सम्मेलन में मतदान करने के लिए पात्र 135 कार्डिनल्स में से चार भारत से हैं।
ये चार भारतीय चयन प्रक्रिया में लेंगे हिस्सा
- कार्डिनल फिलिप नेरी फेराओ (72)- गोवा एवं दमन के मेट्रोपालिटन आर्कबिशप।
- कार्डिनल बेसलिओज क्लीमिज (65)- मेजर आर्कबिशप आफ त्रिवेंद्रम आफ सीरो-मलंकारा।
- कार्डिनल एंथोनी पूला (63)- हैदराबाद के मेट्रोपालिटन आर्कबिशप।
- कार्डिनल जार्ज जैकब कूवाकड (51)- केरल।
कैसे होगा नए पोप का चुनाव
- नोवेनडिएली के दौरान अगले पोप के चुनाव के लिए बैठक में प्रमुख पादरी (कार्डिनल) रोम पहुंचते हैं। पोप की गद्दी खाली होने के बाद यह बैठक 15-20 दिन के भीतर जरूर हो जानी चाहिए।
- अगर सभी कार्डिनल सहमत हों, तो यह प्रक्रिया पहले भी शुरू की जा सकती है। इस दौरान गुप्त सत्रों में हर कार्डिनल अपना वोट देता है। हर सत्र के बाद एक विशेष चूल्हे में इस मतपत्र को जला दिया जाता है।
- काला धुआं निकलने का मतलब है कि किसी पोप का चुनाव नहीं हुआ, जबकि सफेद धुआं बताता है कि कार्डिनल ने नए पोप का चुनाव कर लिया है।
- नए पोप के संभावित दावेदारकोई भी पवित्र स्नान करने वाला रोमन कैथोलिक पुरुष पोप बनने के योग्य है, लेकिन सन 1378 से केवल कार्डिनल को ही इस पद के लिए चुना जाता है।
कौन थे पोप फ्रांसिस
अमीरों का आलोचक होने के चलते उन्हें गरीबों का मसीहा भी कहा जाता था। सादगी भरा जीवन जीने वाले पोप फ्रांसिस का वास्तविक नाम जार्ज मारियो बर्गोगिलो था। मृत्युदंड व परमाणु हथियारों पर चर्च की नीति बदलने वाले पोप 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में इटली के प्रवासी परिवार में पैदा हुए थे।
केमिकल टेक्नीशियन के रूप में स्नातक करने के बाद उन्होंने पादरी बनना पसंद किया। 1969 में उन्हें रैमोन जोस कास्टेलैनो ने पादरी नियुक्त किया। 13 मार्च 2013 को उन्हें 266वां पोप चुना गया। 2005 में पोप जान पाल द्वितीय के बाद अब फ्रांसिस का पोप रहते हुए निधन हुआ है।
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