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    G20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए जोहान्सबर्ग जाएंगे पीएम मोदी, क्या होगा एजेंडा?

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 10:41 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जोहान्सबर्ग जाएंगे। शिखर सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था, विकास और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। भारत समावेशी विकास, डिजिटल अर्थव्यवस्था और जलवायु कार्रवाई पर जोर देगा और विकासशील देशों के हितों का प्रतिनिधित्व करेगा। इसका उद्देश्य वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजना है।

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (X- @narendramodi)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 नवंबर से 23 नवंबर तक होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग जाएंगे।

    इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका कर रहा है और यह ग्लोबलसाउथ में आयोजित होने वाला लगातार चौथा जी20 शिखर सम्मेलन है। बयान के अनुसार, इसमें कुल तीन सत्र होंगे और प्रधानमंत्री मोदी के सभी सत्रों में बोलने की उम्मीद है।

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    किन मुद्दों पर रहेगा फोकस?

    इन सत्रों में सतत आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आदि जैसे कई विषयों को शामिल किया जाएगा। जो इस प्रकार हैं।

    समावेशी और सतत आर्थिक विकास- अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण; व्यापार की भूमिका; विकास के लिए वित्तपोषण और ऋण भार।

    जी20 का योगदान- आपदा जोखिम न्यूनीकरण; जलवायु परिवर्तन; न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन; खाद्य प्रणालियां

    सभी के लिए एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण भविष्य-  महत्वपूर्ण खनिज; उत्कृष्ट कार्य; कृत्रिम बुद्धिमत्ता

    पीएम मोदी द्विपक्षीय बैठक करेंगे

    शिखर सम्मेलन से इतर, प्रधानमंत्री संभवतः जोहान्सबर्ग में मौजूद कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे और भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका या आईबीएसए नेताओं की बैठक में भी भाग लेंगे।

    जी20 में शामिल नहीं होंगे ट्रंप

    नवंबर की शुरुआत में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्डट्रंप ने घोषणा की थी कि कोई भी अमेरिकी अधिकारी इस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेगा, जिसकी मेजबानी दक्षिण अफ्रीका कर रहा है क्योंकि वह वार्षिक अध्यक्षता अमेरिका को सौंपने की तैयारी कर रहा है।

    उन्होंने अपने इस निर्णय का कारण दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अफ्रीकन किसानों के कथित उत्पीड़न को बताया। इस आरोप का दक्षिण अफ्रीकी सरकार और श्वेत समुदाय के कुछ नेताओं द्वारा बार-बार खंडन किया गया है। उन्हें दक्षिण अफ्रीकी सरकार और सत्तारूढ़ अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस से कड़ी प्रतिक्रिया मिली, जिन्होंने ट्रंप को साम्राज्यवादी हस्तक्षेप करार दिया।

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