Sri Lanka Blasts: दिल को दहलाने वाला मंजर, हर अोर खून के छींटे और बिखरे शव
प्रत्यक्षदर्शिओं का कहना है कि भीषण विस्फोट के बाद चर्च की दीवारों पर बस खून के छींटे और चीथड़े दिख रहे थे। यही हाल चर्च के बाहर और आसपास का भी था।
कोलंबो, प्रेट्र । श्रीलंका में भीषण धमाकों के बाद का हाल किसी की भी आंखों में आंसू ला सकता है। कुछ पल पहले जिस सेंट सेबेस्टियन चर्च में प्रभु यीशू के सैकड़ों अनुयायी प्रार्थना के लिए जुटे थे, दूसरे ही पल वहां सिर्फ चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। प्रभु की ओर उठे हाथों की जगह बिखरे शवों के बीच अपनों को खोजते हाथ दिख रहे थे। कुछ पल पहले श्रद्धा से झुकी आंखों में आंसू शेष रह गए थे। सेंट सेबेस्टियन चर्च की स्थापना 1946 में हुई थी।
प्रत्यक्षदर्शिओं का कहना है कि भीषण विस्फोट के बाद चर्च की दीवारों पर बस खून के छींटे और चीथड़े दिख रहे थे। यही हाल चर्च के बाहर और आसपास का भी था। पादरी एडमंड तिलकरत्ने ने बताया कि यह खास मौका था, इसलिए बड़ी संख्या में प्रभु यीशू के अनुयायी एकत्र थे।
हमले के बाद चर्च में करीब 30 लोगों के शव दिख रहे थे। वहां उस समय तीन पादरी थे, जिनमें से दो भीषण रूप से घायल हो गए। हर तरफ कांच के टुकड़े और अन्य मलबा बिखरा हुआ था। कोलंबो स्थित सेंट एंथनी चर्च की भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही थी। खबरों के मुताबिक, विस्फोट में चर्च की छत भी उड़ गई। कोलंबो के आर्कबिशप ने हमले के जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा की मांग की है।
2006 में हुआ था ऐसा हमला
श्रीलंका में इससे पहले 2006 में भीषण हमला हुआ था। हमला तमिल विद्रोही संगठन लिट्टे ने करवाया था। इस हमले को दिगमपाठना बॉम्बिंग के नाम से जाना जाता है। लिट्टे ने बम से भरे ट्रक से मिलिट्री की 15 बसों पर हमला किया था। इसमें 120 नाविक मारे गए थे।
लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) की स्थापना वी. प्रभाकरण ने 1976 में की थी। इसका मकसद उत्तर और पूर्व श्रीलंका में तमिल ईलम (तमिलों के लिए स्वतंत्र राज्य) बनाना था। 1983 से 2009 तक श्रीलंका गृहयुद्ध की चपेट में रहा। 16 मई, 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने लिट्टे के खात्मे का एलान किया।
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ब्रेकफास्ट के लिए लाइन में लगा, फिर कर दिया धमाका
ईस्टर के मौके पर चर्च में प्रार्थना करने के बाद लोग ब्रेकफास्ट के लिए श्रीलंका के पांच सितारा सिनामोन ग्रांड होटल के रेस्तरां में जुटे थे। आम लोगों के साथ आत्मघाती आतंकी भी ब्रेकफास्ट के लिए बुफे की लाइन में लगा था। औरों की तरह उसके हाथ में भी प्लेट थी, लेकिन दूसरों से अलग उसने अपनी पीठ पर विस्फोट भी बांध रखे थे। उसके आस-पास में खड़े लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी। अचानक उसने विस्फोट कराया और सबकुछ खत्म हो गया।
होटल के रजिस्टर में आतंकी का नाम मोहम्मद आजम मोहम्मद दर्ज था
होटल के मैनेजर ने बताया कि आत्मघाती हमलावर शनिवार की रात होटल में आया था। होटल के रजिस्टर में उसने अपना नाम मोहम्मद आजम मोहम्मद दर्ज किया था। ब्रेकफास्ट के लिए उसकी बारी आने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही उसने धमाका करा दिया। ईस्टर ब्रेकफास्ट के लिए होटल के रेस्तरां में भीड़ कुछ ज्यादा ही थी। घड़ी की सुइयां सुबह के 8.30 बजने का संकेत दे रही थी। ब्रेकफास्ट के लिए लोग अपने परिजनों के साथ पहुंचे थे। होटल का एक मैनेजर लोगों का स्वागत-सत्कार कर रहा था। धमाका हुआ तो उस मैनेजर की जान भी नहीं बची।
हमलावर भी मारा गया, जांच के लिए बॉडी ले गई पुलिस
होटल के मैनेजर ने बताया कि हमलावर भी मारा गया। उसके शरीर का एक बड़ा हिस्सा सही सलामत मिला, जिसे जांच के लिए पुलिस अपने साथ ले गई। होटल के दूसरे अधिकारियों ने बताया कि आत्मघाती हमलावर ने खुद को व्यवसायी बताया था। बिजनेस के काम से शहर में आने की बात भी कही थी। वह श्रीलंकाई नागरिक था, लेकिन उसने अपना जो पता बताया था, वह फर्जी ही निकलेगा। मैनेजर ने बताया कि धमाका होते ही तुरंत घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। लगभग 20 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिन्हें नेशनल हॉस्पिटल भेजा गया। होटल सिनामोन ग्रांड श्रीलंका के प्रधानमंत्री के सरकारी आवास के पास ही स्थित है। इसलिए धमाका होने के कुछ ही देर बाद वहां कमांडों पहुंच गए।
शक्तिशाली था विस्फोट
विस्फोट कितना शक्तिशाली था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि होटल की दूसरी मंजिल पर स्थित रेस्तरां के परखच्चे उड़ गए। खिड़कियों के शीशे टूट गए और बिजली के तार दीवारों से उखड़कर झूल गए। होटल शांगरी ला के टेबल वन रेस्तरां में भी सुबह नौ बजे के आस-पास धमाका हुआ।
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