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    Oxford Word of the Year : 'ब्रेन रोट' बना 2024 का वर्ड ऑफ द ईयर, जानिए क्या होता है इसका मतलब

    Updated: Tue, 03 Dec 2024 11:24 AM (IST)

    सोशल मीडिया पर रील या शॉर्ट्स स्क्रॉल करना आखिर किसे नहीं पसंद। घंटों तक कंटेंट देखना उससे सेकंड भर की प्रेरणा लेना और फिर अगले कंटेंट में घुस जाना यही तो हमारा काम हो गया है। लेकिन आपकी स्क्रॉलिंग की इसी आदत के लिए एक शब्द इस्तेमाल होता है- ब्रेन रोट। इसे ऑक्सफोर्ड ने वर्ड ऑफ द ईयर भी बनाया है।

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    ब्रेन रोट बना वर्ड ऑफ द ईयर 2024 (फोटो: कैनवा)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में इंटरनेट हमारी जिंदगी का इतना अहम हिस्सा बन चुका है कि बिना इसके जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। लेकिन इसी इंटरनेट की दुनिया में रील और शॉर्ट्स नाम के दो प्रेत भी मौजूद है। नाम भले ही अलग-अलग हों, लेकिन दोनों का काम एक ही है- आपका समय बर्बाद करना।

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    आप सोच रहे होंगे कि हम आज ये ज्ञान क्यों बांटने लगे हैं। दरअसल सोशल मीडिया पर बिना सोचे-समझे केवल स्क्रॉल करते जाने की इसी निरंतरता के लिए एक टर्म इस्तेमाल किया जाता है- ब्रेन रोट (Brain Rot)। अब इसी शब्द को ऑक्सफोर्ड ने वर्ड ऑफ द ईयर 2024 घोषित किया है।

    230 फीसदी तक बढ़ा इस्तेमाल

    वो सोशल मीडिया पर एक मीम चलता है ना- 'जल लीजिए, थक गए होंगे स्क्रॉल करते-करते', तो फिलहाल आपको जल की ही जरूरत है। क्योंकि ये फिजूल का स्क्रॉल आपको मानसिक सड़न दे रहा है। बीते एक साल मे ब्रेन रॉट शब्द का इस्तेमाल 230 फीसदी बढ़ा है।

    अगर मामला जटिल लग रहा हो, तो थोड़ा आसान भाषा में समझते हैं। क्या आपको सुबह-सुबह उठकर फोन चेक करने की आदत है? क्या फोन चेक करते-करते आप अचानक से सोशल मीडिया पर पहुंच जाते हैं और फिर आधे घंटे बाद आपको याद आता है कि अभी तो आप बिस्तर से भी नहीं उठ पाए हैं? क्या आप कहीं भी बैठे, खड़े या लेटे होकर फोन पर रील या शॉर्ट्स स्क्रॉल करने लगते हैं? अगर हां तो आप ब्रेन रोट का शिकार हैं।

    ब्रेन रोट शब्द की हो रही चर्चा

    एल्गोरिद्म का है सारा खेल

    दरअसल होता ये है कि सोशल मीडिया पर कंटेंट की भरमार है। आप किसी रील या वीडियो पर औसत के मुकाबले 2 सेकेंड भी अतिरिक्त गुजार देंगे, तो संबंधित एप का एल्गोरिद्म समझ जाएगा कि फलां कैटेगरी की वीडियो आपको पसंद है, भले ही आपको न हो। अब आपकी स्क्रीन पर तमाम ऐसे ही रील और कंटेंट पसर जाएंगे।

    स्क्रॉल करते-करते आपको भी नहीं पता चलता कि जो कंटेट आप देख रहे हैं, वह आपके काम की है भी या नहीं। ये वही स्थिति है, जिसमें हम बिना कुछ समझे या सोचे कंटेंट को स्क्रॉल किए जा रहे हैं, क्योंकि स्क्रीन पर वही आ रहा है और आप सोशल मीडिया की दुनिया में गोते लगा रहे हैं।

    कंटेंट हो रहा कंज्यूम

    आप सोचते हैं कि बस कुछ देर और, बस कुछ रील और... लेकिन ये अंत तब तक नहीं आता, जब तक आपको कोई दूसरा काम नहीं याद आए या मम्मी आकर आपसे ये न कह दें कि कई घंटे से आप इसी में लगे हुए हैं। ब्रेन रोट शब्द इसी मानसिक सड़न को संदर्भित करता है, जिसमें आप लो क्वालिटी कंटेट, रिपीट होने वाले कंटेट को बस कंज्यूम कर रहे हैं, बिना किसी मतलब के।

    ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर

    1854 में पहली बार इस्तेमाल

    ब्रेन रोट शब्द का इस्तेमाल आज से करीब 170 साल पहले किया गया था। 1854 में लिखी हेनरी डेविड की किताब वाल्डेन (Walden) में इस शब्द का पहली बार जिक्र किया गया। उन्होंने समाज के सतहीपन पर कटाक्ष करते हुए लिखा था कि जब इंग्लैंड आलू की सड़न खत्म करने का प्रयास कर रहा है, तो मानसिक सड़न के लिए क्यों नहीं।