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उत्‍तर-दक्षिण कोरिया के बीच हॉटलाइन सेवा शुरू होने का क्‍या होगा असर, जानें- विशेषज्ञों की राय

साल भर के बाद उत्‍तर और दक्षिण कोरिया के बीच एक बार फिर से हॉटलाइन सेवा बहाल कर दी गई है। जानकार मान रहे हैं कि इससे दोनों देशों के संबंधों पर असर जरूर पड़ेगा। इसका असर अमेरिका से उसके संबंधों पर भी पड़ेगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 10:21 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 10:21 AM (IST)
उत्‍तर-दक्षिण कोरिया के बीच हॉटलाइन सेवा शुरू होने का क्‍या होगा असर, जानें- विशेषज्ञों की राय
हॉटलाइन शुरू होने का असर उत्‍तर और दक्षिण कोरिया के संबंधों पर पड़ेगा।

सिओल (रायटर)। दक्षिण और उत्‍तर कोरिया के बीच एक बार फिर से हॉटलाइन को चालू कर दिया गया है। इस हॉटलाइन को पिछले वर्ष एकतरफा तरीके से उत्‍तर कोरिया ने बंद कर दिया था। अब दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति निवास ब्‍लू हाउस से दी गई जानकारी में कहा गया है कि दोनों देश एक बार फिर से संबंधों को मजबूत करने पर राजी हो गए हैं। इसके तहत दोनों के बीच विश्‍वास बहाली करने और इसको बढ़ाने के मकसद से इस हॉटलाइन को दोबारा शुरू किया गया है।

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दोनों तरफ के नेताओं के इस संबंध में आए बयान पर यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कोरियन स्‍टडीज के प्रोफेसर यांग मू-जिन ने कहा कि ये दो कोरियाई राष्‍ट्रों में संबंधों की बेहतरी के लिए उठाया गया एक कदम है। उन्‍होंने इस बात की भी उम्‍मीद जताई है कि इसका असर भी सकारात्‍मक दिखाई देगा।

उन्‍होंने ये भी कहा कि इस हॉटलाइन के दोबारा शुरू हो जाने के बाद दोनों देशों के बीच इमरजेंसी के तौर पर अलर्ट मैसेज दिए जा सकें। जैसे इसके शुरु होने के बाद बाढ़ और तूफान की चेतावनी जल्‍द देना आसान हो जाएगा। इसके अलावा कोरोना महामारी से जुड़ी जानकारियां और सीमा से जुड़े अन्‍य मसलों को भी सुधारने में मदद मिलेगी।

उन्‍होंने ये भी कहा कि दोनों देशों के बीच बेहतर होते संबंधों का असर उत्‍तर कोरिया और अमेरिका के संबंधों पर भी जरूर पड़ेगा। ये भी मुमकिन है कि आने वाले समय में उत्‍तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत हो सके। एक अन्‍य विशेषज्ञ दक्षिण कोरिया के ब्रिगेडियर जनरल मून सियोंग मूक की राय में उत्‍तर कोरिया लगातार इस बारे में विचार करता रहा है कि दक्षिण कोरिया से किस बारे में बातचीत की जाए।

उनका ये भी कहना है कि उत्‍तर कोरिया पर पहले से काफी प्रतिबंध लगे हुए हैं। वहीं उत्‍तर कोरिया चाहता है कि ये प्रतिबंध हटाए जाएं। इस संबंध में ये हॉटलाइन उसकी कोई मदद नहीं कर सकेगी। आपको बता दें कि मून दोनों देशों के बीच हुई शांति वार्ता में शामिल हो चुके हैं। वर्तमान में मून सियोल स्थित यूनिफिकेशन स्‍ट्रेटेजी सेंटर के प्रमुख हैं।

मून का ये भी कहना है कि उत्‍तर कोरिया ये भी सोच रहा है कि हॉटलाइन की शुरुआत करने से दक्षिण कोरिया अमेरिका के साथ अगस्‍त में होने वाली ज्‍वाइंट मिलिट्री एक्‍सरसाइज को न करने के लिए गंभीरता से विचार करेगा। लेकिन बातचीत शुरू करने में ये कदम उठाना काफी मुश्किल है। उनके मुताबिक बातचीत के लिए पहली शर्त उत्‍तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम ही है।

पूर्व सीआईए उत्‍तर कोरिया के विश्‍लेषक और मौजूदा समय में रेंड को-ऑपरेशन के प्रमुख सू किम का कहना है कि उत्‍तर कोरिया पिछले वर्ष से ही उत्‍तर कोरिया दक्षिण कोरिया को प्रतिबंधों से निजात दिलाने वाले देश के रूप में देख रह है। महामारी के दौर में उत्तर कोरिया की आर्थिक हालत काफी खबरा है। उत्‍तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन खुद इस बात को मान चुके हैं कि आने वाले समय में देश को अनाज की गंभीर समस्‍या का सामना करना पड सकता है।

जहां तक दक्षिण कोरिया की बात है तो राष्‍ट्रपति निवास ब्‍लू हाउस का मानना है कि हॉटलाइन को दोबार चालू करने का सकारात्‍मक असर जरूर दिखाई देगा। उत्‍तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए ने कहा है कि 27 जुलाई की सुबह दस बजे से दोनों देशों के बीच सभी हॉटलाइन को खोल दिया गया है। उन्‍होंने भी माना है कि इसका सकारात्‍मक असर आने वाले दिनों में जरूर दिखाई देगा।


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