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    शांति के एवज में कई मनसूबे पाले बैठा है उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Fri, 09 Mar 2018 09:21 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मिलने की सहमति दे दी है। दोनों नेताओ के बीच इसी साल मई के महीने में ये मुलाकात होनी तय हुई है।

    शांति के एवज में कई मनसूबे पाले बैठा है उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन

    नई दिल्ली [शिवांग माथुर]। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मिलने की सहमति दे दी है। दोनों नेताओ के बीच इसी साल मई के महीने में ये मुलाकात होनी तय हुई है। बता दे कि दोनों नेताओं के बीच ये पहली मुलाकात होगी। किम जोंग उन ने राष्ट्रपति ट्रंप को बाकायदा न्योता भेजा था, जिसे ट्रंप ने स्वीकार किया है। नॉर्थ कोरिया के हवाले से साउथ कोरिया ने कहा है कि किम एटमी टेस्ट बंद करने या परमाणु अप्रसार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस मुलाकात के लिए खुद डोनाल्ड ट्रंप नार्थ कोरिया जाएंगे। हालांकि मई में होने वाली इस बैठक से बहुत ज्यादा उम्मीद लगाना अभी जल्दीबाजी होगी, पर निश्चित ही विश्व युद्ध का खतरा जो लंबे समय से मंडरा रहा था वो कुछ समय के लिए जरूर टल गया है।

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    बेहद खास होगी मुलाकात

    ये मुलाकात अपने आप में बेहद खास होगी। खासकर तब जबकि राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और किम जोंग उन दोनों एक दूसरे को युद्ध की धमकी दे चुके हैं। लेकिन किम जोंग के नर्म पड़े तेवर कई बातो की और इशारा भी करते हैं। किम जोंग उन का अमेरिका के एटमी प्रोग्राम बंद करने की मांग मान लेना कई बातो को स्पष्ट करता है।

    ईरान की तरह हुआ उत्तर कोरिया

    असल में जिस तरह से अमेरिका ने नार्थ कोरिया को अलग थलग किया है ठीक ऐसा ही उसने एक वक्‍त ईरान के साथ भी किया था। अपनी गिरती आर्थिक स्थिति को देख नार्थ कोरिया को अमेरिका के आगे झुकना पड़ा है। आज की स्थिति में उत्तर कोरिया बेहद नाजुक आर्थिक हालात जूझ रहा हैं। मौजूदा समय में वो न तो बुनियादी चीजें जिसमे राशन, तेल आदि चीजें दूसरे मुल्को से आयात कर पा रहा है और न ही देश के बिगड़े हालातों पर काबू कर पा रहा है। इसके अलावा तरफ नार्थ कोरिया ने अलग छोर से साउथ कोरिया से बातचीत शुरू कर दी है। आपको बता दें कि नार्थ कोरिया दोनों देशो के बीच अमेरिका के हस्तक्षेप से शुरू से ही नाखुश था। इस बीच नार्थ कोरिया ने साउथ कोरिया से अपने रिश्तों को बेहतर करने की कोशिश भी की है।

    किम की मंशा पर अमेरिकी ब्रेक

    जानकारों की मानें तो नार्थ कोरिया की शुरू से ही नीति रही है की पहले डर और दहशत का माहौल बनाओ फिर अपनी शर्तो को दुश्मन देशों से मनवा लो। असल में किम नार्थ कोरिया को न्युक्लियर पॉवर स्टेट घोषित करवाना चाहते हैं। जिसके लिए उसे अमेरिका की मदद चाहिए होगी, पर अमेरिका किसी सूरत में ये नहीं होने देना चाहता हैं।

    इसलिए नरम हुए हैं किम

    विदेश मामलो के जानकार कमर आगा के मुताबिक "किम जानते हैं की अगर अमेरिका से युद्ध होता हैं तो नार्थ कोरिया को हार का सामना करना पड़ेगा। इसीलिए किम जोंग उन अमेरिका के आगे नरम पड़ गए हैं। किम की इस नरमी को उनकी रणनीति के तौर पर देखा जाना चाहिए की वो परिक्षण न करके साउथ कोरिया और अमेरिका दोनों से आर्थिक मदद लेगा, साथ ही उस पर लगे प्रतिबंधो को हटाने की मांग भी करेगा ।लंबे समय तक भय और युद्ध का माहौल नार्थ कोरिया के लिए खतरनाक साबित हो सकता था और ये उसे वास्तिविक युद्ध की ओर ले जाता। इसीलिए अपने तेवर को किम ने नरम किया है”।

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    शांति के एवज में बड़ा सौदा

    वही नार्थ कोरिया अपना इंडस्ट्रियल कॉरिडोर फिर से शुरू करना चाहता। साउथ कोरिया से आर्थिक मदद भी किम के दिमाग में है। कुल मिलाकार दुनिया में शान्ति रखने की ऐवज में किम बड़ा सौदा करने का मन बनाए बैठा है। अमेरिका की लंबे समय से मांग रही है कि नॉर्थ कोरिया अपना एटमी प्रोग्राम बंद करे। इसी के चलते उस पर कई प्रकार के प्रतिबंध भी लगाए गए थे जो आगे भी लगे रहेंगे। वही अमेरिका नार्थ कोरिया पर हर प्रकार से दवाब बनाने की कोशिश करता रहा है। बता दें कि अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के बीच मुलाकात कराने में साउथ कोरिया ने ही मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। साउथ कोरिया के नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर (एनएसए) चुंग यूई-योंग ने ही इस बात की जानकारी दी थी कि ट्रंपउन से मुलाकात के लिए राजी हो गए हैं।

    कर चुका है कई परमाणु परिक्षण

    जानकारी के अनुसार अब तक नॉर्थ कोरिया हाइड्रोजन बम समेत अब तक कई न्यूक्लियर टेस्ट कर चुका है। अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के बीच लंबे समय से विवाद की यही बड़ी वजह भी रही है। अमेरिका का कहना था कि नॉर्थ कोरिया को अपना न्यूक्लियर प्रोग्राम खत्म करना चाहिए। पिछले साल नॉर्थ कोरिया ने कई मिसाइल टेस्ट किए, जिनमें इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का टेस्ट भी शामिल है।अमेरिका को दिखाने के लिए नॉर्थ कोरिया ने समुद्र तट पर लाइव फायरिंग भी की थी। नॉर्थ कोरिया ने दावा किया कि फायरिंग का उसका ये सबसे बड़ा टेस्ट था।

    अमेरिका को युद्ध की धमकी

    वहीं किम जोंग लगातार अमेरिका को युद्ध की धमकी देते रहे हैं। दोनों देशों की ओर से हुई बयानबाजी ने भी तनाव बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई हैं। दोनों नेताओं के बीच न्यूक्लियर बटन के इस्तेमाल को लेकर भी विवाद हुआ था। किम ने अमेरिका को धमकी भरे लफ्जों में कहा था की न्यूक्लियर बटन हमेशा मेरी टेबल पर रहता है। इस पर पलटवार करते हुए ट्रंप ने कहा था की नार्थ कोरिया ये न भूले की अमेरिका के पास ज्यादा बड़ा न्यूक्लियर बटन हैं।

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