कौन है पाक का जानी दुश्मन नूर वली महसूद? जिसे मारने के लिए पाकिस्तान बार-बार कर रहा एयरस्ट्राइक
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। सीमा पर झड़प जारी है। पाकिस्तान, नूर वली महसूद चरमपंथी नेता को अपनी जमीन पर हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराता है, जिसके अफगानिस्तान में छिपे होने का संदेह है। पाकिस्तान का आरोप है कि तालिबान टीटीपी को समर्थन दे रहा है, जबकि तालिबान पाकिस्तान पर आईएसआईएस को समर्थन देने का आरोप लगाता है।

नूर वली महसूद । फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लड़ाई पर विराम तो लगा है लेकिन दोनों ओर से छिटपुट झड़प की खबरें सामने आ रही हैं। दशकों से दोनों पड़ोसी देश सीमा पर तनाव का सामना कर रहे हैं। संकट की इस घड़ी में एक चरमपंथी नेता का साया मंडरा रहा है, जिस पर पाकिस्तान रोजाना अपनी धरती पर हमले करने का आरोप लगाता रहा है। बुधवार को सीमा पर युद्धविराम लागू हो गया, लेकिन पाकिस्तान की शिकायत दूर नहीं हुई क्योंकि नूर वली महसूद और उसके सहयोगी अभी भी अफगानिस्तान में मौजूद हैं।
पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, पिछले सप्ताह काबुल में हुए एक हवाई हमले में एक कार को निशाना बनाया गया, जिसमें माना जा रहा है कि वह महसूद को ले जा रहा था। चरमपंथियों और पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि वह शायद वो बच गया। पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर इस हवाई हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है। अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान, पाकिस्तानी चरमपंथियों को पनाह देने से इनकार करता है और बदले में, पाकिस्तान पर अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी, इस्लामिक स्टेट समूह की स्थानीय शाखा को पनाह देने का आरोप लगाता है।
कौन है नूर वली महसूद ?
एक आम नागरिक से उग्रवादी बने नूर वली महसूद का जन्म 26 जून 1978 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत एक छोटे से गांव में हुआ था। वो मेहसूद कबीले के मेचीखेल उप-कबीले से जुड़ा था। नूर ने मदरसा सिद्दीकिया उस्पास में पढ़ाई की थी।
कैसे बढ़ी टीटीपी की ताकत?
पाकिस्तान कहता है कि साल 2021 में तालिबान के पड़ोसी देश पर कब्ज़ा करने से टीटीपी को ज़्यादा आज़ादी मिली और हथियारों तक उसकी पहुंच बढ़ी। इससे पहेल टीटीपी ने मस्जिदों और बाज़ारों जैसे नागरिक ठिकानों पर हमले किए थे, जिसमें 2014 में एक स्कूल पर हमले में 130 से ज़्यादा बच्चों की हत्या भी शामिल है। महसूद को चिंता थी कि इन हमलों से पाकिस्तान की जनता में आक्रोश फैलेगा, इसलिए उसने समूह को केवल सेना और पुलिस को ही निशाना बनाने का निर्देश दिया।
इस साल की शुरुआत में जारी एक वीडियो भाषण में उसने पाकिस्तानी सेना को इस्लाम विरोधी बताया, राजनीति में उसकी भूमिका की आलोचना की और कहा कि जनरलों ने "पिछले 79 सालों से पाकिस्तान के लोगों का अपहरण" किया है। पाकिस्तानी सेना का कहना है कि टीटीपी ने इस्लाम को खराब किया है और उसे देश के विरोधी भारत का समर्थन प्राप्त है, हालांकि भारत इस आरोप का खंडन करता है।
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