Nobel Prize 2024: अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एंब्रोस और गेरी रुवकोन को मिला नोबेल पुरस्कार, की थी ये खास खोज
मेडिसिन और फिजियोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा हुई। इस साल मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार विक्टर एंब्रोस और गेरी रुवकोन को मिला है। उन्हें ये पुरस्कार माइक्रो RNA की खोज के लिए मिला है। नोबेल प्राइज देने वाली कमेटी ने कहा था कि इनकी दी गई mRNA टेक्नोलॉजी से बनी कोरोना वैक्सीन के जरिए दुनिया कोरोना महामारी से निकल पाई।

एपी, स्टॉकहोम। माइक्रो आरएनए की खोज करने वाले अमेरिका के दो विज्ञानियों विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन को इस साल चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिलेगा। वर्ष 2024 के लिए चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार की सोमवार को घोषणा की गई। दोनों विज्ञानियों को संयुक्त रूप से को 10 दिसंबर को पुरस्कार मिलेंगे।
माइक्रो आरएनए जेनेटिक मेटेरियल आरएनए का छोटा टुकड़ा होता है, जो कोशिका के स्तर पर जीन की कार्यप्रणाली को बदलने देता है। माइक्रो आरएनए की जीन की गतिविधि को नियंत्रित करने और जीवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दोनों विज्ञानियों की खोज ने जीन को नियंत्रित करने के नए सिद्धांत के बारे में बताया है। उनके शोध से यह समझने में मदद मिली कि शरीर में कोशिकाएं कैसे काम करती हैं।
एंब्रोस ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में माइक्रो आरएनए को लेकर शोध किया। वह यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल में नेचुरल साइंस के प्रोफेसर हैं, जबकि रुवकुन ने यह शोध मैसाचुसेट्स जनरल हास्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में किया।
कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जगी उम्मीद
इंपीरियल कॉलेज लंदन में मोलेक्युलर आंकोलाजी की लेक्चरर डॉ. क्लेयर फ्लेचर के अनुसार इस शोध ने कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए वैज्ञानिकों के रास्ते खोल दिए हैं। माइक्रो आरएनए कोशिकाओं को नए प्रोटीन बनाने के लिए जेनेटिक निर्देश देता है। यह रोगों के उपचार के लिए दवाओं के विकास और बायोमार्कर के रूप में उपयोगी हो सकता हैं। त्वचा कैंसर के इलाज में माइक्रोआरएनए तकनीक किस तरह से मददगार हो सकती है, यह देखने के लिए क्लीनिकल परीक्षण चल रहे हैं।
क्या होते हैं माइक्रो आरएनए?
भले ही हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं में एक जैसे जीन होते हैं, लेकिन मांसपेशियों और तंत्रिका कोशिकाओं जैसी विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं अलग-अलग कार्य करती हैं। यह जीन नियंत्रण के कारण संभव है, जो कोशिकाओं को केवल उन जीनों को सक्रिय करने की अनुमति देता है, जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है। दोनों विज्ञानियों इसी बात पर शोध कर रहे थे कि विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं किस प्रकार विकसित होती हैं। इसी दौरान उन्होंने माइक्रो आरएनए की पहचान की। मानव जीनोम एक हजार से ज्यादा माइक्रो आरएनए को कोड करता है। माइक्रो आरएनए कोशिका द्रव्य में एमआरएनए के स्थानांतरण और विघटन को नियंत्रित करते हैं।
विक्टर एंब्रोस ने 1993 में खोजा था पहला माइक्रो आरएनए
अमेरिकी विज्ञानी विक्टर एंब्रोस ने 1993 में पहला माइक्रो आरएनए खोजा था। एंब्रोस का जन्म 1953 में न्यू हैंपशायर में हुआ था। उन्होंने 1975 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
गैरी रुवकुन ने की थी माइक्रो आरएनए एलईटी-7 की खोज
जीव विज्ञानी गैरी ब्रूस रुवकुन ने दूसरे माइक्रो आरएनए एलईटी- 7 की खोज की थी। उन्होंने पता लगाया कि विक्टर एंब्रोस द्वारा पहचाना गया पहला माइक्रो आरएनए लिन-4 आरएनए को कैसे नियंत्रित करता है। रुवकुन का जन्म मार्च 1952 में कैलिफोर्निया में हुआ था। वह मैसाचुसेट्स जनरल हास्पिटल में जीव विज्ञानी और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में आनुवंशिकी के प्रोफेसर हैं।
उन्होंने 1973 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से स्नातक की डिग्री प्राप्त की, और 1982 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से बायोफिजिक्स में पीएचडी की, जहां उन्होंने जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीन का अध्ययन किया। वह 1985 से हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल में जेनेटिक्स के प्रोफेसर हैं।
पिछले वर्ष कारिको और ड्रू वीसमैन को मिला था चिकित्सा का नोबेल
पिछले वर्ष चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को उन खोजों के लिए दिया गया था, जिनसे कोविड-19 के खिलाफ एमआरएनए वैक्सीन का निर्माण संभव हुआ था।
अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता था पुरस्कार
स्वीडिश विज्ञानी और डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर यह पुरस्कार 1901 से विज्ञान, साहित्य और शांति के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए दिया जा रहा है। अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार 1969 से दिया जाता है। अल्फ्रेड नोबेल की वयीयत से पुरस्कार विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर या 10 लाख डालर की नकद राशि दी जाती है।
चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार कुल 227 विजेताओं को नोबेल पुरस्कार दिया गया है, जिनमें से केवल 13 महिलाओं को यह पुरस्कार मिला है। सर एलेक्जेंडर फ्लेमिंग को 1945 में पेनिसिलिन की खोज के लिए और रॉबर्ट कोच को टीबी या तपेदिक से संबंधित खोज के लिए 1905 में यह सम्मान दिया गया था।
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