जानें आखिर इस एक बड़े कदम से न्यूजीलैंड में कैसे रुकेंगी क्राइस्टचर्च जैसी घटनाएं
15 मार्च को क्राइस्टचर्च में हुए आतंकी हमले के बाद न्यूजीलैंड ने बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत इस तहर की घटनाओं को रोका जा सकेगा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों पर 15 मार्च को हुए आतंकी हमले को न्यूजीलैंड के लोग आज तक नहीं भूल सके हैं। इसमें 50 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें कुछ भारतीय भी शामिल थे। इस हमले ने न सिर्फ न्यूजीलैंड बल्कि पूरी दुनिया में बढ़ते गन कल्चर पर दोबारा विचार करने की जरूरत महसूस करने और इस पर सख्त कदम उठाने पर भी जोर दिया। आपको यहां पर बता दें कि अमेरिका समेत कई देशों में बढ़ते गन कल्चर की वजह से इस तरह की घटनाएं कई बार सामने आ चुकी हैं। दुनिया के कई देशों में घातक हथियारों की खरीद-फरोख्त को लेकर कड़े कानून नहीं हैं। लेकिन फिलहाल अब न्यूजीलैंड ने क्राइस्टचर्च की घटना के बाद इस बढ़ते गन कल्चर को खत्म करने का फैसला जरूर लिया है। यही वो बड़ा कदम है जिससे यहां पर दोबारा ऐसी खूनी घटनाओं को होने से रोका जा सकता है।
हथियारों को लेकर नए कानून पर मुहर
न्यूजीलैंड की संसद ने इस घटना के बाद बंदूक रखने के नियमों में बदलाव कर दिए हैं। संसद में हुई बहस के बाद इस बात पर मुहर लग गई है कि सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सेमी-ऑटोमैटिक राइफल्स को आम लोगों के हाथों में जाने से रोका जाएगा और इस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसे क्राइस्टचर्च घटना का प्रभाव ही कहा जाएगा कि इस प्रस्ताव के पक्ष में जहां 119 वोट पड़े वहीं इसके खिलाफ महज एक वोट पड़ा। 11 अप्रैल को न्यूजीलैंड के गवर्नर जनरल पेस्टी रेडी ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर इसके कानून बनने का भी रास्ता साफ कर दिया। इसके साथ ही लोगों से इस तरह के घातक हथियारों की खरीद करने की घोषणा भी कर दी गई है। नए कानून के साथ ही अब इस तरह के घातक हथियारों को रखना पूरी तरह से प्रतिबंधित हो गया है। इसके अलावा पुलिस की तरफ से भी लोगों से अपील की गई है कि जिस किसी के भी पास इस तरह के हथियार हैं वह इसकी सूचना पुलिस को तत्काल दे। इस बिल के पास होने से पहले संसद में चर्चा के साथ आम जनता से भी इसके बारे में राय ली गई।
न्यूजीलैंड की पीएम का भाषण
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने इस प्रस्ताव पर बहस के दौरान कहा कि आतंकी घटना के बाद जब वह अस्पताल में जख्मी लोगों से मिलने गई तो वहां सभी के एक से ज्यादा जख्म थे। उनका कहना था कि वो लोग इस हादसे से काफी समय में उबर सकेंगे। कुछ ऐसे भी हैं जो हमेशा के लिए विकलांग हो गए हैं। इसके अलावा इस घटना का उनके दिमाग पर गहरा असर भी पड़ा है। उन्होंने अपने इस भाषण में कहा कि सरकार इन लोगों के साथ हमेशा खड़ी रहेगी। उनके मुताबिक वह नहीं जानती थीं कि इस देश में कानूनी रूप से बिक रहे हथियार एक दिन इतने बड़े विनाश का कारण बनेंगे।
क्या है नया कानून और छूट
नए कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति ऐसे हथियार रखता है तो उसे पांच साल की जेल की सजा हो सकती है। प्रतिबंधित हथियारों को जमा करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया गया है। नया कानून बनने के बाद 300 हथियार जमा भी किए जा चुके हैं। सरकार ने ये भी साफ कर दिया है कि सरकार द्वारा चलाए जाने वाले बाइबैक प्रोग्राम के खत्म होने तक ऐसे हथियार रखने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके अलावा पेस्ट कंट्रोल में काम आने वाले और विरासत में मिले पुराने हथियारों को इस नियम में छूट दी गई है।
करीब 15 लाख हथियार मौजूद
गनपॉलिसी वेबसाइट के मुताबिक न्यूजीलैंड में मौजूदा समय में 12 से 15 लाख हथियार हैं। बड़ी संख्या में बंदूकें होने के कारण अधिकारियों को यह डर भी सता रहा है कि इतनी तादाद में खरीद से सरकार को भारी बोझ उठाना पड़ेगा। प्रधानमंत्री जसिंदा एर्डर्न के मुताबिक जनता से हथियारों की इस खरीद में 470-940 करोड़ रुपये का बोझ सरकार को वहन करना पड़ सकता है।
हत्यारोपी पर चल रहा मुकदमा
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस हमले के आरोपी ऑस्ट्रेलियाई नागरिक पर 50 लोगों की हत्या और 39 लोगों की हत्या की कोशिश का मुकदमा चल रहा है। इसके साथ ही एक आयोग का भी गठन किया गया है जो इस बात की जांच कर रहा है कि उसने हथियार कैसे और कहां से खरीदे। साथ ही आयोग यह भी देखेगा कि उसको हथियारों का लाइसेंस कैसे मिला।
दुनिया में फैला गन कल्चर
जहां तक पूरी दुनिया में फैले गन कल्चर की बात है तो आपको बता दें कि अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, स्विटजरलैंड, रूस, चेक रिपब्लिक, यमन, इजराइल, पाकिस्तान और रूस में यह काफी देखने को मिलता है। इन देशों में हथियारों को लेकर कोई सख्त कानून नहीं हैं। यही वजह है कि अमेरिका में हर साल गोलीबारी की घटनानएं सामने आती हैं। वहीं रूस और चेक रिपब्लिक की बात करें तो यहां पर पूर्व में कई शासकों का राज रहा है। इसमें नाजी भी शामिल हैं। यहां का इतिहास इस बात का गवाह है कि लोगों ने दुश्मनों से बचाव के लिए हथियारों को रखने का जो िसिलसिला शुरू किया था वह आज भी जारी है।