नेपोटिज्म, घोटाले, बेरोजगारी... नेपाल में और किन-किन कारणों से भड़की हिंसा?
Nepal Protest Inside Story नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद युवाओं का विरोध प्रदर्शन हुआ जिसमें संसद पर हमला किया गया। इस हिंसा में 19 लोगों की जान चली गई। इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शनकारियों का गुस्सा फूटने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या यह हिंसा महज सोशल मीडिया बैन के खिलाफ है या फिर इसके पीछे कोई और भी वजह है?

डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल सरकार ने फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम समेत सभी सोशल मीडिया ऐप्स को रजिस्ट्रेशन करवाने का आदेश दिया और 1 हफ्ते बाद सभी ऐप्स पर बैन लगा दिया गया। इस बैन के खिलाफ हजारों की संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए। नेपाल की संसद पर हमला बोल दिया गया। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हैं।
नेपाल से सामने आ रहीं हिंसा की तस्वीरें देखने के बाद सबके मन में सिर्फ एक ही सवाल है कि यह हंगामा क्या सिर्फ सोशल मीडिया ऐप्स के लिए है या फिर Gen-Z (1997-2012 के बीच जन्मे लोग) के इस प्रदर्शन के पीछे कोई और वजह है?
दरअसल नेपाल में भ्रष्टाचार की आवाज काफी समय से उठ रही है। पिछले साल भी नेपाल में राजशाही वापस लाने की मांग को लेकर प्रदर्शन देखने को मिले थे। ओली सरकार पर अक्सर भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोप लगते रहे हैं, जिसका असर सोशल मीडिया पर भी होने लगा था। आइए जानते हैं कैसे?
1. भाई-भतीजावाद की पॉलिटिक्स
नेपाल सरकार पर नेपोटिज्म का आरोप लगता रहा है। नेताओं समेत उनके बच्चों और परिवारों की आलीशान लाइफस्टाइल और शान-ओ-शौकत सोशल मीडिया पर उजागर हो रही थी। इसी बीच 'नेपो बेबी' अभियान भी नेपाल के सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा था।, जिससे युवाओं की नाराजगी का अंदेशा लगाया जा सकता है।
2. भ्रष्टाचार का काला चिट्ठा
नेपाल सरकार पर पिछले 4 साल में कई बड़े घोटालों और भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। खासकर नेपाल सरकार के 3 बड़े घोटालों की पोल खुली, तो युवाओं का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।
साल | घोटाला | रकम |
2021 | गिरि बंधु भूमि स्वैप घोटाला | 54,600 करोड़ |
2023 | ओरिएंटल कॉरपोरेटिव घोटाला | 13,600 करोड़ |
2024 | कॉरपोरेटिव घोटाला | 69,600 करोड़ |
3. युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी
नेपाल में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में नेपाल के 10.71 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। वहीं, नेपाल की महंगाई दर 5.2 फीसदी है। आंकड़ों की मानें तो नेपाल के महज 20 प्रतिशत लोगों के पास देश की 56 फीसदी संपत्ति मौजूद है, जिनमें नेपाल के राजनेता भी शामिल हैं।
4. भारत से दूरी और चीन से बढ़ती नजदीकी
जुलाई 2024 में केपी ओली की सरकार आने के बाद नेपाल का झुकाव चीन की तरफ बढ़ने लगा है। नेपाल ने भारत के साथ सीमा विवाद के मुद्दे को हवा दी, जिससे नेपाल पर आर्थिक दबाव भी बढ़ने लगा। ओली सरकार के इस रुख को लेकर भी नेपाली नागरिकों में भारी नाराजगी है।
5. राजशाही की मांग
नेपाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच लोकतंत्र खत्म करके दोबारा राजशाही स्थापित करने की मांग हो रही है। पिछले 5 साल में नेपाल में 3 बार सरकारें बदल चुकी हैं। वहीं, वर्तमान में भड़की हिंसा के बाद नेपाल में कई नेताओं ने इस्तीफा दिया है, जिससे एक बार फिर सत्ता परिवर्तन के कयास लगाए जा रहे हैं।
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