'चीन के प्रभाव से बाहर निकल पाएगा नेपाल', कार्की की नियुक्ति से भारत को भी राहत मिलने की उम्मीद
नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सुशीला कार्की की नियुक्ति से देश में स्थिरता लौटने की उम्मीद है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल ने व्यवस्था सामान्य करने के लिए आंदोलनकारियों से सहमति बनाने का आग्रह किया। कार्की की भ्रष्टाचार विरोधी छवि और राजनीतिक अनुभव की कमी के बावजूद भारत को इस नेतृत्व परिवर्तन से राहत मिली है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल में नवनियुक्त अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के नेतृत्व धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है। नेपाल में हुए हिंसक आंदोलन से ये खतरा बढ़ने लगा था कि कहीं इस देश का भी हाल बांग्लादेश की अस्थिरता जैसा न हो जाए। इससे भारत पर भी सुरक्षा खतरा बढ़ने का अंदेशा था।
लेकिन राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और नेपाल सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल ने देश में व्यवस्था सामान्य करने के लिए आंदोलनकारी जेन-जी के नेताओं से जल्द से जल्द कार्की के नाम पर सहमति बनाने को कहा।
नेपाल में नेतृत्व परिवर्तन से भारत को राहत
कार्की पूर्व में देश की मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। उनको भले ही राजनीतिक अनुभव कम हो, लेकिन जेन-जी की नजर में उनकी छवि मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी नेता की बनी हुई है। नेपाल में नेतृत्व परिवर्तन से भारत को राहत तो मिली है, लेकिन भारत विरोधी नैरेटिव को बदलने के लिए तेजी से काम करने की जरूरत भी है।
नेपाल में लंबा चलता बवाल तो भारत के लिए होती मुश्किल
भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि देश में कूटनीतिक बदलाव पूरी तरह से तैयार है और उम्मीद है कि ओली के मुकाबले कार्की से निपटना आसान होगा। ओली को चीन के ज्यादा करीब माना जाता था, जिसकी वजह से वहां हाल के वर्षों में चीन का दखल भी बढ़ गया था।
इसके अलावा नेपाल में अगर उथल पुथल लंबा खिंचता तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई इसका फायदा भारत के साथ खुली सीमा के रास्ते घुसपैठ के लिए कर सकती थी। आईएसआई पहले कई मौकों पर नेपाल रूट का फायदा उठा चुकी है। इससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए हालात को संभालना मुश्किल हो सकता था।
तब नेपाल में हो सकता था बांग्लादेश सा हाल
पूर्व राजदूत नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत जयंत प्रसाद ने कहा है कि अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सुशीला कार्की की नियुक्ति महत्वपूर्ण समय पर हुई है। वह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष नेता हैं, जो देश को स्थिरता प्रदान कर सकती हैं और चुनाव सुनिश्चित कर सकती हैं। इससे नेपाल बांग्लादेश की तरह लंबे समय से चल रहे राजनीतिक गतिरोध में उलझने से बच सका है।
प्रसाद ने कहा कि अगर आंदोलन लंबा खिंचता तो नेपाल में भी बांग्लादेश जैसी परिस्थितियां बनने का खतरा था। उन्होंने कहा कि 2013 में भी नेपाल में ऐसा हो चुका था और तत्कालीन चीफ जस्टिस ने ही सत्ता संभाली थी और देश में सफल चुनाव कराए थे। नेपाल में अगले साल पांच मार्च को आम चुनाव होने हैं।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)
यह भी पढ़ें- सात घंटे की मैराथन बैठक में निकला कार्की को PM बनाने का रास्ता, राष्ट्रपति पौडेल ने दिलाई शपथ
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।