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    नेपाल में राजनीतिक संकट, संसद भंग करने के खिलाफ दो पूर्व प्रधानमंत्रियों का प्रदर्शन

    By TaniskEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jan 2021 01:58 PM (IST)

    पाल में राजनीतिक संकट जारी है। देश के दो पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल और माधव कुमार नेपाल ने संसद के निचले सदन को भंग करने के विरोध में धरना प्रदर्शन किया। वे नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक गुट का नेतृत्व कर रहे हैं

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    संसद भंग करने के खिलाफ नेपाल के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों का प्रदर्शन। (एएनआइ)

    काठमांडू, एएनआइ। नेपाल में राजनीतिक संकट जारी है। देश के दो पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल और माधव कुमार नेपाल ने संसद के निचले सदन को भंग करने के विरोध में धरना प्रदर्शन किया। वे नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक गुट का नेतृत्व कर रहे हैं। बता दें कि पिछले साल 20 दिसंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने  संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था। इसके बाद से देश में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। फैसले को सु्प्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है।

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    इससे पहले सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रतिद्वंद्वी गुट के छात्रसंघ ने दोनों के नेतृत्व में शनिवार को संसद को भंग करने के कदम के विरोध में कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का पुतला जलाया। संसद भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने के लिए 20 दिसंबर को मंत्रिपरिषद द्वारा किए गए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक दर्जन से अधिक रिट याचिकाएं दायर की गई हैं। इनकी सुनवाई जारी है।

    इस बीच कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के एक वरिष्ठ वकील के बारे में टिप्पणी करने और अदालत को प्रभावित करने का प्रयास करने को लेकर उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना के भी दो मामले चल रहे हैं। उन्हें एक हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है। अगले महीने मामलों की फैसले आने की उम्मीद है।

    विरोध प्रदर्शन दिन पर दिन उग्र होता जा रहा

    2017 के चुनाव में संसद की लगभग दो-तिहाई बहुमत और उच्च सदन में पूर्ण बहुमत हासिल करके ओली संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य नेपाल के पहले प्रधानमंत्री बने। सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन- माओवादी केंद्र के बीच गठबंधन बनाने में सफलता के बाद, नेपाल की दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों का विलय हो गया। इसके बाद नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया गया, जो अब विभाजन के कगार पर है। संसद को भंग करने फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन दिन पर दिन उग्र होते जा रहे हैं।