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    सेटेलाइट से भारतीयों की गिनती कराने पर नेपाल कर रहा विचार; कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के इलाकों पर है विवाद

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Thu, 11 Nov 2021 07:18 PM (IST)

    चीन की ओर झुकाव रखने वाली नेपाल की ओली सरकार ने उत्तराखंड से लगने वाली भारतीय सीमा के भीतर स्थित कालापानी लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर अपना दावा किया था। इसके बाद एकतरफा तौर पर नेपाल का नया नक्शा तैयार किया गया और उसे संसद से स्वीकृति भी दिलवा दी गई।

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    नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की फाइल फोटो

    काठमांडू, आइएएनएस। नेपाल में गुरुवार से जनगणना का कार्य शुरू हो गया। दस साल में एक बार होने वाली इस जनगणना में लोगों की गिनती के साथ ही उनसे जुड़ी जानकारी भी एकत्रित की जाएगी। नेपाल की इस बार की जनगणना में कुछ विवादित बातें भी जुड़ गई हैं। इस बार भारतीय इलाके कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा में भी जनगणना कराने की मांग उठी है। नेपाल का केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने आभासी तौर पर वहां की जनगणना कराने पर विचार कर रहा है।

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    चीन की ओर झुकाव रखने वाली नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने उत्तराखंड से लगने वाली भारतीय सीमा के भीतर स्थित कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर अपना दावा किया था। इसके बाद एकतरफा तौर पर नेपाल का नया नक्शा तैयार किया गया और उसे संसद से स्वीकृति भी दिलवा दी गई। ओली सरकार की इस हरकत से नेपाल और भारत के संबंध सबसे निचले स्तर पर आ गए थे। भारत ने नेपाल की इस हरकत पर कड़ी आपत्ति जताई थी। चीन के इशारे पर ओली सरकार ने यह हरकत तब की थी जब भारत ने लिपुलेख होते हुए चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में जाने वाली सड़क के निर्माण की घोषणा की थी। यह सड़क कैलास मानसरोवर जाने वालों के लिए थी। भारत ने यह सड़क बनाई लेकिन नेपाल ने इस पूरे इलाके को अपना घोषित कर दिया। लिपुलेख ऐसा तिकोना भूक्षेत्र है जहां पर भारत, नेपाल और चीन की सीमाएं लगती हैं।

    अब जबकि यह इलाका आधिकारिक रूप से नेपाल के नक्शे में शामिल हो गया है, उसके बाद पहली बार हो रही जनगणना में इन तीनों भारतीय इलाकों के लोगों की गिनती करने के लिए आवाज उठी है। नेपाल के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के निदेशक नवीन लाल श्रेष्ठ ने कहा है कि इन तीनों इलाकों की जनगणना कराने के लिए विदेश मंत्रालय के जरिये भारत सरकार से अनुरोध किया गया था। लेकिन अभी तक भारत की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। इसलिए ब्यूरो जनगणना का कार्य सेटेलाइट के जरिये कराने पर विचार कर रहा है। इसमें सेटेलाइट कैमरे के जरिये जमीन पर बसे लोगों की संख्या का अनुमान लगाया जाएगा। श्रेष्ठ ने भारतीय अधिकारियों से वार्ता के बगैर किसी कर्मचारी या अधिकारी को इलाके में जनगणना के लिए भेजने से इन्कार किया है। वैसे भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार इलाके के तीन गांवों-कुटी में 363, नाबी में 78 और गुंजी में 335 लोग रहते हैं।